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    राखीगढ़ी में मिले 10 हजार साल पुरानी नदी के अवशेष, 5000 वर्ष पहले सूख गई थी; कार्बन डेटिंग से मिले प्रमाण

    Updated: Sun, 01 Dec 2024 01:59 PM (IST)

    राखीगढ़ी में 10 हजार साल पुरानी नदी के अवशेष मिले हैं। कार्बन डेटिंग से इस बात का पता चला है कि यह नदी करीब 5 हजार साल पहले सूख गई थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारी इस बात का पता लगाने में जुटे हैं कि उस समय के लोग पानी का संरक्षण कैसे करते थे और फसलों को कैसे उगाते थे।

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    नारनौंद के राखीगढ़ी के टीलें पर पानी के लिए बनाया हुआ कुआं। (फोटो- जागरण)

    सुनील मान, नारनौंद (हिसार)। हड़प्पाकालीन सभ्यता को लेकर आइकानिक साइट राखीगढ़ी में टीले सात के पास से दस हजार वर्ष पुरानी नदी होने के अवशेष मिले हैं। वह नदी करीब पांच हजार वर्ष पहले सूख गई थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारी इस पर मंथन करने में जुटे हुए हैं।

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    नदी सूखने के बाद पानी का संरक्षण किस तरह किया जाता था और फसलें कैसे पकाई जाती थी। इस नदी का प्रयोग बड़े पैमाने पर व्यापार करने के लिए भी किया जाता था। इन नदी का पता लगाने के लिए 2022-23 में सैंपल लिए और उसकी कार्बन डेटिंग से इस नदी होने के प्रमाण मिले।

    कार्बन डेटिंग से मिले प्रमाण

    राखीगढ़ी में पहली बार ये भी खुलासा हुआ है कि टीले सात के बराबर में एक सूखी नदी होने के अवशेष मिले थे। जो कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग दिल्ली और जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने मिलकर इस पर काम किया।

    उस जगह से बालू के सैंपल लिए और फरीदाबाद की एक लैब में कार्बन डेटिंग करवाई तो पता चला कि 10 हजार वर्ष पहले यहां नदी थी और इस नदी में पानी था।

    करीब साढ़े पांच हजार वर्ष पहले इस नदी का पानी सूख गया था। सिर्फ वर्षा का पानी ही इस नदी में रहता था। इस नदी का प्रयोग व्यापार करने के लिए भी किया जाता था।

    वो लोग छोटी-छोटी नाव बनाकर उनमें सामान डालकर एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाते थे। जब यह नदी सूख रही थी तो उसे समय लोगों ने पानी का प्रबंध कैसे किया होगा, इस पर पुरातत्व विभाग की तरफ से खोज की जा रही है।

    यहां से लिए थे सैंपल

    जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने संयुक्त तरीके से चार अलग-अलग जगह से करीब 8 मीटर गहराई से वर्ष 2022-23 में सैंपल लिए थे। दो सैंपल राखी गढ़ी, एक नारनौंद के पास से भी लिया था। सैंपल में जो बालू निकला था, उसकी कार्बन डेटिंग करवाई तो दस हजार वर्ष पुरानी नदी होने के पुख्ता प्रमाण मिले।

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    यह भी आ चुका सामने

    खोदाई के दौरान यह भी सामने आ चुका है कि पानी संरक्षण करने के लिए उस समय लोगों ने टैंक बनाए थे। बड़े बर्तनों में भी पानी को स्टोर किया जाता था। वर्षा के समय वह लोग ऐसा करते होंगे।

    10 हजार वर्ष पुरानी नदी के अवशेष मिले थे। अवशेषों की कार्बन डेटिंग में सामने आया पांच हजार वर्ष पहले वह नदी सूख गई थी। इस पर बड़े पैमाने पर काम किया जा रहा है कि वह लोग पानी का संरक्षण कैसे करते थे।

    - डॉ. संजय मंजुल, अप्पर महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग दिल्ली