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    गुरुग्राम में 10 लाख रिश्वत मामले में SI नरेंद्र कुमार बरी, गवाहों के मुकरने से कमजोर पड़ गई पूरी कहानी 

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 01:59 AM (IST)

    गुरुग्राम में भ्रष्टाचार के मामले में एसआई नरेंद्र कुमार को बरी कर दिया गया। अदालत ने कहा कि रिश्वत मांगने के आरोपों को साबित नहीं किया जा सका। शिकायत ...और पढ़ें

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    संवाद सहयोगी, बादशाहपुर। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश पुनीत सहगल की अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में आरोपित सब-इंस्पेक्टर नरेंद्र कुमार को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपित के विरुद्ध रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के आरोपों को संदेह से परे साबित नहीं कर सका।

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    आरोपित नरेंद्र कुमार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता डीसी गुप्ता ने अदालत में पक्ष रखा। एंटी करप्शन ब्यूरो ने 26 अक्टूबर 2021 को मामला दर्ज किया था। आरोप था कि आरोपित नरेंद्र कुमार ने ट्रैफिक इंस्पेक्टर बलबीर सिंह से वर्ष 2017 में दर्ज एक अन्य मामले में राहत दिलाने के नाम पर 10 लाख रुपये की मांग की थी।

    पांच लाख रुपये की राशि ले ली गई थी। यह राशि बलबीर सिंह ने देवेंद्र कुमार के माध्यम से दिए जाने का आरोप लगाया गया था। अधिवक्ता डीसी गुप्ता ने बताया कि अभियोजन पक्ष ने अपने पक्ष में 20 गवाह पेश किए और कई दस्तावेज साक्ष्य के रूप में अदालत में रखे।

    मामले का सबसे अहम मोड़ तब आया जब मुख्य शिकायतकर्ता बलबीर सिंह ने अदालत में अभियोजन के आरोपों का समर्थन नहीं किया और आरोपित को पूरी तरह से निर्दोष बताया। उन्होंने कहा कि न तो नरेंद्र कुमार ने उनसे कोई रिश्वत मांगी और न ही उन्होंने किसी प्रकार की राशि आरोपित को दी।

    बलबीर सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने उनसे खाली कागजों पर हस्ताक्षर कराए थे।<br/>इसी तरह अभियोजन के अन्य महत्वपूर्ण गवाह विजय कुमार और देवेंद्र कुमार भी अदालत में अपने पहले के बयानों से मुकर गए। इन गवाहों के मुकर जाने से अभियोजन की पूरी कहानी कमजोर पड़ गई।

    अदालत ने अपने फैसले में कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों में रिश्वत की मांग और स्वीकार किए जाने का स्पष्ट और ठोस सबूत होना आवश्यक है। इस मामले में न तो मांग और न ही स्वीकार किए जाने के तथ्य को विश्वसनीय साक्ष्यों से सिद्ध किया जा सका। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि केवल संदेह के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। अदालत ने आरोपित नरेंद्र कुमार को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।