नया गुरुग्राम : एनबीसीसी ग्रीन व्यू सोसायटी में समझौता, 160 को रिफंड, 78 फ्लैटों का होगा पुनर्निर्माण
सेक्टर 37डी स्थित एनबीसीसी ग्रीन व्यू सोसाइटी को असुरक्षित घोषित किया गया था। 238 में से 160 फ्लैट मालिकों ने रिफंड और 78 ने पुनर्निर्माण का विकल्प चुना है। एनबीसीसी ने चार टावरों को गिराने की अनुमति मांगी है क्योंकि वे असुरक्षित हैं। फ्लैट मालिकों को दो विकल्प दिए गए थे रिफंड या पुनर्निर्माण। रिफंड वालों को पैसे मिल चुके हैं जबकि पुनर्निर्माण वालों को किराया मिलेगा।

जागरण संवाददाता, नया गुरुग्राम। सेक्टर-37डी स्थित एनबीसीसी ग्रीन व्यू सोसायटी को साढ़े तीन साल पहले असुरक्षित घोषित किया जा चुका है। अब इस मामले में फ्लैट मालिकों और एनबीसीसी इंडिया लिमिटेड के बीच समझौते की स्थिति बन गई है। 238 फ्लैट मालिकों में से 160 ने रिफंड का विकल्प चुन लिया है जबकि 78 फ्लैट मालिकों ने दोबारा निर्माण पर सहमति दी है। 17 फ्लैट मालिकों के साथ बातचीत अभी जारी है।
यह जानकारी एनबीसीसी इंडिया लिमिटेड की ओर से जिला उपायुक्त को सौंपी गई रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट में एनबीसीसी ने सोसायटी के चार टावर ए, बी, सी और डी को गिराने की अनुमति भी मांगी है। इन टावरों की हालत इतनी खराब है कि कभी भी गिर सकते हैं और लोगों की जान के लिए खतरा बन सकते हैं।
फ्लैट मालिकों को मिले थे दो विकल्प
फ्लैटों को असुरक्षित घोषित किए जाने के बाद मालिकों को दो विकल्प दिए गए थे। पहला पैसे वापस लेना और दूसरा नए सिरे से फ्लैट का निर्माण कराना। रिफंड चुनने वाले 160 मालिकों को राशि लौटाई जा चुकी है। वहीं पुनर्निर्माण का विकल्प चुनने वाले 78 मालिकों को तब तक किराया दिया जाएगा जब तक उनके नए फ्लैट तैयार नहीं हो जाते। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ईडब्ल्यूएस परिवारों से बातचीत कर ली गई है। उन्होंने दोबारा निर्माण की मांग की है। इसलिए उनके फ्लैट भी नए सिरे से बनाकर उन्हें दिए जाएंगे।
कई टावर पहले ही ढहाए जा चुके
एनबीसीसी के मुख्य महाप्रबंधक अनिल कुमार ने उपायुक्त को लिखे पत्र में बताया कि एफ और जी टावर पहले ही गिराए जा चुके हैं। ई टावर को तोड़ने का काम चल रहा है। ये टावर एक निजी स्कूल के पास बने हुए थे इसलिए इन्हें हटाना जरूरी था। एनबीसीसी ने स्कूल, शापिंग काम्प्लेक्स और ईडब्ल्यूएस फ्लैट की इमारत को गिराने की भी अनुमति मांगी है।
पूरा मामला एक नजर में
साल 2021 में फ्लैट मालिकों को कब्जा सौंपा गया था लेकिन कब्जा मिलते ही इमारतों में दरारें आने लगीं। इसके बाद निवासियों की मांग पर जिला प्रशासन ने आइआइटी दिल्ली से जांच करवाई। जांच रिपोर्ट में सोसायटी को रहने योग्य नहीं माना गया। इसके बाद 17 फरवरी 2022 को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत फ्लैट खाली करवा लिए गए।
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