गुरुग्राम में DLF फेज 1 से 5 में अवैध निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, 45 मकान किए गए मार्क
डीएलएफ फेज एक से पांच में रिहायशी मकानों में चल रही व्यावसायिक गतिविधियों और अवैध निर्माण का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है। इस मामले में 7 अक्टूबर को सुनवाई होगी जिसमें सीलिंग और तोड़फोड़ पर फैसला आने की संभावना है। हाईकोर्ट ने अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे जिसके बाद विभाग ने 4500 से अधिक मकानों को चिह्नित किया था।

गौरव सिंगला, नया गुरुग्राम। डीएलएफ फेज एक से पांच में रिहायशी मकानों में चल रही व्यावसायिक गतिविधियों और अवैध निर्माण पर चल रहे विवाद का रुख अब सर्वोच्च न्यायालय से तय होगा। इस बहुचर्चित मामले पर मंगलवार को सुनवाई निर्धारित है, जिसमें दोनों पक्षों की ओर से विस्तृत बहस की संभावना है। माना जा रहा है कि इस सुनवाई में सीलिंग और तोड़फोड़ कार्रवाई को लेकर कोई अहम फैसला सामने आ सकता है।
तारीख को बदलकर सात अक्टूबर किया
जानकारी के अनुसार मामले में करीब 16 स्पेशल लीव याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनमें डीएलएफ कुतुब एन्क्लेव आरडब्ल्यूए, फेज तीन और फेज पांच के निवासी सहित कई अन्य पक्ष शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 6 अप्रैल को यथास्थिति (स्टे) आदेश जारी किया था। मंगलवार की सुनवाई में इस पर विस्तृत बहस होगी क्योंकि कोर्ट ने 27 अक्टूबर की तारीख को बदलकर सात अक्टूबर किया है।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 13 फरवरी को डीएलएफ फेज एक से पांच में रिहायशी क्षेत्रों में अवैध निर्माण और व्यावसायिक गतिविधियों के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बाद टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग की इन्फोर्समेंट टीम ने व्यापक सर्वे कर 4500 से अधिक मकानों को मार्क किए, जिनमें अवैध निर्माण या व्यावसायिक गतिविधियां पाई गईं।
विभाग की ओर से इन मकानों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए और सात दिन में जवाब मांगा गया। संतोषजनक जवाब न मिलने पर विभाग ने रेस्टोरेशन के आदेश जारी करते हुए आक्यूपेशन सर्टिफिकेट (ओसी) रद करने और पानी, सीवर तथा बिजली कनेक्शन काटने के लिए डीटीपी (प्लानिंग) को सिफारिश भेज दी। विभाग के रिकार्ड के अनुसार 2111 मकानों के विरुद्ध रेस्टोरेशन आदेश जारी किए जा चुके हैं।
नीति दिशा में नहीं उठाया जा रहा कोई कदम
डीएलएफ के रिहायशी क्षेत्रों में चल रही व्यावसायिक गतिविधियों को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार इस पूरे मुद्दे पर उदासीन रवैया अपना रही है। न तो अभी तक कोई स्पष्ट पालिसी दिशा तय की गई है और न ही व्यावहारिक समाधान की पहल दिख रही है। गोल्फ कोर्स रोड और उसके समानांतर 60 मीटर चौड़ी सड़कों पर बढ़ते ट्रैफिक दबाव के बीच अब यह इलाका पूरी तरह रिहायशी स्वरूप में नहीं रह सकता क्योंकि हजारों आफिस, क्लिनिक, बुटीक और स्टूडियो यहां पहले से संचालित हैं। लोगों की मांग है कि सरकार को इन क्षेत्रों के लिए अलग से ‘मिक्स-यूज या कमर्शियल पालिसी’ तैयार करनी चाहिए, जिससे एक ओर नियमन हो और दूसरी ओर निवासियों का हित भी सुरक्षित रहे।
फेज : मकान संख्या
- डीएलएफ फेज-1 175
- डीएलएफ फेज-2 234
- डीएलएफ फेज-3 (जनरल) 223
- डीएलएफ फेज-3 (ईडब्लूएस) 1335
- डीएलएफ फेज-4 133
- डीएलएफ फेज-5 11
- कुल 2111
सख्ती के साथ निर्देशों का पालन
"यह कार्रवाई हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट एक्ट और हरियाणा बिल्डिंग कोड के तहत की जाएगी। सात अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। कोर्ट का जो भी फैसला होगा, विभाग पूरी सख्ती के साथ निर्देशों का पालन करेगा।"
- अमित मधोलिया, डीटीपी इन्फोर्समेंट, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग
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