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    दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे: टेंडर के तीन महीने बाद भी न मरम्मत का ले रहे नाम न दिख रहे निशान

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 01:12 AM (IST)

    दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे पर एनएचएआई के जिंदगी बचाने के दावों की सच्चाई सवालों के घेरे में है। मरम्मत के टेंडर के बाद भी काम शुरू नहीं होने से लोगों में निराशा है। एक्सप्रेसवे पर टूटी रेलिंग अवैध कट और खस्ताहाल सर्विस लेन हादसों को न्योता दे रहे हैं। एनएचएआई की दो साल में सुधार की योजना है लेकिन फिलहाल एक्सप्रेसवे की हालत दयनीय है।

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    दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे पर खोखला दिख रहा जिंदगी बचाने काे लेकर दावा

    आदित्य राज, गुरुग्राम। जिंदगी बचाने को लेकर गंभीरता बरतने का एनएचएआई का दावा दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे पर पूरी तरह खोखला दिख रहा है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण है एक्सप्रेसवे की मरम्मत को लेकर जून में टेंडर ओपन होने के बाद सितंबर में भी काम शुरू न होना। कब से काम शुरू होगा, इसकी कोई तिथि अब तक निर्धारित नहीं। अक्टूबर से फरवरी के दौरान दिल्ली सहित पूरे एनसीआर में प्रदूषण का स्तर कई बार इतना बढ़ जाता है कि निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी जाती है। ऐसे में फिर बहाना बनाया जाएगा कि निर्माण कार्यों पर बार-बार रोक लगने की वजह से काम धीरे-धीरे चल रहा है।

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    30 से अधिक जगह रेलिंग टूटी

    दिल्ली-जयपुर हाईवे का धौलाकुआं के नजदीक से लेकर खेड़कीदौला टोल प्लाजा तक 28 किलोमीटर का हिस्सा एक्सप्रेसवे है। दिल्ली इलाके में हालत काफी हद तक ठीक है लेकिन गुरुग्राम इलाके में बद से बदतर है। 30 से अधिक जगह रेलिंग टूटी है। कहीं-कहीं पर रेलिंग इतनी दूर तक टूटी है जैसे रेलिंग की सुविधा ही नहीं थी। रेलिंग टूटने की वजह से लोग कहीं से भी एक्सप्रेसवे पर पहुंच जाते हैं, इससे अक्सर हादसे होते हैं। एक भी एंट्री और एग्जिट दुरुस्त नहीं। कई एंट्री व एग्जिट की हालत यह है कि रांग साइड आसानी से वाहन निकल जाते हैं।

    अवैध कट दे रहे हादसों को न्योता

    30 से अधिक अवैध कट हैं। अवैध कटों की वजह से वाहन कहीं से भी एक्सप्रेसवे पर चढ़ जाते हैं। इससे न केवल जाम लगता है बल्कि हर पल हादसे की आशंका रहती है। हीरो होंडा चौक से लेकर खेड़कीदौला टोल प्लाजा के नजदीक तक दोनों तरफ सर्विस लेन की हालत ऐसी है कि पैदल सही से नहीं चल सकते। वर्षा होते ही सर्विस लेन तालाब बन जाती है। इतने गड्ढे हैं कि पता ही नहीं चलता है सर्विस लेन में गड्ढे हैं या गड्ढों में सर्विस लेन।

    एनएचएआई का रटा-रटाया जवाब

    लंबे समय से लोगों द्वारा आवाज बुलंद किए जाने के बाद भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने कुछ महीने पहले 245 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया। जून में टेंडर ओपन भी हो गया। इससे लोगों को उम्मीद जगी थी कि अब एक्सप्रेसवे की तस्वीर बदलनी शुरू हो जाएगी लेकिन 20 सितंबर बाद भी तस्वीर बदलने का काम शुरू न होने से हर तरफ निराशा है। इस बारे में एनएचएआई के अधिकारियों का एक ही रटारटाया जवाब है कि जल्द ही जमीनी स्तर पर काम शुरू होगा। कबसे शुरू होगा, कोई जवाब नहीं।

    नालों को ढकने पर भी ध्यान नहीं

    एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ बरसाती पानी के निकासी को लेकर नाले बने हुए हैं। इसे ढकने पर भी एनएचएआई का ध्यान नहीं। खुले नालों की वजह से कई बार हादसे हो चुके हैं। दो महीने पहले हीरो होंडा चौक के नजदीक एक महिला नाले में गिर गई थी। सिर में चोट लगने की वजह से कुछ ही देर बार उसकी मौत हो गई। निर्माण सामग्री से भरे एक ट्रक का पहिया नरसिंहपुर के नजदीक नाले में चला गया था। इससे बड़ा हादसा होते-होते रह गया था। सिगनेचर टावर चौक के नजदीक एक युवक बाइक सहित नाले में गिर गया था। इसके अलावा भी कई हादसे हो चुके हैं।

    दो साल के भीतर तस्वीर बदलने की योजना

    एनएचएआई ने दो साल के भीतर एक्सप्रेसवे की तस्वीर पूरी तरह बदलने की योजना बनाई है। योजना के मुताबिक सबसे पहले रेलिंग दुरुस्त किया जाना है। इसके बाद सड़क की मरम्मत का काम किया जाएगा। नरसिंहपुर गांव के सामने दोनों तरफ सर्विस लेन आरएमसी (रेडी-मिक्स कंक्रीट) की बनाई जाएगी। यही नहीं सर्विस लेन को ऊपर उठाया जाएगा। पुरानी लाइटों की जगह नई लाइटें लगाई जाएंगी। सभी एंट्री एवं एग्जिट को ठीक किया जाएगा। अवैध कट बंद किए जाएंगे। इसके अलावा भी कई कार्य किए जाने हैं।

    सालाना 200 करोड़ रुपये की वसूली

    दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे पर खेड़कीदौला में संचालित टोल प्लाजा से एनएचएआई को सालाना औसतन 200 करोड़ रुपये टोल के रूप में प्राप्त होते हैं। जानकारों का कहना है कि यदि ईमानदारी से हर साल 15 से 20 करोड़ रुपये भी खर्च कर दिए जाएं तो एक्सप्रेसवे पर कहीं समस्या नहीं दिखाई देगी। एक्सप्रेस की हालत से ऐसा लगता है जैसे पिछले कई सालों से मरम्मत के ऊपर ध्यान ही नहीं दिया गया।

    एक्सप्रेसवे की दुर्दशा से अवगत कराना

    "मैं लगभग प्रतिदिन दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे से होकर गुजरता हूं। इतनी दयनीय हालत देश में शायद ही किसी एक्सप्रेसवे की होगी। लगता ही नहीं है कि यह एक्सप्रेसवे है। उम्मीद थी कि सितंबर में मरम्मत का काम शुरू हो जाएगा लेकिन बहुत निराशा हो रही है। ऐसा लगता है जैसे इस एक्सप्रेसवे को लावारिश छोड़ दिया गया है। अब पत्र लिखकर प्रधानमंत्री कार्यालय को इस एक्सप्रेसवे की दुर्दशा से अवगत कराना होगा, तभी बात बनेगी।"

    - शरद गोयल, अध्यक्ष, नेचर इंटरनेशनल

    "एक्सप्रेसवे की बदहाली एनएचएआई की निष्क्रियता व लापरवाही की हद है। पहली बात मरम्मत के लिए टेंडर करने की आवश्यकता ही नहीं थी। यह काम रूटीन में ही होना चाहिए था। जब टेंडर कर दिया गया फिर अब तक काम शुरू हो जाना चाहिए था। दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे की हालत ऐसी है कि इस पर रात में चलने पर डर लगता है। कहां से वाहन ऊपर आ जाएंगे पता नहीं। लाइटें सही से जलती नहीं। हर पल पर हादसे की आशंका है।"

    - जेएस सुहाग, पूर्व तकनीकी सलाहकार, एनएचएआई

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