अरबपतियों की सूची में नौवें पायदान पर पहुंचा गुरुग्राम, ढाई दशक में बदल गई साइबर सिटी की तस्वीर
साइबर सिटी गुरुग्राम जो कभी गुमनाम था अब आईटी टेलीकॉम और ऑटोमोबाइल का केंद्र बन गया है। ढाई दशक में यह शहर अरबपतियों की सूची में नौवें स्थान पर पहुंच गया है जिसमें डीएलएफ और यूनो मिंडा जैसी कंपनियों का महत्वपूर्ण योगदान है। वैश्विक निवेशकों की पहली पसंद होने के कारण गुरुग्राम ने एक अद्वितीय पहचान बनाई है।

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। कहा जाता है कि जब लक्ष्मी की कृपा होती है फिर किसी भी इलाके या व्यक्ति की दिन-रात तरक्की होती है। यह बात पूरी दुनिया में आईटी, टेलीकाॅम, ऑटोमोबाइल, गारमेंट्स से लेकर मेडिकल हब के रूप में पहचान बनाने वाली साइबर सिटी पर सटीक बैठती है।
वर्ष 2002 से पहले किसी भी क्षेत्र में पहचान नहीं थी। वर्ष 2000 के बाद विकास की ऐसी आंधी चली कि ढाई दशक में पूरी तस्वीर ही बदल गई। देश के अरबपतियाें की सूची वाले शहरों में नौवें स्थान पर साइबर सिटी पहुंच चुकी है।
हुरुन इंडिया रिच लिस्ट के मुताबिक साइबर सिटी में 38 अरबपति हैं। करोड़पतियों की संख्या सैकड़ों में है। हुरुन इंडिया रिच लिस्ट के मुताबिक देश के 100 अरबपतियों की सूची में साइबर सिटी से संबंधित रियल एस्टेट सेक्टर की कंपनी डीएलएफ एवं ऑटोमोबाइल सेक्टर की कंपनी यूनो मिंडा सहित कई कंपनियों के नाम शामिल हैं।
डीएलएफ के चेयरमैन राजीव सिंह की संपत्ति एक लाख 21 हजार करोड़ से अधिक आंकी गई है। इसी तरह यूनो मिंडा ग्रुप के सीएमडी व प्रसिद्ध उद्योगपति एनके मिंडा की संपत्ति का आंकलन 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक का किया गया है।
इसी तरह जोमैटो के सीईओ दीपिंदर गोयल एवं गावर कंस्ट्रक्शन के चेयरमैन रविंद्र कुमार सहित अन्य कंपनियों के मालिकों की संपत्ति में भी तेजी से बढ़ाेतरी हुई है। जानकारों का कहना है कि काफी कंपनियाें के संचालकों ने शुरुआत गुरुग्राम से की और देश ही नहीं पूरी दुनिया में छा गए।
इसके पीछे मुख्य कारण गुरुग्राम की पूरी दुनिया में मजबूत पहचान है। गुरुग्राम से जब उद्यमी बाहर अपने कारोबार का विस्तार करने के लिए पहुंचते हैं ताे उनका विशेष सम्मान किया जाता है।
फाइनेंसर पैसा लगाने में उत्सुकता दिखाते हैं। इससे कारोबार जल्द ही रफ्तार पकड़ लेता है। गुरुग्राम कारोबार का एक ब्रांड बन चुका है। पूरी दुनिया के निवेशक देश के भीतर सबसे पहले गुरुग्राम में ही निवेश करना पसंद करते हैं, क्योंकि उन्हें इस शहर में अपने देश के भी काफी लोग मिल जाते हैं।
मारुति से बननी शुरू हुई पहचान
मारुति सुजुकी का पहला प्लांट सेक्टर-18 इलाके में 1982 के दौरान लगा था। 1983 में उत्पादन शुरू हुआ। उस समय कारों की डिमांड अधिक नहीं थी। वर्ष 2000 के बाद देखते ही देखते तस्वीर बदल गई।
कुछ साल के भीतर हजारों कंपनियां गुरुग्राम में आ गईं। 1990 तक केवल दो लाख की आबादी वाले शहर में आज लगभग 50 लाख लोग रह रहे हैं। सात हजार से अधिक आईटी एवं टेलीकाॅम सेक्टर की कंपनियां गुरुगाम में हैं। इनमें 500 से अधिक कंपनियां अमेरिका आधारित हैं।
जर्मनी, जापान, फ्रांस, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड सहित अधिकतर देशों की कंपनियां गुरुग्राम में हैं। यही नहीं अधिकतर देशों के हजारों लोग गुरुग्राम में रह रहे हैं।
मैंने दुनिया के अनेक देशों का दौरा किया है। जितनी तेजी से गुरुग्राम का विकास हुआ उतनी तेजी से दुनिया के किसी भी शहर का नहीं हुआ। जलभराव, ट्रैफिक जाम एवं प्रदूषण जैसी समस्या के बाद भी पूरी दुनिया के निवेशकों की देश में पहली पसंद गुरुग्राम है। गुरुग्राम कारोबार का एक ब्रांड बन चुका है। यहां पर कारोबार शुरू कर दुनिया के किसी भी शहर में विस्तार करना आसान है। गुरुग्राम नाम सुनते ही दुनिया के कारोबारी साथ देने के लिए आगे आ जाते हैं।
- प्रदीप यादव, प्रेसिडेंट, हाइटेक इंडिया (आइटी एवं टेलीकाम सेक्टर की कंपनियों का संगठन)
वर्ष 2000 से पहले गुरुग्राम की कुछ भी पहचान नहीं थी। वैसे पहले नाम गुड़गांव था। बाहर में बहुत ही कम लोग इस शहर को जानते थे। सही मायने में यह शहर भी नहीं था। 2000 के बाद ऐसी आंधी चली कि देश के ही नहीं दुनिया के बड़े से बड़े शहरों की पहचान इसके आगे छोटी हो चुकी है। ग्लोबल पहचान के पीछे सबसे बड़ा कारण आईटी सेक्टर हब बनना है। इस सेक्टर ने पिछले ढाई दशक के भीतर कई तरह के कारोबार को बौना कर दिया है। दुनिया के बड़े शहरों की तरह ही साइबर सिटी का नाम लेकर गर्व महसूस होता है।
- बोधराज सीकरी, उद्योगपति व मुख्य संरक्षक, प्रोग्रेसिव फेडरेशन आफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री
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