10 वर्ष में कितनी बढ़ी अमीरों की तदाद ? दिल्ली बना देश में सबसे ज्यादा करोड़पति वाला दूसरा राज्य
दिल्ली ने 2025 में आर्थिक समृद्धि में पांच गुना वृद्धि की है। 2014 के बाद मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रमों ने दिल्ली को निवेश का केंद्र बनाया। करोड़पति परिवारों की संख्या 95% बढ़कर 79800 हो गई। रियल एस्टेट आईटी और वित्तीय सेवाओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। दिल्ली अब देश की राजनीतिक और आर्थिक आकांक्षाओं का प्रतीक है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी ने वर्ष 2025 में 2013 के मुकाबले आर्थिक संपन्नता में पांच गुना की वृद्धि कर बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है। 2013 में दिल्ली में केवल 15,750 करोड़पति परिवार थे।
2014 के बाद दृश्य पूरी तरह बदल गया। मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और स्मार्ट सिटी मिशन जैसे कार्यक्रमों ने दिल्ली को निवेश और नवाचार का केंद्र बना दिया।
यही कारण है कि 2024 तक यहां करोड़पति परिवारों की संख्या में 95 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई और यह 15,750 से बढ़कर 79,800 पहुंच गई।
देश की वित्तीय राजधानी मानी जाने वाली मुंबई-केंद्रित महाराष्ट्र (1,78,600) को छोड़ दें, तो करोड़पतियों के मामले में दिल्ली अन्य सभी राज्यों से कहीं आगे है।
मर्सिडीज-बेंज हुरुन इंडिया वेल्थ रिपोर्ट 2025, हेनले एंड पार्टनर्स वेल्थ रिपोर्ट और वीडीओ-एआई के अनुसार वर्तमान में दिल्ली में करोड़पति परिवारों की संख्या 79,800 है।
विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली की यह आर्थिक उन्नति रियल एस्टेट, आईटी व फाइनेंशियल सर्विसेज के बूम के कारण संभव हुआ है।
दिल्ली का यह आर्थिक उभार इसे वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने वाला शहर बना रहा है। कह सकते हैं कि दिल्ली अब न केवल धनकुबेरों का गढ़ बन रही है, बल्कि देश की राजनीतिक आकांक्षा के साथ-साथ आर्थिक आकांक्षा का प्रतीक भी।
2014 से हुई तेज प्रगति
2014 से 2025 में दिल्ली की आर्थिक संपन्नता में पांच गुना बढ़ोतरी रियल एस्टेट (लग्ज हाउसिंग) स्टाक मार्केट और स्टार्टअप फंडिंग (50,000 करोड़ से अधिक वार्षिक) में वर्ष दर वर्ष हुई वृद्धि के संचालन से हुई ।
2021-2025 के बीच दिल्ली ने फाइनेंशियल हब और स्थिर राजनीतिक केंद्र के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की, जिससे यह निवेशकों का पसंदीदा गंतव्य बनी। दिल्ली ने इस दौरान 90 प्रतिशत की दर से वृद्धि की।
इसमें रियल एस्टेट (25,000 से 30,000 परिवार, 35-40 प्रतिशत), फाइनेंशियल सर्विसेज (15,000 से 20,000, 20-25 प्रतिशत) और आईटी (10,000 से 12,000, 12-15 प्रतिशत) का योगदान सबसे अधिक है। टेलीकाम (8,000 से 10,000) और हेल्थकेयर (5,000 से 7,000) की भी उल्लेखनीय हिस्सेदारी हैं।
राष्ट्रीय स्थिति
दिल्ली भारत की वित्तीय राजधानी मानी जाने वाली मुंबई के बाद देश में आर्थिक तौर पर सबसे मजबूत स्थिति में है। मुंबई के 1,78,600 करोड़पति परिवारों के मुकाबले दिल्ली के 79,800 परिवार इसे दूसरा बड़ा धन केंद्र बनाते हैं।
यह अंतराल कम हो रहा है, क्योंकि दिल्ली की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 15 प्रतिशत की राष्ट्रीय हिस्सेदारी और प्रति व्यक्ति आय 4,14,710 (राष्ट्रीय औसत से 2.4 गुना) इसे आर्थिक शक्ति बना रहा है।
हालांकि हुरून इंडिया रिच लिस्ट 2025 में दिल्ली के 223 अरबपतियों की संख्या मुंबई के 451 अरबपतियों के लिहाज से कम है पर, गुजरात और कर्नाटक से कहीं अधिक है।
प्रमुख तथ्य:
- वृद्धि: 2013 में 15,750 से 2025 में 79,800 तक
- भारत के टॉप 10 राज्यों में दिल्ली दूसरे नंबर पर
ये हैं टॉप-10 शहर और वहां करोड़पति
- महाराष्ट्र (1,78,600)
- दिल्ली (79,800)
- तमिलनाडु (72,600)
- कर्नाटक (68,800)
- गुजरात (68,300)
- उत्तर प्रदेश (57,700)
- तेलंगाना (51,700)
- पश्चिम बंगाल (50,400)
- हरियाणा (30,500)
- राजस्थान (33,100)
दिल्ली के पहले दस अमीर
- शिव नादर
- सुनील भारती मित्तल
- रवि जयपुरिया
- राजीव सिंह
- विक्रम लाल
- पवन मुंजाल
- कुलदीप सिंह ढींगरा
- विवेक चंद बर्मन
- आनंद बर्मन
- विजय शेखर शर्मा
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