हरियाणा में पेड़ काटने से पहले वन विभाग की अनुमति अनिवार्य, सात तरह के पेड़ों पर नहीं लागू होगा आदेश
दिल्ली की तर्ज पर हरियाणा में अब पेड़ काटने से पहले वन विभाग की अनुमति जरूरी होगी। एनजीटी के फैसले के अनुसार, बिना अनुमति पेड़ काटने पर जुर्माना लगेगा। यह नियम किसानों की ओर से सात प्रकार के पेड़ों की कटाई पर लागू नहीं होगा। वन विभाग ने फैसला लागू कर दिया है, जिससे राज्य में हरियाली बढ़ने की उम्मीद है।

हरियाणा में पेड़ काटने से पहले वन विभाग की अनुमति अनिवार्य, सात तरह के पेड़ों पर नहीं लागू होगा आदेश।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की तर्ज पर अब हरियाणा में कहीं भी पेड़ों की कटाई करने के लिए वन विभाग से अनुमति लेनी होगी। बिना अनुमति के कटाई करने पर वन संरक्षण अधिनियम के तहत जुर्माना लगाया जाएगा।
इससे जहां पेड़ों की सुरक्षा होगी वहीं हरियाली बढ़ेगी। प्रदेश के अधिकतर इलाकों में पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम की धारा चार लागू न होने से धड़ल्ले से पेड़ों की कटाई की जा रही थी। शिकायत होने पर भी वन विभाग के अधिकारी कार्रवाई नहीं कर पा रहे थे।
जानकारी के अनुसार रोहतक निवासी सुखबीर सिंह ने प्रदेश में धड़ल्ले से पेड़ों की कटाई को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में अर्जी डाली थी। उस पर सुनवाई करते हुए ट्रिब्यूनल ने पिछले महीने नौ सितंबर को हरियाणा में कहीं पर भी पेड़ों की कटाई करने के लिए वन विभाग से अनुमति लेने का फैसला सुना दिया।
ऐसा लगता है जैसे वन विभाग लंबे समय से इस तरह के फैसले का इंतजार कर रहा था। जैसे ही फैसला सामने आया वैसे ही प्रावधान लागू करने की कार्यवाही शुरू कर दी गई। विभाग के गुरुग्राम मंडल के अंतर्गत आने वाले जिलों गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, नूंह, रेवाड़ी एवं महेंद्रगढ़ में प्रविधान लागू भी कर दिया गया है।
इस प्रावधान से पहले जिन इलाकों में पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम की धारा चार लागू थी, उसी इलाके मेें पेड़ों की कटाई से पहले वन विभाग से अनुमति लेने का प्रावधान था। हरियाणा के अधिकतर इलाके से इस प्रविधान से बाहर थे। गुरुग्राम का भी मानेसर एवं फरुखनगर का इलाका इससे बाहर था। अब पूरे प्रदेश में एक समान प्रावधान लागू हो गया है।
यह प्रावधान किसानों के लिए केवल सात पेड़ों (सफेदा, पापुलर, उल्लू नीम, बकायन, बांस, अमरूद एवं शहतूत) की कटाई पर लागू नहीं होगा यानी पहले की तरह ही बिना अनुमति लिए कटाई की जा सकती है। कृषि वानिकी के लिए सात पेड़ों की कटाई की छूट किसानों को कई सालों से दी हुई है।
कृष्णा अरावली फाउंडेशन के अध्यक्ष व सेवानिवृत मुख्य नगर योजनाकार प्रो. केके यादव कहते हैं कि पर्यावरण को बेहतर करना है तो पेड़ों का संरक्षण करना होगा। पौधे लगाने के साथ पेड़ों को बचाने के ऊपर गंभीरता से प्रयास किया जाए। यदि इसके ऊपर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में सांस लेना मुश्किल हो जाएगा।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का फैसला पूरे प्रदेश में लागू हो गया है। अब कहीं भी पेड़ों की कटाई करने से पहले वन विभाग से अनुमति लेनी होगी। इससे जहां पेड़ों का संरक्षण होगा, वहीं हरियाली बढ़ेगी। अधिकतर इलाकों में जब जिसकी इच्छा होती थी, पेड़ों की कटाई कर देता था। ऐसे में हरियाली का दायरा बढ़ाना मुश्किल था। हरियाली का दायरा बढ़ाने के लिए केवल पौधे लगाना ही आवश्यक नहीं है बल्कि पेड़ों का संरक्षण भी आवश्यक है। पूरे प्रदेश में पेड़ों की कटाई पर रोक लगने से हरियाली का दायरा तेजी से बढ़ेगा।
- डाॅ. सुभाष यादव, वन संरक्षक
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