गुरुग्राम से 30 दिन में साफ हो जाएंगे मलबे के ढेर, साइबर सिटी वासियों को धूल प्रदूषण से मिलेगी निजात
गुरुग्राम नगर निगम ने शहर को मलबा मुक्त करने के लिए तीन एजेंसियों को काम सौंपा दिया है। सेक्टर 10, 29 और फरीदाबाद रोड से मलबा उठाया जा रहा है, जिसे बसई स्थित प्लांट में भेजा जाएगा। पिछले पांच सालों में निगम ने मलबा निपटान पर करोड़ों रुपये खर्च किए हैं। अधिकारियों का कहना है कि 30 दिन में शहर को मलबा मुक्त कर दिया जाएगा।

सेक्टर-29 में पहले इस तरह जगह-जगह मलबे के ढेर लगे हुए थे। जागरण आर्काइव
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। साइबर सिटी को मलबा (सीएंडडी वेस्ट) मुक्त बनाने के लिए नगर निगम गुरुग्राम ने काम शुरू कर दिया है। तीन एजेंसियों को निगम की इंजीनियरिंग विंग ने मलबा उठाने का काम सौंपा है।
एजेंसियों ने सेक्टर दस, सेक्टर 29 और फरीदाबाद रोड से मलबा उठान का कार्य शुरू कर दिया है। तीनों जगह पर मलबे के पहाड़ बने हुए हैं और पिछले लगभग छह साल से लगातार यहां पर मलबा डाला जा रहा है।
मलबा उठाकर बसई स्थित मलबा निस्तारण प्लांट में भेजा जा रहा है। इसके अलावा गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन रोड सहित शहर में सड़कों के किनारे मलबा पड़ा है। एजेंसियों को 30 दिन में मलबा उठाने का टारगेट दिया गया है।
हैरानी की बात यह है कि पिछले पांच साल में ही नगर निगम मलबा निपटान के नाम पर सौ करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर चुका है। सड़कों और खाली जमीन पर पड़े मलबे से प्रदूषण फैल रहा है, लेकिन अब उम्मीद है कि जगह-जगह पड़े मलबे को उठकार प्लांट में भेजने से परेशानी खत्म हो जाएगी।
बता दें कि बसई में सीएंडडी वेस्ट प्लांट लगा है, जहां पर मलबे से ईंटें और ब्लाॅक बनाए जाते हैं। वर्ष 2019- 20 तक एक प्राइवेट एजेंसी घरों तथा अन्य प्रतिष्ठानों से मलबा उठाने का कार्य करती थीं, लेकिन इस एजेंसी को कोरोना काल में लगभग 45 करोड़ रुपये का भुगतान विवादों में आ गया। अब लगभग पांच साल से कोई भी एजेंसी घरों से मलबा उठान का काम नहीं कर रही है।
सेक्टर दस में पड़ा 1.5 लाख टन मलबा
सेक्टर दस में खाली जमीन पर 1.5 लाख टन मलबा पड़ा हुआ है। दो एजेंसियों को 1.20 लाख टन मलबा उठाने का लक्ष्य दिया गया है। इसके अलावा सेक्टर 29 में लगभग 40 हजार टन मलबा पड़ा है, जिसे उठाने का कार्य निगम ने एक प्राइवेट एजेंसी को सौंप रखा है।
यह जमीन हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की है। फरीदाबाद रोड किनारे अरावली में मलबा फैला हुआ है। एजेंसियों द्वारा अब तक एक लाख टन मलबा उठाकर सीएंडडी वेस्ट प्लांट में भेजा जा चुका है।
क्या होता है सीएंडडी वेस्ट
सीएंडडी यानी कंस्ट्रक्शन एंड डिमालिशन वेस्ट मलबा होता है, जो बिल्डिंग निर्माण और तोड़ने के दौरान निकलता है। नियमानुसार इसका निपटान जरूरी है ताकि शहर में प्रदूषण न फैले। बसई प्लांट का संचालन आईएल एंड एफएस कंपनी कर रही है।
- 300 टन क्षमता का प्लांट बसई में लगा था, क्षमता बढ़ाकर 1200 टन की गई है।
- 1200 टन मलबा शहर से प्रतिदिन निकलता है।
- 25 किलोमीटर से ज्यादा शहर का दायरा है।
- 1 एजेंसी मलबा प्लांट का संचालन कर रही है।
- 7.5 लाख रिहायशी, कॉमर्शियल और इंस्टीट्यूशल औ औद्योगिक यूनिट शहर में हैं।
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तीन एजेंसियां मलबा उठाने का कार्य कर रही हैं। 30 दिन में मलबा मुक्त शहर बनाने की तैयारी है। बसई सीएंडडी वेस्ट प्लांट में मलबा भेजा जा रहा है।
- सुंदर श्योराण, एक्सईएन नगर निगम गुरुग्राम।
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