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    सुशांत लोक-1 और एसेंशिया परियोजनाओं में गड़बड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग केस में अंसल ग्रुप के खिलाफ ED की चार्जशीट

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 08:32 PM (IST)

    ईडी ने अंसल ग्रुप के खिलाफ धन शोधन मामले में चार्जशीट दाखिल की है। जांच में पाया गया कि ग्रुप ने गुरुग्राम में सुशांत लोक-1 और अंसल एसेंशिया परियोजनाओ ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, नया गुरुग्राम। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के गुरुग्राम जोनल कार्यालय ने धन शोधन के एक मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए 16 दिसंबर को विशेष अदालत (पीएमएलए) में अभियोजन शिकायत (प्रोसिक्यूशन कंप्लेंट) दाखिल की है। यह शिकायत मेसर्स अंसल प्रापर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एपीआईएल) और उसके निदेशक/शेयर धारक सुशील अंसल, प्रणव अंसल और गोपाल अंसल के विरुद्ध दाखिल की गई है।

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    यह मामला जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 और वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के उल्लंघन से जुड़ा है। ईडी ने जांच हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) द्वारा दर्ज अभियोजन शिकायतों के आधार पर शुरू की थी।

    जांच में सामने आया कि अंसल ग्रुप ने गुरुग्राम स्थित अपनी दो रियल एस्टेट परियोजनाओं सुशांत लोक-1 और अंसल एसेंशिया में पर्यावरण नियमों का पालन नहीं किया। सुशांत लोक फेज-1 में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) ही नहीं लगाया गया और वहां का गंदा पानी सीधे हुडा की सीवर लाइन में छोड़ दिया गया। वहीं एसेंशिया परियोजना में लगाया गया एसटीपी क्षमता से कम पाया गया।

    एचएसपीसीबी की टीम की ओर से निरीक्षण के दौरान यह भी पाया गया कि दोनों परियोजनाओं में लगाए गए एसटीपी बंद पड़े थे और उनका संचालन व रखरखाव शून्य था। ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि घरेलू गंदे पानी को बिना शोधन के छोड़ने से एक ओर जहां जनस्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा, वहीं दूसरी ओर कंपनी ने इससे आर्थिक लाभ कमाया।

    जांच एजेंसी के अनुसार, पर्यावरण नियमों की अनदेखी कर कंपनी और उसके प्रमोटरों ने लगभग 10.55 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की, जिसे अपराध की आय माना गया है। इससे पहले ईडी ने इस मामले में गुरुग्राम, ग्रेटर नोएडा और लुधियाना में स्थित लगभग 10.55 करोड़ रुपये मूल्य की अचल संपत्तियों (व्यावसायिक यूनिट और स्पेस) को अस्थायी रूप से कुर्क भी किया था।

    ये संपत्तियां कंपनी के निदेशकों शेयरधारकों और लाभकारी मालिकों के नाम पर दर्ज हैं। मामले की सुनवाई अब माननीय विशेष अदालत (पीएमएलए) में की जाएगी।

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