Faridabad Fraud: पति को सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर महिला से ली किडनी, मामले की जांच में जुटी पुलिस
Kidney Transplant को लेकर फरीदाबाद से बड़ा मामला सामने आया है जहां महिला को पति की सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा दिया गया। महिला के किडनी दिए जाने के बाद भी जब नौकरी नहीं दी गई तो पुलिस से शिकायत की गई।

फरीदाबाद, जागरण संवाददाता। किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर फरीदाबाद से एक ऐसा मामला सामने आया है जिससे पुलिस अधिकारी भी हैरत में है। जिले में पति को सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देकर कुछ लोगों ने एक महिला को किडनी देने के लिए राजी कर लिया। महिला की किडनी निकालकर एक मरीज को ट्रांसप्लांट भी कर दी गई। इसके बाद आरोपितों ने महिला के पति को कोई नौकरी नहीं दिलाई, तब महिला को अहसास हुआ कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है।
फेसबुक पर आई थी किडनी दान की अपील
इस मामले को लेकर अब महिला ने पुलिस आयुक्त विकास अरोड़ा को शिकायत दी है। पुलिस आयुक्त ने एसीपी ओल्ड महेंद्र वर्मा को मामले की जांच सौंपी है। यह वारदात सौंहद होडल पलवल की रहने वाली रिंकी सौरोत के साथ हुई। वे यहां पति के साथ बल्लभगढ़ में रहती हैं। उन्होंने पुलिस को बताया कि करीब दो साल पहले पति के फेसबुक अकाउंट पर किडनी दान करने की अपील का विज्ञापन देखा था।
मना करने पर दिया सरकारी नौकरी का झांसा
विज्ञापन देख कर उन्होंने बिना जांच किए सहमति दर्ज करा दी। इसके बाद कुछ लोगों ने रिंकी से संपर्क किया तो उन्होंने किडनी दान करने से मना कर दिया। इसके बाद आरोपितों ने रिंकी को पति की सरकारी नौकरी लगाने का झांसा दिया। वे झांसे में आ गईं और किडनी देने के लिए हामी भर दी।
पीड़िता की किडनी दिल्ली के विनोद मंगोत्रा नाम के व्यक्ति को ट्रांसप्लांट की जानी थी। नियम के तहत परिवार का सदस्य ही किडनी दान कर सकता है। ऐसे में आरोपितों ने विनोद की पत्नी अंबिका के नाम से रिंकी का फर्जी आधार कार्ड और शादी पंजीकरण सर्टिफिकेट बनवाया।
मामला संदेहास्पद होने के कारण कई अस्पतालों ने किडनी ट्रांसप्लांट आपरेशन करने से मना कर दिया। आरोप है कि बाद में क्यूआरजी अस्पताल ने पिंकी की किडनी विनोद को ट्रांसप्लांट की। महिला ने अस्पताल के कर्मियों पर भी मिलीभगत का आरोप लगाया है। एसीपी ओल्ड महेंद्र वर्मा का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। मामले में सच्चाई पाए जाने पर मुकदमा दर्ज कर आरोपितों को गिरफ्तार किया जाएगा।
हो सकता है गिरोह का हाथ
इस मामले से आशंका है कि किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाला कोई गिराेह सक्रिय है। जिस तरह महिला को झांसा दिया गया, कुछ समय के अंदर उसके फर्जी कागज तैयार किए गए वह किसी सामान्य व्यक्ति के बस की बात नहीं है। यह तभी संभव है जब कोई गिरोह इसके पीछे काम कर रहा हो और पहले भी इस तरह के काम कर चुका हो।
इस साल जून में दिल्ली पुलिस ने किडनी रैकेट का पर्दाफाश किया था। उसमें डाक्टर सहित कई अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया था। यह गिरोह गैरकानूनी तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट करने में संलिप्त था। एसीपी ओल्ड महेंद्र वर्मा का कहा है कि इस मामले में गिरोह के एंगल पर भी जांच की जा रही है।
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