Lucknow: कोख से पैदा किए बेटे को दूसरी जिंदगी देने के लिए फिर आगे आई मां, KGMU में किडनी देकर बचाई जान
केजीएमयू के यूरोलाजी नेफ्रोलाजी और ट्रांसप्लांट यूनिट के डाक्टरों ने प्रत्यारोपण किया। प्रत्यारोपण से ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में लगी पैथोजन रीडक्शन मशीन के माध्यम से संक्रमण से मुक्त करके रक्त का उपयोग किया गया। प्रत्यारोपण के बाद मरीज की हालत स्थिर है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में एक मां ने अपने 21 वर्षीय बेटे को नया जीवन दान दिया। बेटे की किडनी खराब हो गई थी। उसका जीवन बचाने के लिए किडनी प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प था। ऐसे में मां किडनी दान देने के लिए आगे आई। शनिवार को सुबह प्रत्यारोपण शुरू किया गया और दोपहर तक इसकी प्रक्रिया पूरी की गई।
किडनी ट्रांसप्लांटेशन के बाद मरीज की हालत ठीक : प्रत्यारोपण के बाद मरीज की हालत स्थिर है। केजीएमयू में बीते दिनों किडनी प्रत्यारोपण शुरू हुआ है। उस समय ब्रेन डेड व्यक्ति की किडनी प्रत्यारोपित की गई थी, जबकि शनिवार को पहला लिविंग ट्रांसप्लांट किया गया। केजीमयू के प्रवक्ता डा. सुधीर सिंह ने बताया कि हरदोई निवासी 21 वर्षीय युवक की किडनी खराब हो गई थी। उनकी मां ने किडनी दान की।
केजीएमयू में पहली बार वर्ष 2016 में शुरू हुआ था किडनी ट्रांसप्लांट : केजीएमयू के यूरोलाजी, नेफ्रोलाजी और ट्रांसप्लांट यूनिट के डाक्टरों ने प्रत्यारोपण किया। प्रत्यारोपण से ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में लगी पैथोजन रीडक्शन मशीन के माध्यम से संक्रमण से मुक्त करके रक्त का उपयोग किया गया। हाल ही में स्थापित की गई अत्याधुनिक मशीन की सहायता से खून को पूरी तरह से विसंक्रमित किया जा सकता है। केजीएमयू में पहली बार वर्ष 2016 से किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करने की तैयारियां शुरू हुई थीं।
ब्रेन डेड युवक की किडनी एक बुजुर्ग में प्रत्यारोपित की गई : प्रत्यारोपण के लिए विशेष आपरेशन थियेटर और डायलिसिस की दो विंग स्थापित की गईं, लेकिन यहां के एकमात्र नेफ्रोलाजिस्ट ने वर्ष 2018 में इस्तीफा देकर एक निजी अस्पताल ज्वाइन कर लिया। इसके बाद प्रत्यारोपण शुरू नहीं हो पा रहा था। इसी महीने ब्रेन डेड युवक की किडनी एक बुजुर्ग में प्रत्यारोपित की गई थी। इसके बाद शनिवार को लिविंग ट्रांसप्लांट की शुरुआत भी हो गई।