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    Faridabad: बसंतपुर से फज्जुपुर तक बाढ़ का असर, फसलें तबाह और घर के सामान बर्बाद, जलस्तर घटा मगर चुनौतियां बरकरार

    Updated: Sat, 06 Sep 2025 03:21 PM (IST)

    यमुना नदी का जलस्तर घटने के बाद भी फरीदाबाद में किसानों की परेशानी कम नहीं हो रही है। खेतों में खड़ी फसलें डूबने से किसानों के सामने चारे का संकट आ गया है। कई घरों में सामान खराब हो गया है और दरारें आ गई हैं। बसंतपुर में चोरी की घटनाओं से लोग परेशान हैं। किसान सरकार से मुआवजे की उम्मीद कर रहे हैं।

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    खेतों में धान, ज्वार,बाजरा सहित अन्य प्रकार की फसलें बर्बाद हो गई हैं। फोटो : जागरण

    जागरण संवाददाता, फरीदाबाद। यमुना नदी का जलस्तर घटना शुरू हो गया है, लेकिन किनारे बसे हुए लोगों व किसानों की परेशानी बरकरार हैं। चुनौतियां अभी कम नहीं हुई हैं। अब भविष्य की चिंता सता रही है, क्योंकि खेतों में खड़ी सैकड़ों एकड़ फसल डूबने से खराब हो गई है। इसलिए अब किसानों के सामने पशुओं के चारे का भी संकट पैदा हो गया है। साथ ही जिन लोगों के मकान डूबे हैं, उनमें रखा सामान भी खराब हो गया है। कई दिनों तक घर से सीलन नहीं जाएगी। बीमारी अलग से फैलेंगी। बसंतपुर में तो हजारों परिवार श्रमिक वर्ग से हैं। मकान की रखवाली के चक्कर में इन लोगों का काम भी छूटा हुआ है। राहत शिविर में ही गुजारा कर रहे हैं। बाढ़ का पानी उतरने के बाद भी इन लोगों के सामने ढेर सारी परेशानियां खड़ी होंगी।

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    फसलें तबाह, किसान को मुआवजे की आस

    यमुना नदी किनारे अधिकतर गांव की जमीन नदी के पार भी है। अधिकतर किसान नदी पार खेतों में ही बनाए गए कमरों में ही यूरिया, डीएपी, बीज रखते हैं। वहीं पर सालभर के लिए टंकियों में अनाज रखा जाता है। ट्रैक्टर सहित अन्य प्रकार की मशीनरी भी साथ रहती है। पशुओं का चारा भूसा के बौंगे बनाए हुए हैं। बाढ़ के पानी में खाद, बीज व भूसे के बौंगे बह गए। ट्रैक्टर व अन्य मशीनरी पर बाढ़ का पानी व गाद जमा हो गई है। इससे मशीनरी खराब हो गई है। खेतों में धान, ज्वार,बाजरा सहित अन्य प्रकार की फसलें बर्बाद हो गई हैं।

    कहां से लाएंगे इतना चारा

    बाढ़ का सबसे अधिक नुकसान किसानों को हुआ है। सबसे अधिक वे किसान परेशान हैं जिन्होंने खेत पट्टे पर लिए हुए हैं। खेत में कुछ बचा नहीं और जमींदार को पूरा पैसा देना है। अब सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उचित मुआवजा मिलेगा।फज्जुपुर गांव निवासी जगत सिंह भाटी, अरुआ गांव के रहने विजय पाल, कल्लू ने बताया कि सालभर के लिए जो चारा भूसा के रूप में रखा था, वह खराब हो गया है। खेत में जिस फसल को तैयार कर रहे थे, वह डूबकर खराब हो गई। इसलिए अब सबसे बड़ा संकट पशुओं के चारे का हो गया है। कहां से इतने चारे का इंतजाम करेंगे। जिनके पास स्टाक होगा, वह इसे महंगा कर देंगे।

    घरों में काफी नुकसान

    बाढ़ प्रभावित घरों में भी काफी नुकसान हुआ है। घरेलू सारा सामान भीगकर खराब हो गया है। पानी लगातार भरा होने की वजह से कई घरों में दरारें आ गई हैं। बिजली के उपकरण फुंक गए हैं। बसंतपुर के आलिया फार्म कालोनी में बीती रात 11 मकानों के ताले टूटे हैं। सभी में से सामान चोरी कर लिया गया है। इसे लेकर स्थानीय लोग परेशान हैं। लोगों ने मांग की है कि यहां पुलिस की गश्त बढ़नी चाहिए।

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    अब शायद नहीं बढ़ेगा जलस्तर

    सिंचाई विभाग के अधिकारी उम्मीद जता रहे हैं कि अब शायद जलस्तर अधिक नहीं बढ़ेगा। क्योंकि पीछे से पानी अधिक नहीं आ रहा है। जिले की यमुना नदी में करीब दो लाख क्यूसिक पानी बह रहा है। यह भी हर घंटे कम हो रहा है। 

    प्रशासन की ओर से रहने और खाने की कोई व्यवस्था नहीं है। हमें तो इस बारे में पता ही नहीं है। हमारी फसल तबाह हो चुकी है। अपने मालिक के घर में रह रहे हैं।

    -देशराज, बसंतपुर काॅलोनी

    प्रशासन का तो पता नहीं, हम तो अपने स्तर पर शिविर लगा रहे हैं, यहां खाने का इंतजाम किया हुआ है। अन्य सक्षम लोगों को भी बाढ़ ग्रस्त लोगों की मदद को आगे आना चाहिए।

    -मोहम्मद आलिम, स्थानीय निवासी

    हम रहते तो हरियाणा में हैं लेकिन खाना दिल्ली में जाकर नसीब हुआ, वह भी मदरसे से। यहां कोई व्यवस्था नहीं है। लोगों के मकानों में लगातार चोरी हो रही है। पुलिस की गश्त नहीं है। काफी परेशान हो गए हैं।

    -मोहम्मद कासिम, आलिया फार्म, बसंतपुर

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