आधार कार्ड में की थी छेड़छाड़, 3.5 साल बड़ों की जेल में रहे नाबालिग; अब जुवेनाइल बोर्ड में चलेगा ट्रायल
फरीदाबाद में पॉक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तार दो नाबालिगों ने आधार कार्ड पर दर्ज उम्र के कारण साढ़े तीन साल सामान्य जेल में बिताए। हाईकोर्ट के आदेश पर शारी ...और पढ़ें

दीपक पांडेय, फरीदाबाद। पोक्सो के मामले में तीन साल आठ महीने सामान्य जेल में बंद रहे दो आरोपियों की हाई कोर्ट के आदेश पर जब उम्र की शारीरिक जांच हुई तो वह मुकदमा दर्ज होने के समय नाबालिग निकले। अब उनका मुकदमा जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में चलेगा।
हैरानी की बात यह है कि ट्रायल शुरू होने से पहले ही आरोपी न्यायिक हिरासत में जेल में रह कर उतनी सजा तो काट ही चुके हैं, जो अगर वह दोषी साबित पाए जाते हैं और बोर्ड उन्हें जो सजा सुनाती।
धौज थाने में जनवरी 2021 में पहले दो नाबालिग जो रिश्ते में चाचा भतीजे लगते हैं, उन पर पाक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया था। एक नाबालिग पर छेड़खानी की धारा आठ और दूसरे पर दुष्कर्म में धारा छह के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। उस समय आरोपी के स्वजन ने दावा किया गया था कि दोनों नाबालिग हैं, लेकिन कम उम्र का आधार बताने के लिए स्वजन के पास कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं था।
तब उनके आधार कार्ड पर आयु से संबंधित जो जानकारी थी, पुलिस ने उसी आधार पर मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार कर अदालत में भेज दिया था, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में आम जेल भेज दिया गया था।
वर्ष 2023 में अभियोजन पक्ष की तरफ से सारी गवाही पूरी होने की स्टेज पर आरोपित पक्ष की वकील संतोष भारद्वाज ने स्वजन के कहने पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हेमराज मित्तल की कोर्ट में आसीफिकेशन टेस्ट (हड्डी आयु परीक्षण) के लिए अर्जी लगाई। कोर्ट ने अर्जी को खारिज कर दी। स्वजन ने हाई कोर्ट में दोनों की आयु जांच करने के लिए फिर से अर्जी लगाई।
हाई कोर्ट के आदेश पर दोनों आरोपितों की शारीरिक जांच कराई गई। जांच में पाया गया कि मुकदमा दर्ज होने के समय दोनों नाबालिग थे। इस आधार पर दोनों की जमानत हो गई। इसके बाद केस को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में भेज दिया गया। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने दोनों का असेसमेंट टेस्ट कराया तो उसमें दुष्कर्म के आरोप में शामिल नाबालिग का मानसिक स्तर आधा पाया गया।
असेसमेंट टेस्ट डाक्टरों के बोर्ड की ओर से किया जाता है, जिसमें किसी भी अपराधी का मानसिक स्तर की जांच होती है। दोनों जांच पूरी होने के बाद जेएमआइसी (जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सदस्य) सौरव शर्मा के सामने हुई बहस में दोनों नाबालिगों का केस लड़ रही वकील ने कहा कि पहले ही दोनों अपनी अधिकतम सजा से भी अधिक सजा काट चुके हैं।
जब मुकदमा दर्ज किया गया तो दोनों नाबालिग थे। इसलिए अब इनका ट्रायल जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में ही चलना चाहिए। जिसके बाद कोर्ट की ओर से दोनों को नाबालिग मानते हुए ट्रायल जुवेनाइल में चलाने के आदेश दिए।
यह भी पढ़ें- 'अब मैं कमाउंगा, आप आराम से बैठकर खाना', पिता से यह कहकर नौकरी की तलाश में फरीदाबाद आए धीरज की सरिया घुसने से मौत

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।