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    किताब भी लिख चुके हैं IIT बाबा अभय सिंह, 'ए ब्यूटीफुल प्लेस टू गेट लास्ट' क्यों हो रही ट्रेंड? दिया यह खास संदेश

    Updated: Sun, 19 Jan 2025 08:43 PM (IST)

    आईआईटी बाबा की किताब ए ब्यूटीफुल प्लेस टू गेट लास्ट आत्म-अन्वेषण और आध्यात्मिकता की यात्रा पर ले जाती है। यह पुस्तक सही और गलत की धारणाओं को चुनौती दे ...और पढ़ें

    IIT बाबा अभय सिंह की किताब में क्या खास है?

    अमित पोपली, झज्जर। वैरागी अभय सिंह, जिन्हें प्यार से आईआईटी बाबा के नाम से जाना जाता है। झज्जर के गांव सासरौली से संबंध रखने वाले एक पूर्व एयरोस्पेस इंजीनियर हैं, जो आध्यात्मिक साधक बन गए हैं। आईआईटी बॉम्बे से स्नातक होने के बाद उन्होंने आत्म-खोज और आंतरिक शांति की खोज के लिए अपने एक सफल करियर तक को पीछे छोड़ दिया।

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    'ए ब्यूटीफुल प्लेस टू गेट लास्ट', 195 पेज की वैरागी अभय सिंह द्वारा लिखी गई पुस्तक भी इस समय उनकी तरह खूब ट्रेंड कर रही है। बाकायदा अभय सिंह ने अपने इंस्टा प्रोफाइल पर लिंक भी डाला है, देखा जाए तो पुस्तक सही और गलत की कठोर धारणाओं को चुनौती देती है। मन और आत्मा के जंगल में अन्वेषण को प्रोत्साहित करती है। काव्यात्मक गद्य और गहन अंतर्दृष्टि के माध्यम से यह अस्तित्व के सार, प्रेम की प्रकृति और वास्तविक संबंध के महत्व पर प्रकाश डालती है।

    क्या है आईआईटी बाबा की किताब में

    महाकुंभ से वायरल हो रहे अभय सिंह के हर वीडियो से उनके जीवन से जुड़े पन्नों को पलटने का जिस तरह से काम हो रहा है, ठीक वैसे ही पुस्तक में यह जटिल विषयों से दूर नहीं जाती है। जिसमें उल्लिखित है सच्चे अन्वेषण के लिए साहस और पूर्वाग्रहों को छोड़ने की इच्छा की आवश्यकता होती है।

    कहा जा सकता है यह ऐसे सभी लोगों के लिए है जो आत्म-अन्वेषण की यात्रा पर निकलने, सामाजिक अपेक्षाओं को त्यागने और बस होने में निहित, गहन सुंदरता की खोज करने के लिए तैयार हैं। यह पुस्तक मानव अस्तित्व, चेतना, प्रेम और अर्थ की खोज पर गहन दार्शनिक विषयों और प्रतिबिंबों की खोज करती है।

    'मैं' और 'तुम' की सीमाओं को भंग कर देता

    पुस्तक को अगर श्रेणीबद्ध किया जाए तो इसमें मानव अस्तित्व और अर्थ, स्वतंत्रता और सीमाएं, वर्तमान क्षण, प्रेम और स्वीकृति, बिना किसी डर के अन्वेषण, नियंत्रण का भ्रम, दार्शनिक चिंतन, मन और चेतना, द्वैत और अद्वैत, प्रश्नों की प्रकृति से लेकर इसमें ऐसे अन्य बिंदुओं का समावेश करते हुए लिखा गया है, जिसमें बताया गया है प्रेम सशर्त या दिशात्मक नहीं है, यह बिना किसी निर्णय के स्वयं और दूसरों की शुद्ध स्वीकृति है।

    सच्चा प्रेम 'मैं' और 'तुम' की सीमाओं को भंग कर देता है, जिससे एकता और सद्भाव पैदा होता है। संदेह, जिसे अक्सर कमजोरी के रूप में खारिज कर दिया जाता है, विकास और समझ का प्रवेश द्वार है। विपरीतताओं के बीच परस्पर क्रिया- प्रकाश और अंधकार, प्रेम और घृणा - मानव अनुभव को परिभाषित करती है, लेकिन अंतिम अहसास द्वैत से परे है।

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