IITian बाबा अभय सिंह को हरियाणा के लोगों ने दे दिया बड़ा ऑफर, वापस आते हैं तो क्या करेंगे काम? जानिए
प्रयागराज महाकुंभ में इंटरनेट मीडिया पर छाए आईआईटियन बाबा अभय ग्रेवाल को हरियाणा के लोगों ने बड़ा ऑफर दिया है। वे चाहते हैं कि बाबा हरियाणा आकर समाजहित में काम करें। बाबा का परिवार मूल रूप से भिवानी के गांव बामला का रहने वाला है। बामला के प्रबुद्ध लोग बाबा को संस्था खोलने और जगह दिलाने में मदद करने को तैयार हैं।

जागरण संवाददाता, भिवानी। प्रयागराज महाकुंभ में इंटरनेट मीडिया पर छाए आईआईटियन बाबा अभय ग्रेवाल रातों-रात हरियाणा के लोगों के दिलों पर छाए हैं। उनको अपने यहां बुलाने की बेताबी देखी जा रही है। लोग कहने लगे हैं कि बाबा संस्थान बनाकर समाजहित में काम करना चाहें तो उनका पूरा साथ दिया जाएगा।
मूल रूप से इन बाबा का परिवार भिवानी के गांव बामला का रहने वाला है। ऐसे में बामला के प्रबुद्ध लोग भी सामने आए हैं और उनका कहना है कि आईआईटियन बाबा यहां आते हैं तो उनकी संस्था खुलवाने में पूरा साथ दिया जाएगा। यहां पर जगह दिलाने में भी मदद की जाएगी।
सामाजिक बदलाव, शिक्षा की अलख जगाने में अहम काम करना चाहें तो बाबा का यहां स्वागत रहेगा। इस युवा बाबा का हरियाणा के भिवानी और झज्जर से सीधा लगाव है।
50 वर्ष पहले भिवानी से झज्जर गया था बाबा का परिवार
ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार बाबा बने अभय ग्रेवाल का परिवार मूल रूप से गांव बामला के हैं और 50 वर्ष पहले यहां से सासरौली झज्जर गए थे। अभय के पिता कर्ण सिंह ग्रेवाल अधिवक्ता परिषद झज्जर के अध्यक्ष रह चुके हैं।
बाबा ने 2021 में प्राकृतिक चिकित्सालय में लिया था उपचार
आईआईटियन बाबा अभय ग्रेवाल ने वर्ष 2021 में भिवानी के प्राकृतिक चिकित्सालय में दो सप्ताह स्वास्थ्य लाभ लिया था। वह बहुत ही साधारण और टौलेंट के धनी हैं। उनका स्वभाव भी मिलनसार रहा है। दूसरे मरीजों और स्टाफ के लोगों से वह सहज ही घुल मिल गए थे। योग के महत्व को भी उन्होंने समझा और नियमित योग अभ्यास करने के अलावा स्वास्थ्य लाभ लिया। थोड़े समय में ही अपने अच्छे व्यवहार से वह सबके चहेते बन गए थे।
बामला में कोई संस्था बनाकर काम करना चाहें तो स्वागत
युवा अवस्था में बाबा बने अभय ग्रेवाल का परिवार मूल रूप से गांव बामला का है। वह अच्छे भले परिवार से हैं। प्रयागराज में वह इंटरनेट मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं। वह शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र आदि में अहम काम करना चाहते हैं तो उनकी मदद के लिए हम तैयार हैं।
बामला में आकर काम करना चाहेंगे तो उनका स्वागत किया जाएगा। किसी भी प्रकार की मदद की जरूरत पड़ी तो वह भी की जाएगी।
सासरौली गांव से भी उनके पास फोन आ रहे हैं। वहां पर भी वह आकर बाबा के रूप में भी काम करना चाहें तो उनका स्वागत किया जाएगा। हर तरह की मदद की जाएगी। जल्द ही उनसे मिलने का कार्यक्रम भी बनाया जाएगा।
- सुंदर पहलवान, गांव बामला
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