Burning Train बनी दिल्ली-बठिंडा इंटरसिटी, यात्रियों से भरी ट्रेन के पिछले इंजन में लगी आग; होते-होते टला बड़ा हादसा
दिल्ली से बठिंडा वाया रोहतक जाने वाली दिल्ली बठिंडा इंटरसिटी (20409/20410) के इंजन में अज्ञात कारणों के चलते आग लग गई। चलती ट्रेन में आग ट्रेन के पिछले इंजन में लगी थी। ऐसे में ट्रेन चालक ने गाड़ी के तुरंत ब्रेक लगाए और उसे रोककर पर आग पर काबू पाने का प्रयास किया। ट्रेन स्टाफ की सूझबूझ से बड़ा हादसा टल गया है।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। Haryana News: दिल्ली से बठिंडा वाया रोहतक जाने वाली दिल्ली बठिंडा इंटरसिटी (20409/20410) के इंजन में अज्ञात कारणों के चलते आग लग गई। चलती ट्रेन में आग ट्रेन के पिछले इंजन में लगी थी। आग लगने के कारणों का पता नहीं चल सका है। बहादुरगढ़ से कुछ किलोमीटर रोहतक की तरफ गांव आसौदा के पास हिंदुस्तान पेट्रोलियम के गोदाम के पास ट्रेन में आग लगी थी।
इंजन स्टाफ की सूझबूझ से बुझी आग
आग लगने की वजह से यह गाड़ी 15 मिनट तक खड़ी रही। इंजन स्टाफ की सूझबूझ द्वारा किसी तरह आग पर काबू पाया जा सका और उसके बाद यह गाड़ी बिना किसी रुकावट के अपने गंतव्य के लिए रवाना हुई। दिल्ली से चलकर बठिंडा की तरफ जाने वाली दिल्ली बठिंडा इंटरसिटी (20409/20410) इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन करीब साढ़े आठ बजे बहादुरगढ़ से रोहतक की तरफ निकली थी। इस ट्रेन का बहादुरगढ़ में ठहराव नहीं है।
पिछले इंजन के केबन में लगी आग
जब यह ट्रेन बहादुरगढ़ शहर से निकली तो इसके पिछले इंजन के केबन में आग लग गई। जैसे ही आग का पता चला तो करीब पौने नौ बजे ट्रेन उस समय आसौदा के एचपी प्लांट के गोदाम के पास पहुंच चुकी थी। ऐसे में ट्रेन चालक ने गाड़ी के तुरंत ब्रेक लगाए और उसे रोककर पर आग पर काबू पाने का प्रयास किया। ट्रेन से भारी मात्रा में धुआं उठ रहा था।
'ट्रेन में थे कई यात्री, आग भड़कती तो होता बड़ा हादसा'
आग काफी भयंकर थी लेकिन इंजन के केबिन में रखे अग्निशमन यंत्रों का प्रयोग करके तुरंत आग पर काबू पाया जा सका। इसके बाद ट्रेन रोहतक की तरफ रवाना हो गई। आग से कोई जान-माल के नुकसान का अनुमान नहीं है। आग के कारणों का भी पता नहीं चल सका है।
बड़ा हादसा होते-होते टला
दैनिक रेल यात्री संघ के प्रवक्ता सतपाल हाडा ने बताया कि ट्रेन में काफी संख्या में यात्री थे। अगर आग और तेज भड़कती तो बड़ा हादसा हो सकता था। अगर आग और फैलती तो पास पेट्रोलियम का गोदाम था तो हादसा और भी बड़ा हो सकता था। ऐसे में ट्रेन स्टाफ की सूझबूझ से बड़ा हादसा टल गया है।