Haryana OPS News: हरियाणा में अभी नहीं लागू होगी ओल्ड पेंशन स्कीम, CM मनोहर लाल ने विधानसभा में बताई वजह
हरियाणा में ओल्ड पेंशन स्कीम की आस लगाए बैठे कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा है। हरियाणा सरकार ने साफ कर दिया है कि अभी प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू ...और पढ़ें

चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो। Haryana Old Pension Scheme एक तरफ हरियाणा के कर्मचारी संगठन ओल्ड पेंशन को लेकर आंदोलन कर रहे हैं तो दूसरी तरफ प्रदेश सरकार ओल्ड पेंशन योजना को लागू करने को लेकर पीछे हट गई है। कर्मचारी संगठनों के दबाव सरकार द्वारा ओपीएस के मुद्दे पर रिपोर्ट देने के लिए बकायदा एक कमेटी का भी गठन किया गया है, लेकिन शुक्रवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विधानसभा में इस मुद्दे पर सरकार की स्थिति को साफ कर दिया।
महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने अतारांकित सवाल के माध्यम से ओल्ड पेंशन लागू करने को लेकर सरकार से जवाब मांगा था। कुंडू के इस सवाल पर सदन में बहस तो नहीं हो सकी लेकिन सरकार ने इसका लिखित जवाब दिया है। हरियाणा सरकार ने सदन में स्वीकार किया है कि प्रदेश के कर्मचारी संगठन इस समय ओल्ड पेंशन योजना लागू करने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
'केंद्र ने 2001 में किया था समिति का गठन'
मुख्यमंत्री ने वित्त मंत्री होने के नाते सदन को बताया कि पेंशन की भारी वित्तीय देनदारी का अध्ययन करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2001 में एक समिति का गठन किया गया था। समिति की सिफारिशों के आधार पर केंद्र सरकार ने पेंशन देनदारियों के भुगतान के लिए एक कोष को अलग रखने के लिए एक जनवरी 2004 से परिभाषित अंशदान पेंशन प्रणाली शुरू की थी। जिसे अब राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) कहा जाता है।
'2006 में लागू हुआ एनपीएस'
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि इसके बाद एक जनवरी 2006 को हरियाणा की तत्कालीन सरकार ने कर्मचारियों के लिए एनपीएस को लागू किया था। एनपीएस के संबंध में मूलभूत सिद्धांत वही बने हुए हैं। वर्तमान में हरियाणा सरकार अपने कर्मचारियों के लिए 14 प्रतिशत की दर से मासिक अंशदान पेंशन देनदारियों में कर रही है, जबकि कर्मचारी अंशदान 10 प्रतिशत है।
हरियाणा में ओपीएस को लागू करने पर सीएम ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि राज्य सरकार आमतौर पर वेतन और पेंशन के मामले में केंद्र सरकार का अनुसरण करती है। भारत सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत पेंशन के मुद्दे पर विचार करने के लिए एक समिति का गठन कर दिया है। समिति की अनुशंसा के आधार पर केंद्र सरकार द्वारा निर्णय लेने के बाद ही राज्य सरकार इस बारे में कोई फैसला करेगी।

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