Ambala Mayor Election: मेयर पद के लिए बीजेपी और कांग्रेस में सीधी टक्कर, किसी और पार्टी ने नहीं उतारे कैंडिडेट
Ambala Mayor Election 2025 अंबाला शहर में मेयर पद के लिए हो रहे उपचुनाव में केवल कांग्रेस प्रत्याशी अमीषा चावला ने ही अपना नामांकन दाखिल किया है। भाजप ...और पढ़ें

उमेश भार्गव, अंबाला शहर। Ambala Mayor Election मेयर पद के लिए शहर में हो रहे उपचुनाव के आखिरी दिन केवल कांग्रेस प्रत्याशी अमीषा चावला ने ही अपना नामांकन दाखिल किया। इसके अलावा न तो किसी आजाद उम्मीदवार ने आवेदन किया न ही किसी भी पार्टी ने अपने प्रत्याशी चुनावी समर में उतारने की जरूरत समझीं।
हालात यह रहे कि शहर में इतने प्रतिष्ठित पद के लिए इनेलो, जजपा, बसपा, आम आदमी पार्टी किसी के तरकश से कोई भी नहीं बाण निकलना तो दूर की बात किसी नेता के मुंह से अभी तक कोई शब्द तक नहीं निकला।
पिछले चुनाव में 5 प्रत्याशी लड़े थे चुनाव
इससे पहले 27 दिसंबर 2020 को हुए चुनाव में मेयर के लिए पांच प्रत्याशी चुनावी समर में उतरे थे। इनमें उस समय सीधी टक्कर भाजपा की प्रत्याशी रहीं डॉ. वंदना शर्मा और हरियाणा जनचेतना पार्टी के अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री की पत्नी शक्तिरानी शर्मा जो कि वर्तमान में कालका से भाजपा की विधायक हैं, के बीच हुई थी और इसमें शक्तिरानी शर्मा आठ हजार से ज्यादा वोट से जीत गई थी।
कांग्रेस प्रत्याशी मीना अग्रवाल चौथे और वर्तमान में कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ रही अमीषा चावला ने हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट जिसके अध्यक्ष निर्मल सिंह थे की ओर से लड़ते हुए 16 हजार से ज्यादा वोट हासिल कर तीसरा स्थान पाया था। लेकिन इस बार मैदान एकदम साफ है और तीसरी पार्टी ही नहीं है।
भाजपा के पास है 14 पार्षद, कांग्रेसी मात्र पांच
20 वार्डों की बात करें तो भाजपा के पास इस समय 14 पार्षद हैं। इनके अलावा दो मनोनीत पार्षद भी भाजपा के हैं। लेकिन कांग्रेस के पास केवल 5 ही पार्षद हैं। ऐसे में भाजपा का गढ़ शहर में काफी मजबूत नजर आ रहा है। पूर्व में शहर से मेयर रहीं शक्तिरानी शर्मा भी भाजपा खेमे में आ चुकी हैं और सीधे तौर पर वह भाजपाइयों के समर्थन में वोट भी मांग रही हैं।
2013 में रमेश मल बने थे पहली बार मेयर
इससे पहले अंबाला शहर और छावनी को मिलकर जब संयुक्त नगर निगम का चुनाव हुआ था तो रमेश मल को मेयर बनाया गया था। रमेश मल बतौर पार्षद चुनाव लड़े थे। पूर्व मंत्री विनोद शर्मा के समर्थन ने उन्हें सभी पार्षदों ने अपना वोट देकर मेयर चुन लिया था। लेकिन उस समय मेयर का सीधा चुनाव नहीं होता था।
इसके बाद पहली बार छावनी से अलग होकर बने नगर निगम में महिला के लिए यह सीट आरक्षित की गई। 31 दिसंबर 2020 को जारी हुए नतीजों में शक्तिरानी शर्मा को 37 हजार 604 वोट मिले थे जबकि डॉ. वंदना शर्मा को 29520 वोट मिले थे।
कांग्रेस का विधायक होने के बावजूद नहीं दिखाई दिलचस्पी
वर्तमान में शहर में कांग्रेस का विधायक है। वर्ष 2020 में भी भाजपा से मेयर का टिकट लेने वालों की लंबी सूची थी। कांग्रेस से मेयर का टिकट में कई उम्मीदवारों ने मांगा था लेकिन इस बार स्थिति कांग्रेस की बिल्कुल विपरीत रही। कोई भी चुनाव लड़ने का इच्छुक ही नहीं था।
अमीषा चावला को भी दीपेंद्र हुड्डा ने खुद फोन किया तब उन्होंने आवेदन किया जबकि भाजपा से 21 लोगों ने टिकट मांगी थी। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में शहर हलके से कांग्रेस को जीत मिलने के बावजूद कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ने के इच्छुकों की कमी ने ही कार्यकर्ताओं के जोश को कम कर दिया।

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