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    घोटाले की रिकवरी में भी बड़ा खेल, रेलवे और कंपनी के बीच चल रहा 'ब्‍लेम गेेम'

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Thu, 29 Nov 2018 12:43 PM (IST)

    जम्मू-उधमपुर रेलखंड के विद्युतीकरण के दौरान 32 मीट्रिक टन कॉपर चोरी के प्रकरण में रेलवे और संबंधित कंपनी के बीच ब्‍लेम गेम चल रहा है।

    घोटाले की रिकवरी में भी बड़ा खेल, रेलवे और कंपनी के बीच चल रहा 'ब्‍लेम गेेम'

    अंबाला, [दीपक बहल]। जम्मू-उधमपुर रेलखंड के विद्युतीकरण के दौरान 32 मीट्रिक टन कॉपर चोरी के प्रकरण में 'ब्‍लेम गेम' शुरू हाे गया है। इस मामले में रेलवे ने क्वालिटी इंजीनियर्स एंड कांट्रेक्टर्स कंपनी को जिम्मेदार बताया है। दूसरी ओर  कंपनी ने रेलवे के पांच अधिकारियों पर पद का दुरुपयोग करने का आरोप जड़ दिया है। कांट्रेक्टर कंपनी के अधिकारी इसे चोरी के बजाय बदले की भावना से जुड़ा प्रकरण बता रहे हैं।

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    कॉपर चोरी प्रकरण में कांट्रेक्टर ने सीबीआइ तो रेलवे ने आरपीएफ को लिखी चिट्ठी

    कंपनी के डायरेक्टर सतीश सतीश मांडवकर ने बताया कि उसने गलत तरीके से रिकवरी निकालने पर सीबीआइ को शिकयात दी है। इसके बाद उससे सीबीआइ के एक अधिकारी ने अंबाला आकर पूछताछ की और कुछ दस्तावेज मांगे थे। उसने फिर से विस्तृत ब्योरा देते हुए सीबीआइ निदेशक को शिकायत भेज दी है। इसमें सतीश ने रेलवे बोर्ड के एक शीर्ष अधिकारी सहित अंबाला के चार अफसरों पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

    रेलवे ने पहले तो दस करोड़ रुपये की रिकवरी निकाली, अब चार करोड़ कर दी

    सतीश का कहना है कि जम्मू-उधमपुर रेल खंड की गारंटी अवधि खत्म होने के बाद सात माह में टेंडर रद कर दिया गया। पहले रेलवे ने कॉपर चोरी होने पर कंपनी पर 10 करोड़ रुपये की रिकवरी निकाल दी। बाद में मिलान करने पर यह चार करोड़ रुपये के आसपास रह गई। सतीश का कहना है कि उसने 18 मीट्रिक टन कॉपर रेलवे में जमा करवा दिया, लेकिन उसकी एंट्री रेलवे के रजिस्टर में नहीं मिली, जबकि उसके पास रिसीविंग है।

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    बता दें कि जम्मू-उधमपुर रेलखंड के विद्युतीकरण के लिए कंपनी को यह कापर उपलब्ध कराया गया था। विद्युतीकरण के बाद 32 मीट्रिक टन कॉपर बच गया था। नियमानुसार इसे रेलवे के स्टोर में जमा कराया जाना था, लेकिन आराेप है कि इसे जमा नहीं कराया गया।

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    इस बारे में रेलवे के अंबाला के मुख्य परियोजना अधिकारी (विद्युतीकरण) का कहना है कि 32 मीट्रिक टन कॉपर कांट्रेक्टर ले गया है, जिसकी चार करोड़ रुपये की रिकवरी निकाली गई है। आरपीएफ (रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स) में केस दर्ज करने के लिए अर्जी दी जा चुकी है। कांट्रेक्टर के लगाए आरोप निराधार हैं। कांट्रेक्टर के खिलाफ शिकायत मिलने की बात आरपीएफ के सीनियर कमांडेंट ने स्वीकार तो की, लेकिन बताया कि अभी केस नहीं दर्ज किया गया है।

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    सीवीसी में शिकायत की थी इसी का बदला ले रहे अफसर : सतीश

    कांट्रेक्टर कंपनी के डायरेक्टर सतीश का कहना है कि उसने रेलवे बोर्ड के एक शीर्ष अधिकारी के खिलाफ केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) में टेंडर देने में अनियमितता की शिकायत की थी। संबंधित अधिकारी उस समय सीईई कंस्ट्रक्शन के पद पर तैनात था। उस समय टेंडर देने में गड़बड़ की गई, जिसकी शिकायत की प्रतिलिपि भी सीबीआइ को भेजी गई है। उसका आरोप है कि इसी कारण अब उसे प्रताडि़त किया जा रहा है।

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