हथियार और रक्षा उपकरण की खरीद में अब नहीं होगी देरी, तीनों सेनाओं के डेस्क अधिकारियों को दिया गया प्रशिक्षण
देश की रक्षा के लिए हथियारों और उपकरणों को खरीदने में देरी न हो इसके लिए थलसेना नौसेना एवं वायुसेना के डेस्क के संबंधित अधिकारियों को गुजरात के रक्षा विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण दिया गया। अधिकारियों को देश विदेश से खरीदे जाने वाले आधुनिक हथियारों के बारे में भी बताया गया।

शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद। देश की रक्षा के लिए हथियारों और उपकरणों को खरीदने में देरी न हो इसके लिए थलसेना, नौसेना एवं वायुसेना के डेस्क के संबंधित अधिकारियों को गुजरात के रक्षा विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण दिया गया। अधिकारियों को देश विदेश से खरीदे जाने वाले आधुनिक हथियारों की तकनीक, उपयोगिता एवं युद्ध में उसकी जरुरत के बारे में भी बताया गया।
मुख्यालय में बैठकर पता लगाना होता है मश्किल
रक्षा विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष एवं सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल असित मिस्त्री ने बताया कि रक्षा मंत्रालय या विभाग के मुख्यालय में बैठकर अंदाजा लगाना मुश्किल होता है कि सीमा पर तैनात जवानों को किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। सैनिकों को जरूरतें क्या हैं। रक्षा मंत्रालय ने डिफेंस एक्विजीशन विंग के अधिकारियों को इसका व्यावहारिक प्रशिक्षण दिलाने के लिए गांधीनगर स्थित रक्षा विश्वविद्यालय भेजा, जहां उन्हें हजीरा, मुंबई, वडोदरा में सेना, वायुसेना तथा नौसेना के लिए बनाए जाने वाले हथियारों व उपकरणों की तकनीक के बारे में समझाया गया।
उन्हें राजस्थान के पोखरण व सीमावर्ती क्षेत्र में ले जाकर जवानों को आने वाली दिक्कतों से रुबरु कराया गया। इन दिक्कतों को जानने के बाद अधिकारी रक्षा उपकरणों की खरीद की प्रक्रिया में अधिक सक्रियता दिखाएंगे। इसके लिए रक्षा विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल असित मिस्त्री एवं सेवानिवृत्त कर्नल केजे सिंह ने पाठ्यक्रम तैयार किया है।
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