Ramanand Sagar की रामायण में देसी जुगाड़ से दिखाए गए थे बादल, अगरबत्ती के धुएं का भी हुआ था इस्तेमाल
रामानंद सागर (Ramanand Sagar) की रामायण जो 1987 में दूरदर्शन पर प्रसारित हुई आज भी अपने देसी जुगाड़ के लिए याद की जाती है। रामायण (Ramayan) में बादल और धुंध दिखाने के लिए कुछ खास देसी जुगाड़ लगाए गए थे क्योंकि उस समय तकनीक का विस्तार आज के जितना नहीं होता था।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। दूरदर्शन की रामायण का जिक्र अक्सर धार्मिक सीरियल देखने के शौकीनों के बीच होता है। रामानंद सागर की रामायण को टीवी पर काफी ज्यादा पसंद किया गया और लोगों ने राम-सीता का किरदार निभाने वाले कलाकारों को भगवान मानना शुरू कर दिया था। लॉकडाउन के दौरान एक बार फिर से रामायण को दिखाया गया, जब सीरियल्स के नए एपिसोड नहीं आ रहे थे। साल 1987 में टीवी पर आए इस सीरियल में कई देसी जुगाड़ लगाए गए थे।
रामायण की शूटिंग के दौरान वीएफएक्स और आधुनिक तकनीक का अभाव था। इसके बावजूद रामानंद सागर ने अपनी टीम और खुद के आइडियाज की बदौलत रामायण को लोगों का पसंदीदा धार्मिक सीरियल बना दिया। यही कारण है कि दर्शक आज भी दूरदर्शन की रामायण को याद रखते हैं। शो के निर्माता प्रेम सागर ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कैसे कुछ साधारण चीजों का इस्तेमा करके बेहतरीन इफेक्ट्स तैयार किए गए थे।
रामायण में कैसे दिखाए गए थे बादलों के सीन?
राम और रावण के बीच युद्ध के दौरान बादलों के सीन खूब देखने को मिले। इस तरह के सीन दिखाने के लिए रुई का इस्तेमाल किया गया। दरअसल, रुई को हवा में हिलाकर ऐसा सीन तैयार किया जाता था, जिससे ऐसा लगे की बादल आसमान में तैर रहे हैं। जब आप रामायण देखते हैं, तो ऐसा लगता भी नहीं है कि बादल असली नहीं है। सब कुछ इतनी सफाई से किया गया है कि किसी को इस बात का अंदाजा भी नहीं लगता है।
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प्रेम सागर ने इस बात का खुलासा भी किया कि अगर सुबह की शूटिंग होती, तो धुंध दिखाने के लिए अगरबत्ती के धुएं का इस्तेमाल किया जाता था। वहीं, रात का सीन दिखाने के लिए रुई का इस्तेमाल करके बादल बनाए जाते थे। इस बारे में उन्होंने बताया कि वह कई बार रात को शीशे पर रुई लगाते थे। फिर उससे इफेक्ट्स तैयार किए जाते थे। रामायण के कुछ सीन देखकर लोगों के रोंगटे भी खड़े हो जाते थे।
समुद्र और झील दिखाने के लिए भी लगाया गया था जुगाड़
रामायण में झील और समुद्र का सीन दिखाने के लिए भी जुगाड़ लगाया गया था। इसके लिए शीशे और ब्लू बैकग्राउंड का इस्तेमाल किया गया था। खास बात यह है कि रामानंद सागर की रामायण में इन सभी सीन्स को इतनी सफाई के साथ पर्दे पर दिखाया गया कि कोई चाहकर भी इन बातों के ऊपर भरोसा नहीं कर सकता है। हालांकि, यह साफ है कि उस समय तकनीक आज की तुलना में ज्यादा नहीं थी। ऐसे में निर्माता को कई तरह के जुगाड़ कुछ सीन्स के लिए लगाने पड़े थे।
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