Thug Life Review: 'रावण' से भी ज्यादा खराब है 'ठग लाइफ', कहानी जानकर खुद को 'ठगा' महसूस करेंगे दर्शक?
लाजर्र देन लाइफ फिल्में बनाने के लिए मशहूर मणि रत्नम अपनी नई फिल्म ठग लाइफ के साथ एक बार फिर से ऑडियंस के बीच लौट आए हैं। इस फिल्म में कमल हासन अली फजल और तृषा कृष्णन जैसे सितारों ने काम लिया है। गैंगस्टर की जिंदगी पर आधारित ये फिल्म दर्शकों की पॉकेट ढीली करवाने के बाद उन्हें टोटल निराश कर सकती है। यहां पर पढ़ें रिव्यू

प्रियंका सिंह, मुंबई। नायकन फिल्म के 38 साल बाद निर्देशक मणि रत्नम और अभिनेता कमल हासन की जोड़ी ठग लाइफ के साथ फिर थिएटर में लौटी है। सिनेमाघरों में रिलीज हुई इस बड़े बजट की फिल्म से फैंस काफी उम्मीदें जुड़ी हैं। सवाल ये उठ रहा है कि क्या नायकन की सफलता यह जोड़ी दोहरा पाएगी।
क्या है 'ठग लाइफ' की कहानी?
साल 1994 में दिल्ली में गैंगस्टर रंगाया शक्तिवेल (कमल हासन) और उसका बड़ा भाई माणिक्कम (नासर) दूसरे गैंगस्टर सदानंद (महेश मांजरेकर) से डील कर रहे होते हैं। सदानंद धोखा करता है, वह अपने साथ पुलिस लेकर आता है। वहां गोलीबारी होती है, जिसमें अखबार बांटने वाला एक व्यक्ति मारा जाता है। उसके दोनों बच्चे अमर और चंद्रा बिछड़ जाते हैं। अमर को शक्तिवेल अपने साथ बचाकर ले जाता है।
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वहां से कहानी साल 2016 में आती है। सदानंद के भांजे को मारकर जेल जाते समय शक्तिवेल अपनी जगह युवा अमर (सिलंबरासन टीआर) को सारे फैसले लेने का हक देता है। मणिक्कम को यह बात बुरी लगती है। एक समय ऐसा आ जाता है कि मणिक्कम और अमर ही शक्तिवेल को मारने की साजिश रच देते हैं।
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थिएटर जाकर ऑडियंस को ठगा हुआ महसूस होगा?
फिल्म की पटकथा मणि रत्नम और कमल हासन ने मिलकर लिखी है, जो इतनी बिखरी है कि आप अंत तक समेटते रह जाएंगे। फिल्म में कहानी के साथ ठगी हुई है। कहानी के नाम पर फिल्म में सिर्फ एक्शन, डायलॉगबाजी, हीरोइज्म है। सदानंद, दीपक (अली फजल) फिल्म के असली खलनायक हैं, लेकिन उन्हें साइडलाइन कर दिया जाता है और फिल्म सिर्फ पारिवारिक लड़ाई और बदला लेने वाली कहानी बनकर रह जाती है।
फिल्म में रियल लोकेशन से लेकर, सेट, कास्ट्यूम, एक्शन सीन सब पर खर्च किया गया है, लेकिन वह सब बेइमानी लगने लग जाते हैं। दिल्ली की सड़कों पर और लाल किला के सामने फाइरिंग हो रही है, गाड़िया टकरा रही है, लेकिन कानून नाम की कोई चीज नहीं। पुलिस कुछ करने की बजाय गैंगस्टर से ही मदद मांगती है कि बताओ सिस्टम में कौन-कौन भ्रष्ट है, इसके जवाब में गैंगस्टर्स उन्हें स्वैग दिखाकर निकल लेता है। रवि के. चंद्रन की सिनेमैटोग्राफी नेपाल में बर्फ से ढंकी वादियों में कमाल लगती है।
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शुरुआत में साल 1994 की पुरानी दिल्ली वाले दृश्यों को ब्लैक एंड व्हाइट में शूट करने का आइडिया काम करता है, लेकिन रंगीन होते ही फिल्म की कहानी बेरंग हो जाती है। एआर रहमान का संगीत इतना प्रभावशाली नहीं कि फिल्म देखने के बाद गुनगुना सकें। फिल्म 1994 में शक्तिवेल की जवानी से शुरू होकर बुढ़ापे तक चलती है और फिल्म की 165 की अवधि इसका अहसास हर पल कराती है।
कमल हासन के लिए देख सकते हैं ये फिल्म
कमजोर कहानी में भी कमल हासन अपने अभिनय से प्रभावित करते हैं। वह रूप बदलने में माहिर हैं, यह उन्होंने अपनी फिल्मों दशावतारम, इंडियन, चाची 420 में साबित किया है। ठग लाइफ में वह उम्र के तीन अलग-अलग पड़ावों पर विश्वसनीय लगते हैं। पत्नी की याददाश्त वापस लाने वाले और अपने भाई को मारने वाले दृश्यों में वह प्रभावित करते हैं। एक्शन करने में सिलंबरसन टीआर को भी टक्कर देते हैं। अमर की भूमिका में सिलंबरसन प्रभावशाली लगे हैं।
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नासर का रोल अधूरा सा है, उनका पात्र मणिक्कम अपने भाई से नाराज हैं या नहीं, समझ नहीं आता। ऐसे में जब वह अपने भाई की जान लेता है, तो वह बचकाना लगता है। महेश मांजरेकर, अली फजल जैसे अनुभवी अभिनेताओं को केवल दोस्ती-यारी या बड़ा प्रोडक्शन देखकर फिल्में साइन करने से बचना चाहिए। अली में अब भी मिर्जापुर वेब सीरीज के गुड्डू भैया की झलक दिखती है। त्रिशा का पात्र अगर फिल्म में न भी होता, तो खास फर्क नहीं पड़ता। जीवा के रोल में अभिरामी प्रभावित करती हैं।
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