The Night Manager 2 Review: अनिल कपूर ने दिखाये रूंगटा के असली रंग, तिलोत्तमा ने संभाला रोमांच का दूसरा छोर
The Night Manager Part-2 Review द नाइट मैनेजर इसी नाम से आयी ब्रिटिश सीरीज का भारतीय रूपांतरण है। सीरीज की कहानी हथियारों के अंतरराष्ट्रीय कारोबारी शैलेंद्र रूंगटा और होटल के नाइट मैनेजर के इर्द-गिर्द घूमती है जो भारतीय इंटेलीजेंस एजेंसी के लिए स्पाइ बन जाता है। सीरीज में अनिल कपूर आदित्य रॉय कपूर शोभिता धुलिपाला और तिलोत्तमा शोम प्रमुख किरदारों में हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। डिज्नी प्लस हॉटस्टार ने इसी साल फरवरी में ब्रिटिश टीवी शो द नाइट मैनेजर का इसी नाम से इंडियन अडेप्टेशन रिलीज किया था। तब इसके सिर्फ चार एपिसोड्स ही जारी किये गये थे। बाकी के तीन एपिसोड्स तय तारीख से एक दिन 29 जून को प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीम कर दिये गये और इसके साथ 'द नाइट मैनजर सीजन-1' सीरीज का पर्दा गिर गया है, हालांकि जिस तरह से क्लाइमैक्स दिखाया गया है, उसमें सीक्वल की सम्भावनाएं भी नजर आती हैं।
आखिरी तीन एपिसोड, जिन्हें पार्ट 2 कहा जा गया है, इस पूरी सीरीज की जान कहे जा सकते हैं। अनिल कपूर का किरदार आखिरी तीन एपिसोड्स में अपने असली रंग में आता है और बिजनेसमैन की आड़ में अवैध हथियारों के कारोबारी शैलेंद्र रूंगटा यानी शैली के चरित्र को जस्टिफाई करता है। 'द नाइट मैनेजर' को इसका दूसरा भाग मुकम्मल अंत देता है।
क्या है 'द नाइट मैनेजर पार्ट-2' की कहानी?
द नाइट मैनेजर पार्ट-1 में आपने देखा होगा कि आदित्य रॉय कपूर का किरदार शान इंटेलीजेंस अफसर लिपिका राव सैकिया (तिलोत्तमा शोम) की मदद से शैली के करीब पहुंच जाता है और उसका विश्वास जीत लेता। शैली उसे साथ में बिजनेस करने का ऑफर देता है। पार्ट-2 के पहले और सीरीज के पांचवें एपिसोड की शुरुआत इसी ऑफर के साथ होती है।
शैली उसे कैप्टन अभिमन्यु माथुर के नाम से नई पहचान देता है। उसे एग्रोटेक कम्पनी का सीईओ बनाता है और इस शेल कम्पनी की आड़ में हथियारों की एक बहुत बड़ी डील करने की जिम्मेदारी उसे देता है। दुबई में डील पक्की हो जाती है और हथियारों को ठिकाने तक पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू होती है। अभिमन्यु इसकी सूचना किसी तरह लिपिका तक पहुंचाता है। लिपिका अपने बॉस दानिश खान (जॉय सेनगुप्ता) के साथ यह सूचना लेकर गृह मंत्रालय जाती है।
मगर, शैली और सरकारी तंत्र में उसके सूत्र इंद्रधनुष को लेकर ऐसा सीक्रेट बाहर आता है, जिससे कहानी को जबरदस्त मोड़ मिलता है। लिपिका और दानिश पर शैली को भूल जाने के लिए दबाव बनाया जाता है। मगर, लिपिका शैली को लेकर अपने कन्विक्शन पर अड़ी रहती है।
इस बीच सीनियर अधिकारों की बात ना मानने पर लिपिका और उसके बॉस दानिश खान को सस्पेंड करके उनके खिलाफ फंड्स के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाकर विभागीय जांच शुरू कर दी जाती है, मगर इस जांच का असली लिपिका पर दबाव बनाना होता है, ताकि वो शैली के गैंग में अपने एजेंट का नाम बता दे।
इस बीच शैली को शक हो जाता है कि उसके आसपास कोई ऐसा है, जो मुखबिरी कर रहा है। उसके शक के दायरे में उसकी प्रेमिका कावेरी और अभिमन्यु भी रहता है। मगर, शैली को बचाने वाले भी उसके खिलाफ तब हो जाते हैं, जब हथियारों को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की बात सामने आती है। शैली को पकड़ने के लिए लिपिका को 48 घंटों का वक्त दिया जाता है।
कैसे हैं स्क्रीनप्ले, संवाद और अभिनय?
इसी नाम से आयी ब्रिटिश सीरीज के इस भारतीय अडेप्टेशन को संदीप मोदी ने क्रिएट किया है, जबकि स्क्रीनप्ले श्रीधर राघवन ने लिखा है। संवाद अक्षत घिल्डियाल और शांतनु श्रीवास्तव के हैं।
आखिरी तीनों एपिसोड्स हथियारों की डील, लिपिका के खिलाफ विभागीय जांच, अभिमन्यु यानी शान और कावेरी के प्रेम प्रसंग पर केंद्रित हैं। इसलिए कहानी श्रीलंका से दुबई और म्यांमार होते हुए बांग्लादेश के उसी होटल में पहुंचती है, जहां से शुरू हुई थी।
द नाइट मैनेजर का असली रोमांच इन्हीं तीन एपिसोड्स में सिमट गया है। दुबई के रेगिस्तान में डील से पहले खतरनाक हथियारों के परीक्षण के दृश्य बेहतरीन है। इन दृश्यों के साथ शैली की क्रूर सोच सामने आती है, जो आग की लपटों और धमाकों में सुंदरता ढूंढता है। उसके लिए हथियारों का कारोबार सिर्फ पैसा कमाने का जरिया नहीं, बल्कि जिंदगी एन्जॉय करने का तरीका है।
इससे पहले सिर्फ संवादों के जरिए शैली की क्रूरता और उसके प्रति लोगों के भय का आवरण खींचा गया था, मगर अनिल कपूर के अभिनय में वो परिलक्षित नहीं हो रहा था। एक अन्य दृश्य में जब वो पेन से अपनी सहयोगी का कत्ल करते हैं, वह दृश्य इस किरदार के खूंखार चेहरे को उभारता है। शैली यहां पर खुद कहता है कि शैम्पेन का गिलास पकड़ते-पकड़ते उसके हाथ भूल गये कि क्या कर सकते हैं।
लिपिका सैकिया के किरदार में तिलोत्तमा शुरू से प्रभावित करती रही हैं, मगर पार्ट 2 में उनके हिस्से कुछ एक्शन दृश्य भी आये हैं। गर्भवती सीक्रेट एजेंट के किरदार में निजी और व्यावसायिक मोर्चों पर जूझती लिपिका के किरदार में तिलोत्तमा की अदाकारी दृश्यों को असरदार बनाती है। यहां नेटफ्लिक्स की एंथोलीजी फिल्म लस्ट स्टोरीज 2 से बिल्कुल अलग तिलोत्तमा नजर आती हैं।
शोभिता धुलिपाला के किरदार कावेरी का ग्राफ भी पार्ट 2 में काफी बदला है। महज ग्लैमगर डॉल से ज्यादा उन्हें अभिनय दिखाने का मौका मिला है। शैली के रहमोकरम पर जीने वाली कावेरी उसकी लंका ढहने की बड़ी वजह बनती है।
कद-काठी के लिहाज से आदित्य रॉय कपूर स्पाइ के किरदार में जंचते हैं, मगर उनके दृश्यों में वो रोमांच अनुभव नहीं होता, जैसा इस स्तर की सीरीज में होना चाहिए। इसके लिए कहीं ना कहीं सीरीज का लेखन जिम्मेदार है। बाकी सहयोगी किरदारों में रवि बहल, शैली के राइट हैंड मैन के किरदार में ठीक लगे हैं।
समलैंगिक और अय्याश पार्टनर बीजे के किरदार शाश्वत चटर्जी का चुनाव खलता है। कुछ दृश्यों में उन्हें देखकर ऐसा लगता है, मानो जबरन अभिनय कर रहे हों। निर्देशक संदीप मोदी और प्रियंका घोष उनसे बेहतर काम ले सकते थे। द नाइट मैनेजर पार्ट 2 देखने के बाद सवाल यह भी उठता है कि सीरीज को दो हिस्सों में क्यों रिलीज किया गया। अगर सातों एपिसोड्स एक साथ स्ट्रीम किये जाते तो इसका इम्पैक्ट कुछ और ही रहता।
कलाकार: अनिल कपूर, आदित्य रॉय कपूर, शोभिता धुलिपाला, तिलोत्तमा शोम, रवि बहल, शाश्वत चटर्जी आदि।
निर्देशक: संदीप मोदी, प्रियंका घोष
अवधि: लगभग सवा तीन घंटा (तीन एपिसोड्स)
प्लेटफॉर्म: डिज्नी प्लस हॉटस्टार
रेटिंग: तीन