Dhurandhar Movie Review: धुआंधार निकले रणवीर...खौफनाक हैं अक्षय खन्ना, घातक है 'धुरंधर' की फौज, पढ़ें रिव्यू
Dhurandhar Movie Review: आदित्य धर के निर्देशन में बनी फिल्म धुरंधर अब रिलीज हो चुकी है। रणवीर सिंह और अक्षय खन्ना ने फिल्म वो कमाल किया है, जिसे देखन ...और पढ़ें

धुरंधर देखने से पहले पढ़ें पूरा रिव्यू
फिल्म रिव्यू : धुरंधर
मुख्य कलाकार - रणवीर सिंह, अक्षय खन्ना, संजय दत्त, अर्जुन रामपाल, सारा अर्जुन, राकेश बेदी
निर्देशक, निर्माता और लेखक - आदित्य धर
अवधि - 214 मिनट
रेटिंग – साढ़े तीन
स्मिता श्रीवास्तव, नई दिल्ली। करीब छह साल पहले निर्देशक आदित्य धर (Aditya Dhar) ने पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान में घुसकर की गई सर्जिकल स्ट्राइक पर फिल्म उरी : द सर्जिकल स्ट्राइक बनाकर भारतीय सुरक्षा तंत्र के दृढ़ संकल्प और बदला लेने की क्षमता को परदे पर प्रभावी ढंग से दर्शाया था। अब धुरंधर (Dhurandhar) के साथ वे एक बार फिर वास्तविक घटनाओं से प्रेरित कहानी को बड़े कैनवास पर लाए हैं। इस बार वे कहानी की जड़ें और गहरी करते हुए भारत–पाक रिश्तों में पिछले कई दशकों से चले आ रहे तनाव, पड़ोसी देश द्वारा किए गए हमलों और उनसे उपजे सामरिक दबावों को एक सघन नाटकीय ढांचे में गूंथते हैं। फिल्म की शुरुआत कंधार हाईजैक, संसद हमला जैसी घटनाओं से होती है, जहां हर बार भारत की राजनीतिक विवशता और सीमित प्रतिक्रियाओं ने सीमापार आतंकियों के हौसले बढ़ाए। तब खुफिया एजेंसियों ने मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी की। फिल्म यहीं से 'धुरंधर' (Dhurandhar Review) ऑपरेशन की नींव रखती है, एक ऐसा मिशन, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान के आतंकी ढांचे में भीतर तक सेंध लगाना है।
कहानी यूं है कि अफगानिस्तान के रास्ते से पाकिस्तानी सीमा में घुसे हमजा अली मजारी (रणवीर सिंह) का उद्देश्य सिर्फ घुसपैठ नहीं बल्कि जंगल में राज करना है। लियारी पहुंचे हमजा को भारतीय एजेंट से मदद मिलती है। वह खुफिया की दुनिया में सबसे घातक माने जाने वाले औजार नजर और सब्र के साथ मिशन में जुटता है। लियारी कई छोटे–बड़े गैंगों में बंटा है और जातीय समूहों की राजनीति यहां अपराध को नया रंग देती है। बलूच से ताल्लुक रखने वाला हमजा नाटकीय घटनाक्रम में रहमान डकैत (अक्षय खन्ना) के गैंग में शामिल होकर उसका विश्वासपात्र बन जाता है।
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बलूचों के बीच सम्मानीय रहमान को स्थानीय नेता जमील जमाली (राकेश बेदी) का संरक्षण प्राप्त है, जो चुनावी समीकरणों के लिए अपराधियों का सहारा लेता है। रहमान के पीछे एसपी चौधरी असलम (संजय दत्त) पड़ा है। हथियारों की सप्लाई को लेकर आइएसएस के मेजर इकबाल (अर्जुन रामपाल) से रहमान हाथ मिला लेता है। इस दौरान हमजा को मुंबई हमले (26/11) की तैयारी के बारे में पता चलता है। सूचना देने के बावजूद भारतीय एजेंसी उसे रोक पाने में नाकाम रहती है। पहले से घायल हमजा और घातक हो जाता है। इस बीच वह जमील की बेटी यालिना (सारा अर्जुन) को अपने इश्क की गिरफ्त में लेता है। यालिना की मदद से हमजा अब अपने उद्देश्य को कैसे अंजाम देता है कहानी इस संबंध में हैं।
करीब छह साल बाद निर्देशन में लौटे आदित्य धर द्वारा की गई रिसर्च, तैयारी और संवेदनशीलता साफ झलकती है। फिल्म में ढेर सारे किरदार हैं लेकिन उन्होंने पात्रों पर बारीकी से काम किया है। आदित्य ने पाकिस्तान में नकली नोट छापने का मुद्दा गहराई से उठाया है। पाकिस्तान में मुंबई हमले का जश्न मनाते सीन हो या रहमान और हमजा के बीच आपसी लड़ाई के यह सीन तनाव पैदा करने में कामयाब रहते हैं। मुंबई हमले की टीवी रिपोर्टिंग देखते हुए आतंकियों का अलर्ट होना और भारतीयों को कमजोर कहने के दृश्य कचोटते हैं। मुंबई हमले के दौरान हैंडलर और आतंकियों के बीच की बातचीत भी सुनाई गई है, वह दहलाती है। फिल्म पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के स्थानीय गैंग के साथ साठगांठ दिखाती है, लेकिन मुंबई हमले के सरगना लश्कर-ए-तैयबा पर बात नहीं करती। इसी तरह पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकी डेविड हेडली का जिक्र मात्र है, गहन जानकारी नहीं और यह अखरता भी है। फिल्म में हिंसा के कई दृश्य वीभत्स हैं, जो आपके रोंगटे खड़े कर देंगे।
कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा द्वारा फिल्म के लिए की गई कास्टिंग (Dhurandhar Movie Cast) सटीक है। रणवीर सिंह (Ranveer Singh performance) का पात्र इसमें भले ही रहमान के पीछे चलता है, उनके हिस्से में संवाद कम हैं, लेकिन तेवर आक्रामक हैं और उसमें वह जंचते हैं। लंबे बालों का लुक उन पर अच्छा लगता है। उनके हिस्से में कई दमदार एक्शन सीन (Spy thriller action) आए हैं, जिन्हें देखकर अपनी उंगलियों को दांतो तले दबा लेंगे। चूंकि फिल्म दो पार्ट में बन रही है तो उनके अतीत की गहन जानकारी अगले भाग में मिलने की संभावना है।
रहमान की भूमिका में अक्षय खन्ना के हिस्से में कई शेड आए हैं। चाहे वो गुस्सा हो, निष्ठुरता या अपनों के साथ आत्मीयता वह सभी भावों को खूबसूरती से जीते हैं। इकबाल बने अर्जुन रामपाल जब मुंबई हमले का जश्न मनाते हैं तो दर्शक के भीतर आक्रोश पैदा कर देते हैं यही उनके चरित्र की सफलता है। फिल्म का खास आकर्षण राकेश बेदी हैं। अभी तक कॉमेडी भूमिका में नजर आए राकेश चालाक, मौकापरस्त और चकड़ नेता की भूमिका में चौंकाते हैं। वह साबित करते हैं कि मौका मिले तो अलग भूमिकाएं भी निभा सकते हैं। एसपी की भूमिका में संजय दत्त पात्र के साथ न्याय करते हैं। इस फिल्म से हिंदी सिनेमा में डेब्यू कर रहीं अभिनेत्री सारा अर्जुन पात्र के अनुरूप मासूम लगी है। आर माधवन का लुक जरूर अलग है, लेकिन उनकी भूमिका का चटक रंग अगले पार्ट में दिखने की संभावना है।
तकनीकी पक्ष की बात करें तो सिद्धार्थ वसानी की सिनेमेटोग्राफी शानदार है। अफगान बार्डर से लेकर पाकिस्तान परिवेश को उन्होंने यथार्थ के साथ चित्रित किया है। एडिटर शिवकुमार अपनी चुस्त एडिटिंग से फिल्म की अवधि को कम कर सकते थे। प्रोडक्शन टीम की भी तारीफ बनती हैं। बैकग्राउंड में कथानुसार बजते गाने जैसे कुछ पुराने गाने या तो कारवां की तलाश है, रंभा हो हो...पिया तू अब तो आ जा…हवा हवा ...ए हवा को सुनना अच्छा लगता है। यह कहानी की लय को बनाए रखने में मददगार साबित होते हैं। इरशाद कामिल के गीत और शाश्वत सचदेव का संगीत प्रभाव छोड़ते हैं।
अंत में हमजा कहता है कि यह नया भारत है। घर में घुसकर मारेगा। इस बदलते भारत को देखने के लिए करीब तीन महीने का इंतजार करना होगा। दूसरा पार्ट अगले साल 19 मार्च को रिलीज होगा।
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