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    Nadaaniyan Review: नादानियां नहीं खामियों का पिटारा है फिल्म, Ibrahim Ali Khan हुए एक्टिंग में पास या फेल?

    Updated: Fri, 07 Mar 2025 07:22 PM (IST)

    सैफ अली खान के लाडले बेटे इब्राहिम अली खान (Ibrahim Ali Khan) की फिल्म नादानियां का फैंस को एक लंबे समय से इंतजार था। वह ये देखने के इच्छुक थे कि क्या वह अपने पापा की तरह एक्टिंग में दम दिखा पाएंगे या नहीं। अब ये फिल्म फाइनली ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स (Netflix) पर आ चुकी है। दो घंटे वीकेंड पर समय बिताने से पहले यहां पर पढ़ें रिव्यू

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    कैसी है नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई फिल्म 'नादानियां'/ फोटो- Jagran Graphics

    स्मिता श्रीवास्‍तव, मुंबई।  निर्माता निर्देशक करण जौहर ने साल 2012 में रोमांटिक कॉमेडी फिल्‍म 'स्‍टूडेंट ऑफ द ईयर बनाई थी। यहां पर एक कॉलेज था जिसमें अमीर घरों के बच्‍चे पढ़ने आते हैं, जहां पढ़ाई कम रोमांस और बाकी चीजें होती हैं। इसमें स्‍टूडेंट बनें वरूण धवन, सिद्धार्थ मल्‍होत्रा और आलिया भट्ट ने फिल्‍म दुनिया में अपना नाम चमकाया। इस फ्रेंचाइजी को आगे बढ़ाते हुए करण ने स्‍टूडेंट आफ द ईयर 2 बनाई।

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    अनन्‍या पांडे और तारा सुतारिया अभिनीत इस फिल्‍म में भी अमीरी और गरीबी दिखाई थी। अब बतौर निर्माता करण ने नादानियां बनाई है। कायदे से इसका नाम भी स्‍टूडेंट आफ द ईयर 3 होना चाहिए था। यहां पर दर्शाए काल्‍पनिक कॉलेज पुराने कॉलेज की तरह बिंदास है। यहां पर यूनिफॉर्म की कोई संस्‍कृति नहीं है। यह कॉलेज कम रिसॉर्ट ज्‍यादा लगता है।

    कालेज की प्रिसिंपल मिसेज ब्रिगेंजा मल्‍होत्रा (अर्चना पूरण सिंह) अंग्रेजी में पूरा वाक्‍य बोलने के बजाए शार्ट कर्ट में बात करती है। मुद्दा वही पुराना अमीरों के बीच अगर कोई मध्‍यम वर्गीय परिवार का छात्र आ जाए तो शुरुआत में उसका सहपाठियों द्वारा मजाक उड़ाना। नायक का अपनी प्रतिभा से नायिका को प्रभावित करना फिर एकदूसरे से अनजाने में प्‍यार करने लगा। आपसी तनातनी के बाद प्‍यार का अहसास होना जैसे प्रसंग घिसे पिटे यहां पर है, जिसमें न कोई रोमांस है न कोई इमोशन।

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    Photo Credit- Instagram 

    इस फिल्‍म से लॉन्च हो रहे सैफ अली खान और उनकी पूर्व पत्‍नी अमृता सिंह के बेटे इब्राहिम अली खान और अभिनेत्री खुशी कपूर भावों को अभिव्‍यक्‍त करने में कमजोर नजर आते हैं। आम जिंदगी में अमूमन अंग्रेजी में ही बात करने वाले युवा कलाकार जब स्‍क्रीन पर हिंदी में संवाद अदायगी करते हैं तो उनका संघर्ष स्‍क्रीन पर दिखता है। यही हाल इब्राहिम और खुशी का भी है। 

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    क्या है नादानियां की कहानी?

    कहानी यूं है कि दिल्‍ली के एक एलिट कालेज में अमीर परिवारों के बिगड़ैल बच्‍चे पढ़ते हैं। इनमें रजत (सुनील शेट्टी) और नीलू (महिमा चौधरी) की इकलौती बेटी पिया जयसिंह (खुशी कपूर) भी पढ़ती है। वह 18 साल की होने वाली है। उसके दादा को पोता न होने का मलाल है। पिया की दो बेस्‍टफ्रेंड हैं लेकिन उनके बीच गलतफहमी पैदा होती है। इसे दूर करने के लिए पिया झूठ बोलती है कि उसका ब्‍वॉयफ्रेंड है। फिर वह अपना नकली ब्‍वायफ्रेंड अर्जुन मेहता (इब्राहिम अली) को बनाती है।

    इसके बदले उसे हर सप्‍ताह पच्‍चीस हजार रुपये देती है। इंटरनेशनल डिबेट प्रतियोगिता में अर्जुन हिस्‍सा ले रहा होता है। पिया के पिता उसे भी इसमें हिस्‍सा लेने को कहते हैं। घर पर दीवाली पार्टी में रूद्रा (मिजान जाफरी) को देखकर पिया बहुत खुश हो जाती है। अगले दिन डिबेट प्रतियोगिता में हिस्‍सा लेने अर्जुन और पिया को मुंबई जाना होता है। पर पिया नहीं आती क्‍योंकि शादी के 24 साल बाद उसके पिता उसकी मां को तलाक दे रहे होते हैं।उधर, पिया के न आने पर अर्जुन को गलतफहमी हो जाती है। दोनों के संबंध बिगड़ते हैं।

    कमजोर निर्देशन के साथ बिखरी हुई कहानी

    नादानियां से निर्देशन में कदम रखने वाली शौना गौतम की नादानियां नासमझ ज्‍यादा दिखती है। फिल्‍म की सबसे बड़ी दिक्‍कत इसकी बिखरी हुई कहानी है। रिवा राजदान कपूर, इशिता मोइत्रा और जेहान हांडा की तिकड़ी द्वारा लिखा गया स्‍क्रीन प्‍ले बहुत कमजोर है। युवा पीढ़ी के मतभेद, समस्‍याओं और टकराव को दिखाने में लेखक बेहद कमजोर नजर आते हैं। फिल्‍म लिंग भेद के मुद्दे को उठाती है लेकिन उसकी गहराई में नहीं जा पाती।

    रजत घर में नहीं रहते तो कहां जाते हैं इस पर पिया कभी कोई सवाल नहीं पूछती लेकिन पिता के विवाहेत्‍तर संबंधों का पता चलने पर बिफर जाती है। उसके माता-पिता के रिश्‍तों को भी समुचित तरीके से एक्‍सप्‍लोर नहीं किया गया है। पिया और अर्जुन की कहानी पर फोकस करने में सहयोगी पात्रों को गढ़ने में कोई मेहनत नहीं हुई है। पिया और अर्जुन की केमिस्‍ट्री स्‍क्रीन पर बहुत फीकी है। दोनों अभिनय में कच्‍चे नजर आते हैं, जबकि खुशी की यह तीसरी फिल्‍म है। पिया और रूद्रा के संबंधों को भी ठीक से एक्‍सप्‍लोर नहीं किया गया है।

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    Photo Credit: Instagram 

    इब्राहिम अली खान का डेब्यू है बेरंग

    हालांकि, यह इब्राहिम की पहली फिल्‍म है लेकिन उन्‍हें अभिनय की पाठशाला में अपने माता पिता से बहुत सारा ज्ञान अर्जित करने की जरूरत है। वहीं खुशी को अपनी संवाद अदायगी पर बहुत काम करने की जरूरत है। सुनील शेट्टी का पात्र लेखन स्‍तर पर बहुत गडमड है। महिमा चौधरी के हिस्‍से में भावनात्‍मक दृश्‍य कई हैं, लेकिन भावुकता का अहसास कहीं नहीं होता। दिया मिर्जा आत्‍मविश्‍वासी मां और टीचर की भूमिका में खूबसूरत दिखी हैं। अर्जुन के पिता की भूमिका में जुगल हंसराज सामान्‍य हैं। फिल्‍म का गीत संगीत प्रभावहीन है। फिल्‍म देखते हुए कोई नादानी नजर नहीं जिस पर तरस आए। इसे एक बुरी फिल्‍म के तौर पर देखा जाएगा।

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