Mrs Deshpande Review: आखिरी एपिसोड तक उठने नहीं देगी 'मिसेज देशपांडे', कमजोर कहानी का सस्पेंस बना सहारा
Mrs Deshpande Series Review: माधुरी दीक्षित अपनी डेब्यू वेब सीरीज के साथ जियो हॉटस्टार (Jio Hotstar) पर फिर लौट आई हैं। इस सीरीज मे वह पहली बार सीरियल ...और पढ़ें

माधुरी दीक्षित की मिसेज देशपांडे का रिव्यू/फोटो- Jagran Graphics
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। अपने अभिनय, मोहक मुस्कान और बेमिसाल नृत्य से दशकों तक दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली ‘धक-धक गर्ल’ माधुरी दीक्षित ने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ‘द फेम गेम’ के जरिये अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई थी। ‘मिसेज देशपांडे’ ( Mrs Deshpande review) में वह एक सीरियल किलर के रूप में नजर आती हैं, जहां निर्देशक नागेश कुकुनूर ने उनकी वही दिलकश मुस्कान एक मारक हथियार की तरह इस्तेमाल की है। हालांकि, इस बार कहानी पर उनकी पकड़ कमजोर लगी हैं। परफार्मेंस के स्तर पर भी शो कमजोर है।
क्या है 'मिसेज देशपांडे' की कहानी?
कहानी का आरंभ एक उभरते बालीवुड कलाकार की हत्या से होता है। हत्यारा नायलॉन की रस्सी को फंदा बनाकर गले में डाल देता और ग्लू से पलकों को चिपका देता है ताकि आंखें खुली रहें। फिर शव को शीशे के सामने बैठा देता है। मामले की जांच के लिए मुंबई के पुलिस कमिश्नर अरुण खत्री (प्रियांशु चटर्जी) पहुंचते हैं। हत्या का यह पैटर्न उन्हें 25 साल पहले पुणे में हुई हत्याओं की याद दिलाता है, जिसे हैदराबाद जेल में सजा काट रही जीनत (माधुरी दीक्षित) (Madhuri Dixit thriller) ने अंजाम दिया था।
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वह जीनत को जेल से निकाल कर लाते हैं ताकि उसकी मदद से उसके कॉपीकैट को पकड़ा जा सके। एसीपी तेजस फड़के (सिद्धार्थ चंद्रेकर) को यह मामला सौंपा जाता है। इस दौरान एक और मर्डर हो जाता है। जांच के दौरान पता चलता है कि जीनत का असली नाम सीमा देशपांडे है। उसने आठ हत्याओं का गुनाह कबूल करने के लिए अपनी पहचान बदलने की शर्त रखी थी। जांच के बीच मिसेज देशपांडे फरार होती है, लेकिन जल्द ही पकड़ में आ जाती है। तब यह रहस्य सामने आता है कि सीमा ही तेजस की असली मां है। यह कॉपीकैट कौन है जो सीमा की तरह ही मर्डर कर रहा है? सीमा की मदद से तेजस किस प्रकार कॉपी कैट को पकड़ेगा कहानी उस दिशा में आगे बढ़ेगी।
फ्रेंच शो का हिंदी अडाप्टेशन है 'मिसेज देशपांडे'
मिसजे देशपांडे फ्रेंच शो ला मांटे का हिंदी अडाप्टेशन है जिसे नागेश (जिन्होंने इसे डायरेक्ट भी किया है) और रोहित जी. बनावलीकर ने लिखा है। इस साल हंट : द राजीव गांधी असैसिनेशन केस वेब सीरीज के लिए सराहना बटोर चुके नागेश कुकुनूर यहां पर पात्रों को बहुत दिलचस्प नहीं बना पाए हैं । इसमें एक सीन में अरुण कहते हैं कि उन्होंने सालों पहले मिसेज देशपांडे को 'संयोग से' पकड़ा था। वह संयोग क्या था उसकी जानकारी नहीं मिलती। उनका मामले को सुलझाने के लिए जीनत को शामिल करने का ख्याल भी अजीबोगरीब लगता है।
बहरहाल, नागेश यहां पर बाकी साइकोलॉजिकल थ्रिलर (Psychological crime series) की तरह नए-नए संदिग्ध को सामने लाते हैं जब लगता है असल अपराधी को पकड़ने के करीब पहुंच गए फिर वह आपको अपने पत्ते खोलने के लिए आखिरी एपिसोड तक पहुंचने के लिए मजबूर करते हैं। यहीं से शो में गति आ जाती है जिसकी बाकी कहानी को जरूरत थी।

इन सवालों का जवाब देने से चूक गई वेब सीरीज
अपने कृत्य को न्यायसंगत ठहराने के लिए मिसेज देशपांडे कहती है कि समाज से बुरे लोगों की सफाई जरूरी है। कहानी में उसके द्वारा आठ हत्या करने की बात कही गई है लेकिन सिर्फ दो हत्या के कारण ही दिखाए गए हैं। पहली हत्या जिसकी करती है वो शख्स कौन है उसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती है। उसके बेटे का चित्रण भी सिर्फ ध्यान भटकाने वाला लगा। उसके मारने की वजह स्पष्ट नहीं हुई। इसी तरह जब तेजस को पता चलता है कि मिसेज देशपांडे ही उसकी असली मां है तो वह सीन सपाट तरीके से आगे बढ़ गया है।
रेस्त्रां चलाने वाली मिसेज देशपांडय मार्शल आर्ट में कैसे पारंगत है? इसके जवाब नहीं मिलते। इसी तरह मिसेज देशपांडे पुलिस की निगरानी से फरार होने के बाद तेजस की पत्नी तन्वी (दीक्षा जुनेजा) के पार्लर कैसे पहुंच जाती है यह भी समझ नहीं आता। शो का अंत इस प्रकार से दिखाया गया है कि दूसरे सीजन की संभावना है। संभवत: उसमें अनुत्तरित सवालों के जवाब मिल जाएं। कुछ गिने-चुने ट्विस्ट को छोड़ दें, तो माधुरी दीक्षित ही ‘मिसेज देशपांडेय’ का वह एकमात्र आकर्षण हैं, जो दर्शक को इस शो की ओर खींचती हैं और अंत तक देखने के लिए बाध्य करती हैं। हालांकि कमजोर पटकथा की वजह से वह भी उसे पूरी तरह संभाल नहीं पाती हैं। कागजों पर यह थ्रिलर शो भले ही रोमांचक लगा हो लेकिन परदे पर पूरी तरह साकार नहीं हो पाया है।

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