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    Mast Mein Rehne Ka Review: जैकी श्रॉफ और नीना गुप्ता की जोड़ी ने अकेलेपन की 'मुंबइया कहानी' में फूंकी जान

    By Jagran NewsEdited By: Manoj Vashisth
    Updated: Fri, 08 Dec 2023 02:54 PM (IST)

    Mast Mein Rehne Ka Review मस्त में रहने का फिल्म एक मनोरंजक फिल्म है जो मुंबई जैसे भागदौड़ और भीड़ वाले शहर में जिंदगी के अकेलेपन के दंश को दिखाती है। जैकी श्रॉफ ने 75 साल के बुजुर्ग का किरदार निभाया है जो बिल्कुल अकेला रहता है। नीना गुप्ता उम्रदराज महिला के रोल में हैं जिसका बेटा और बहू कनाडा में रहते हैं।

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    मस्त में रहने का प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गयी है। फोटो- इंस्टाग्राम

    स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। जिंदगी को देखने का अपना-अपना नजरिया होता है। किसी को गिलास आधा भरा नजर आता है तो किसी को आधा खाली। मस्‍त में रहने का मेट्रो शहर में अलग-अलग आयु वर्ग के चार पात्रों की कहानी है, जो संघर्ष के बावजूद बेहतर जीवन जीने की कोशिश कर रहे हैं।

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    इन सभी पात्रों में एक बात एकसमान है- अकेलापन। घनी आबादी वाले शहर मुंबई में भागमभाग के बीच उम्‍मीद और मानवता की कहानियां पहले भी फिल्‍मों में दर्शायी गई हैं। यद्यपि यह फिल्म शहर की उदासीनता और उदारता के साथ बुजुर्गों के अकेलेपन पर नया दृष्टिकोण पेश करती है।

    क्या है 'मस्त में रहने का' की कहानी?

    मुंबई में 12 साल से अकेले रह रहे 75 वर्षीय विधुर कामत (जैकी श्राफ) अनुशासित जीवन जीते हैं। वह ज्‍यादा सामाजिक नहीं है। घर से बदबू आने पर पुलिस उसके घर आती है। बेहोश कामत बताता है कि घर में घुसे चोर (अभिषेक चौहान) ने उसे मारा। पुलिस उसे लोगों से मिलने जुलने को कहती है, ताकि अगर कोई घटना हो तो लोग उसे खोज सकें।

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    वह कनाडा से लौटी प्रकाश कौर हांडा (नीना गुप्‍ता) का पीछा करता है, जो अकेले रहती है। वह बेटे बहू से अनबन के चलते स्‍वदेश लौट आई है। प्रकाश कौर काफी खुशमिजाज और उत्‍साही महिला है। वह गाली-गलौज में भी बिदांस है। थोड़ी गलतफहमी के बाद दोनों दोस्‍त बन जाते हैं।

    उधर चोर की कहानी भी समानांतर चलती है। वह प्रकाश कौर के घर भी आता है। वह वास्‍तव में दर्जी होता है, जो बालीवुड के डांसर समूह के लिए कपड़ों को सिलकर अपना जीविकोपार्जन करना चाहता है, लेकिन कर्ज के चलते वह गलत राह पकड़ता है।

    उसकी मुलाकात सड़क पर भीख मांगने वाली रानी (मोनिका पंवार) से होती है। उधर, अपने अकेलनेपन को बांट रहे कामत और प्रकाश ऐसे लोगों को खोजते हें, जो अकेले रह रहे हैं और जहां पर चोर के आने की संभावना है।

    कैसा है स्क्रीनप्ले और अभिनय?

    इस फिल्‍म का खास किरदार मुंबई भी है। कामl अकेले रह रहे लोगों की दिनचर्या जानने के लिए उनका पीछा करता है, जिसे वह सर्वे कहता है। सर्वे के बाद कामl और प्रकाश खाली घरों में खाने और पीने घुसने लगते हैं। जैसे वह उन लोगों से मिलने गए हों। वहीं, दूसरी ओर चोर है, जो अपनी मजबूरियों के चलते घरों में घुस रहा है।

    दोनों के कारण भले ही अलग हैं, लेकिन यह दोनों को ही अनैतिक बनता है। बेहतरीन पटकथा लेखक के रूप में स्थापित हो चुके विजय मौर्या ने इस फिल्‍म का निर्देशन किया है। वह शहर के कुछ ऐसे पहलुओं से परिचित कराते हैं, जिन्‍हें पहले फिल्‍मों में ज्‍यादा दर्शाया नहीं गया है। संघर्ष के बावजूद वह उम्‍मीद की किरण को बरकरार रखते ह‍ैं।

    यद्यपि शुरुआत में फिल्‍म धीमी गति से आगे बढ़ती है। जैसे-जैसे पात्रों की कहानी सामने आती है, आप उससे जुड़ते हैं। एक दृश्‍य में प्रकाश कौर किटी पार्टी से जोड़ने का अनुरोध करती है। उस पर महिलाओं की प्रतिक्रिया दर्शाती है कि अकेले लोगों के प्रति उनकी सोच कितनी संकुचित और संकीर्ण है।

    फिल्‍म में सिनेमाई लिबर्टी भी कई जगह ली गई है, जो कहानी की विश्वसनीयता के आड़े आती है। पुलिस का रवैया भी यहां पर काफी नरम दिखाया गया है।

    कलाकारों की बात करें तो नीना गुप्‍ता मंझी अभिनेत्री हैं। उन्‍होंने प्रकाश कौर की मनोदशा, दर्द और जिंदगी के प्रति नजरिए को बखूबी आत्‍मसात किया है। कामत की भूमिका में जैकी श्रॉफ जंचते हैं। शॉर्ट फिल्‍म खुजली के बाद दोनों फिर साथ आए हैं। उनकी केमिस्‍ट्री स्‍क्रीन पर काफी अच्‍छी लगती है।

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    वहीं, अभिषेक चौहान और मोनिका पंवार की परफार्मेंस भी शानदार है। फिल्‍म में मेहमान भूमिका में राखी सावंत भी हैं। बतौर कोरियोग्राफर वह अपनी भूमिका में प्रभाव छोडती है। वैसे यह उनका ऑफस्‍क्रीन वर्जन ही लगता है। मुंबइया भाषा में मस्‍त में रहने का अर्थ है कि हर हाल में खुश रहना। यह फिल्‍म में संघर्षों के बावजूद खुशी ढूंढने और जिंदगी को दूसरा मौका देने की बात करती है।