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    Maharani 3 Review: सियासी जंग के बीच रानी के बदले की रोमांचक कहानी, हुमा कुरैशी और अमित सियाल की दमदार अदाकारी

    Updated: Thu, 07 Mar 2024 12:58 PM (IST)

    Maharani 3 सोनीलिव पर रिलीज हो गई है। बिहार की राजनीतिक पृष्ठभूमि पर आधारित इस सीरीज में हुमा कुरैशी एक ऐसी महिला रानी भारती के किरदार में हैं जो अपने पति के जेल जाने पर राज्य की मुख्यमंत्री बन जाती है मगर उस पर पति की हत्या का आरोप लगाकर जेल भेज दिया जाता है। अमित सियाल शो में रानी भारती के राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी के किरदार में हैं।

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    महारानी 3 सोनीलिव पर रिलीज हो गई है। फोटो- इंस्टाग्राम

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। बिहार में चल रही सियासी गहमागहमी के बीच अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) से ठीक एक दिन पहले सोनीलिव पर महारानी का तीसरा सीजन (Maharani Season 3) रिलीज कर दिया गया, जो मुख्य रूप से राज्य में राजनीति-अपराध के गठजोड़ के साथ रानी भारती के बदले और बेगुनाही साबित करने के संघर्ष को दिखाता है।

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    पहला सीजन जहां रानी के गृहिणी से राज्य की मुख्यमंत्री बनने तक की कहानी दिखाता है, वहीं दूसरा सीजन सियासी फैसलों में रानी की आत्मनिर्भरता, पति भीम सिंह भारती से मतभेद, राजनीतिक साजिश के तहत उसकी हत्या और पति के कत्ल के इल्जाम में रानी के जेल पहुंचने की घटनाओं पर आधारित था।

    क्या है 'महारानी सीजन 3' की कहानी? 

    तीसरा सीजन वहीं से शुरू होता है, जहां दूसरा सीजन खत्म हुआ था। रानी भारती को जेल में बंद हुए तीन साल हो चुके हैं। जेल से ही वो इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करती है। पार्टी के महासचिव सत्येंद्रनाथ मिश्रा बार-बार रानी को जमानत पर बाहर निकलवाना चाहते हैं, मगर रानी तैयार नहीं हो रही।

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    इसके पीछे उसका खास मकसद है, लेकिन वो मिश्रा को नहीं बताती। इधर, मुख्यमंत्री नवीन कुमार भीमा भारती के नाम पर सियासत कर रहा है और विभिन्न योजनाओं के जरिए उसके समर्थकों की सहानुभूति लेने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, रानी का डर उसे हमेशा सताता रहता है।

    कोई और रास्ता ना देख मिश्रा रानी के बच्चों पर झूठा हमला करवाता है, जिसके बाद रानी जमानत पर बाहर आने के लिए तैयार हो जाती है। बिहार में सियासी संरक्षण में अवैध शराब का कारोबार जारी है। रानी इस कारोबार के जरिए नवीन कुमार पर हमला बोलती है और दोनों के बीच शह-मात का खेल शुरू हो जाता है। 

    कैसा है स्टोरी और स्क्रीनप्ले?

    महारानी सीरीज के रचयिता सुभाष कपूर और नंदन सिंह ने इसके लेखन को चुस्त रखा है। घटनाक्रमों को खींचा नहीं है, जिससे तीसरा सीजन कसा हुआ लगता है। पक्ष और विपक्ष के बीच सियासी दावपेंच रोमांचक हैं और बांधकर रखते हैं। तीसरे सीजन की हाइलाइट शराबबंदी के बावजूद राज्य में अवैध शराब का कारोबार रही है।

    एक किरदार कहता भी है कि शराब को वैध करने से इतना फायदा नहीं होता, जितना शराबबंदी की वजह से हुआ है। शराब वैध होती तो राजस्व सरकारी खजाने में जाता, मगर अवैध कारोबार की रकम की बंदरबाट मुख्यमंत्री तक होती है।

     

    इस कारोबार की बहती गंगा में हर कोई डुबकी लगाकर मुनाफे के चोटी पर पहुंचने में जुटा है। राज्य के सीवान जिले में जहरीली शराब से मौतों के मामले और इससे होने वाले सियासी नफा-नुकसान को भी तीसरे सीजन में समेटा गया है। 

    अवैध शराब की तस्करी और होम डिलीवरी के दृश्यों के साथ संबद्ध गीत सुनने में दिलचस्प लगता है। स्क्रिप्ट के लिहाज से तीसरे सीजन को प्लॉट आगे बढ़ाता है। इसीलिए, रानी भारती की स्क्रीन प्रेजेंस कम हुई है। वहीं, नवीन कुमार और अन्य किरदारों को ज्यादा स्पेस मिला है। 

    कैसा है कलाकारों का अभिनय?

    अभिनय की बात करें तो हुमा कुरैशी ने रानी भारती के किरदार की यात्रा को प्रभावपूर्ण ढंग से पेश किया है। घर में चूल्हा फूंकने और दूध काढ़ने वाली महिला से राजनीतिक चालें चलने वाली नेता के ट्रांसफॉर्मेशन में वो जंचती हैं। भीमा भारती के सियासी प्रतिद्वंद्वी और राज्य के मुख्यमंत्री के नवीन कुमार के रोल में अमित सियाल खरे उतरते हैं।

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    अन्य सहयोगी किरदार में प्रमोद पाठक, विनीत कुमार, दिब्येंदु भट्टाचार्य और कानी कुश्रुति ने अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है। सोहम शाह तीसरे सीजन में बस एक दृश्य में नजर आते हैं। 

    तीसरे सीजन के निर्देशन की कमान सुभाष भावे को सौंपी गई। सुभाष का निर्देशन कसा हुआ है और किरदारों के दायरे में उन्होंने कलाकारों से अच्छा काम लिया है। वैसे भी, अगर कलाकार अपने काम में माहिर हैं तो निर्देशन से दृश्यों को निखारना मुश्किल नहीं रहता। 

    महारानी का तीसरा सीजन लेखन, अदाकारी और तकनीकी रूप से दमदार है। राजनीतिक घटनाक्रमों के लिहाज से सीरीज कुछ नया पेश नहीं करती।