Hostel Daze 4 Review: खत्म हुई हॉस्टल लाइफ, एहसास चन्ना और निखिल विजय ने बनाया फिनाले यादगार
Hostel Daze 4 Review हॉस्टल डेज का चौथा सीजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गयी है। इस बार स्टूडेंट्स फाइनल ईयर में पहुंच गये हैं और अब प्लेसमेंट की जद्दोजहद में जुटे हुए हैं। अभिनव आनंद निर्देशित सीरीज ऐसे यूथ से कनेक्ट करती है जिन्होंने हॉस्टल लाइफ को जीया है। इस दौरान कई घटनाएं ऐसी हैं जो यादों में कौंधती हैं।

नई दिल्ली, जेएनएन। अली हैदर का पुरानी जींस और गिटार गाना नब्बे के दौर में कॉलेज जाने वाले लड़के-लड़कियों के लिए एंथम की तरह था। इस गीत के बोलों में ना जाने कितने लोगों के यादगार पल छुपे थे।
टीवीएफ और प्राइम वीडियो की सीरीज हॉस्टल डेज सीरीज कुछ इसी गीत की तरह है, जिसके दृश्यों में कॉलेज के दौरान हॉस्टल लाइफ की याद दिलाती हैं। चौथे सीजन के साथ इस शो का पर्दा गिर गया। प्लेटफॉर्म पर शो 27 सितम्बर को स्ट्रीम हो चुका है।
फिनाले सीजन में छह एपिसोड्स हैं। एपिसोड्स की अवधि लगभग आधे घंटे से 50 मिनट तक है। तीन सीजन देख चुके दर्शक शो में अब तक दिखायी गयी गतिविधियों से परिचित होंगे।
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क्या है चौथे सीजन की कहानी?
क्लासेज के साथ जिंदगी आगे बढ़ रही है और समय आ गया है फाइनल ईयर का। प्लेसमेंट की टेंशन सिर चढ़कर बोल रही है। नौकरी के लिए जद्दोजहद चल रही है। अंकित सीवी लिखने के जूझ रहा है। वहीं, नबोमिता के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी रिलेशनशिप को राज रखने की है।
जतिन प्लेसमेंट पर फोकस करने की कोशिश करता है, मगर हॉस्टल में लड़ाई का हिस्सा बन जाता है। फाइनली विदाई का वक्त आता है और कॉलेज के साथ हॉस्टल लाइफ खत्म होती है।
कैसा है स्क्रीनप्ले और अभिनय?
यह सीजन कॉलेज और हॉस्टल की मौजमस्ती के बाद नौकरी और करियर की संजीदगी को दिखाता है, जैसा कि सभी के साथ होता है। प्लेसमेंट के जरिए नौकरी मिलना सबसे बड़ी सुविधा और चुनौती होती है। जिसको प्लेसमेंट से नौकरी मिलती है, उसे कॉलेज खत्म होने की टेंशन नहीं होती, लेकिन प्लेसमेंट ना हो तो फिर बची-खुची कॉलेज लाइफ भी जंजाल बनने लगती है।
सीरीज की स्टार कास्ट का पहले सीजन से आखिरी सीजन तक ट्रांसफॉर्मेशन जबरदस्त है। इसमें दोस्ती, मोहब्बत, पढ़ाई का दबाव और भविष्य की अनिश्चितता सबको कवर किया गया है। ऐसे घटनाक्रम हर किसी की जिंदगी में आते हैं, इस वजह से दर्शक इससे जुड़ाव महसूस करते हैं।
लेखन के स्तर पर हॉस्टल डेज युवा पीढ़ी को कनेक्ट करता है। हालांकि, इस क्रम में शो की भाषा और कुछ दृश्य बोल्ड हो जाते हैं। शो को ए रेटिंग के साथ रिलीज किया गया है। अभिनव आनंद ने निर्देशन में यूथ की नब्ज पकड़ी है। कलाकारों का उन्हें पूरा साथ मिला है। चार सीजनों में वो रवानगी नजर आती है। कलाकारों की आपसी बॉन्डिंग भी इसमें योगदान करती है।
हॉस्टल लाइफ के कई दृश्य ऐसे हैं, जिनकी हरकतें देखकर किसी परिचित की याद आ जाती है। आकांक्षा के किरदार में एहसास चन्ना जबरदस्त हैं। प्लेसमेंट कॉऑर्डिनेटर के तौर पर अपने दोस्तों की फिक्र इस किरदार को मोनोटोनस नहीं होने देती।
लव विस्पुते और आयुषी गुप्ता की लुकाछुपी प्यारी लगती है। निखिल विजय और शुभम गौड़ ने अपने किरदारों से इस रंग जमा दिया है। अंकित के किरदार में उत्सव सरकार की ब्रेकअप से उबरने की कोशिश देख ऐसा लगता है कि अपनी जिंदगी का कोई पन्ना देख लिया हो।
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