Half CA Review: ह्यूमर के साथ काम की बात करती है 'हाफ सीए' सीरीज, कॉमर्स के स्टूडेंट्स देखेंगे अपनी तस्वीर
Half CA Web Series Review ओटीटी स्पेस में ऐसे कई शोज हैं जिनमें स्टूडेंट लाइफ की बात की गयी है। इनमें से कई शोज टीवीएफ ने बनाये हैं। इसी क्रम में अब हाफ सीए जारी किया गया है। कॉरपोरेट और बिजनेस को केंद्र में रखकर तो कई शोज बनाये गये हैं मगर सीए एग्जाम की तैयारियों पर पहली बार शो आया है।

नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय मध्यमवर्गीय परिवारों में बच्चे के स्कूल में दाखिले के साथ ही उसके करियर के विकल्पों पर माथापच्ची शुरू हो जाती है। बच्चा थोड़ा बड़ा होता है तो पैरेंट्स की नजर उसकी मार्कशीट पर गड़ी रहती है। मैथ में कितने आये, साइंस में परफॉर्मेंस कैसी है और करियर की इस आपाधापी में बेचारा कॉमर्स विषय कहीं पीछे छूट जाता है।
इंजीनियरिंग और डॉक्टर बनाने की चाहत में कॉमर्स हमेशा हाशिये पर चला जाता है। जो बच्चे इस 'उपेक्षित स्ट्रीम' से पढ़ाई करते भी हैं, उनकी मेधा को हमेशा साइंस वाले बच्चों की तुलना में संदेह की नजर से देखा जाता है और यह संदेह तब तक बरकरार रहता है, जब तक चार्टर्ड एकाउंटेंसी के एग्जाम में ना बैठना पड़े।
तैयारियों और हौसले की बात
साइंट स्ट्रीम वालों के लिए जिस तरह आइआइआइटी प्रवेश परीक्षा या एम्स की प्रवेश परक्षा होती है, सीए को पास करना उससे किसी भी तरह कम नहीं है। जिस तरह यूपीएससी की तैयारी में विद्यार्थी सालों गुजार देते हैं, सीए फाइनल करने में भी दिन-रात और महीनों की गिनती नहीं रहती।
अमेजन मिनी टीवी पर रिलीज हुई टीवीएफ की नई सीरीज हाफ सीए इस प्रोफेशन को चुनने वालों के सामने की तमाम चुनौतियों और इसके सामाजिक प्रभाव को दिखायी है। कॉमर्स चुनने वाले विद्यार्थियों को लेकर होने वाले तंज या ऐसे स्टूडेंट्स, जो सीए पूरा नहीं कर सके, उनके जाने-अनजाने मानसिक उत्पीड़न को पेश करती है।
विद्यार्थी जीवन में इस दौर से गुजरने वाले इन सभी भावनाओं से इत्तेफाक रखेंगे और कहीं ना कहीं अपनी तस्वीर देखेंगे। सीरीज का विषय कहीं-कहीं गंभीर लगता है, मगर इसका ट्रीटमेंट हल्का-फुल्का रखा गया है, जो टीवीएफ के शोज की यूएसपी रहती है।
कहानी के केंद्र में बचपन के दोस्त आर्ची और विशाल हैं। आर्ची सीए बनना चाहता है। विशाल, आर्ची के हर फैसले का समर्थन करता है। इन दोनों के अलावा कहानी में नीरज ग्रोवर का ट्रैक है, जो हाफ सीए है, यानी इंटर कर चुका है, मगर तमाम कोशिशों और मेहनत के बावजूद उसका फाइनल नहीं हो पा रहा।
असली से लगते किरदार और संवाद
पांच एपिसोड्स में फैली सीरीज का लेखन खुशबू बैद, तत्सत पांडेय, अरुणाभ कुमार और हरीश पेदिंती ने किया है। अरुणाभ और हरीश क्रिएटर भी हैं। निर्देशन की जिम्मेदारी बखूबी सम्भाली है प्रतीश मेहता ने, जो इससे पहले एसके सर की क्लास निर्देशित कर चुके हैं।
हाफ सीए के चार एपिसोड्स की अवधि लगभग आधा घंटा प्रति एपिसोड है, जबकि आखिरी एपिसोड 44 मिनट लम्बा है। टीवीएफ के शोज की खासियत इसके किरदारों का सहज और सरल चित्रण होता है, जो वास्तविक जीवन से निकले होते हैं और उनमें हर किसी को अपने गुजरे दौर की छवि नजर आती है।
हाफ सीए की खूबी यह है कि इसमें सीए की बनने की ख्वाहिश दिखाने के लिए महिला किरदार आर्ची को चुना गया है, जिसे एहसास चन्ना ने निभाया है। इस किरदार के जरिए कहीं ना कहीं करियर च्वाइस को लेकर लैंगिक पूर्वाग्रहों को तोड़ने की कोशिश की गयी है। चन्ना ने भी आर्ची की उलझनों, समर्पण और भावनात्मक उतार-चढ़ाव को सफलता के साथ उतारा है।
विशाल के किरदार में अनमोल कजानी का अभिनय मुख्य किरदार को सपोर्ट करता है। ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ओटीटी के उन कलाकारों में हैं, जो हर किरदार में प्रभाव छोड़ते हैं। सीरीज में उनके किरदार नीरज की जो यात्रा दिखायी गयी है, उसमें ज्ञानेंद्र ने जान फूंकी है। अपमान और तिरस्कार को बर्दाश्त करते हुए आशावादी और सकारात्मक रवैया अपनाये रखना, त्रिपाठी ने इसे जस्टिफाइ किया है।
खुद सफल ना होते हुए भी किसी के हौसले का सबब बनना, इस किरदार की सबसे बड़ा चारित्रिक गुण है। सीरीज के संवाद प्रैक्टिल हैं और उनमें भी ह्यूमर की एक परत रहती है। स्टूडेंट लाइफ की यादें ताजा करने और OTT पर एक फील गुड शो देखने का मन है तो हाफ सीए अच्छी च्वाइस हो सकती है।
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