Captain America 4 Review: भारत के प्रधानमंत्री को MCU में दी गई खास जगह, एक बात से निराश हो सकते हैं फैंस
मार्वल यूनिवर्स की फिल्म कैप्टन अमेरिका उनकी सफल फ्रेंचाइजी में से एक है। एक लंबे इंतजार के बाद इस फिल्म का चौथा पार्ट कैप्टन अमेरिका ब्रेव न्यू वर्ल्ड सिनेमाघरों में रिलीज हो चुका है जिसमें इस बार ऑडियंस को लाल हल्क और कैप्टन अमेरिका के बीच दमदार एक्शन की साक्षी बनेगी। खास बात ये है कि मार्वल यूनिवर्स ने अपनी इस सफल फ्रेंचाइजी में भारत को भी जगह दी है।

प्रियंका सिंह, मुंबई। मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स (एमसीयू) अपनी 35वीं फिल्म कैप्टन अमेरिका : ब्रेव न्यू वर्ल्ड सिनेमाघरों में ले आया है, जो कैप्टन अमेरिका फ्रेंचाइजी की चौथी फिल्म है। कैप्टन अमेरिका : सिविल वॉर के साथ ट्रायलॉजी फिल्म खत्म हो गई थी, जिसमें कैप्टन अमेरिका उर्फ स्टीव राजर्स (क्रिस इनान्स) और सैम विल्सन (एंथनी मैकी) के बीच गहरी दोस्ती होती है। विल्सन कैप्टन अमेरिका को असिस्ट किया करता था और एवेंजर्स में शामिल था। उसके बाद द फैल्कन एंड द विंटर सोल्जर मिनीसीरीज में सैम विल्सन को कैप्टन अमेरिका बना दिया जाता है।
कैसी है कैप्टन अमेरिका: न्यू ब्रेव वर्ल्ड की कहानी?
इस फ्रेंचाइजी की चौथी फिल्म की कहानी इस बार सैम विल्सन के साथ शुरू होती है, जो अब नया कैप्टन अमेरिका बन चुका है। वहीं रौस (हैरिसन फोर्ड) अमेरिका का राष्ट्रपति बन चुका है। उसे पता चलता है कि हिंद महासागर में सेलेस्टियल द्विप है, जहां एडमैंटियम नामक नई धातु मिली है। इस धातु के कई फायदे हैं, उससे दवाइयां और कई चीजें बनाई जा सकती हैं।
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इसका पहला और इकलौता सैंपल जापानियों से चुरा लिया गया था, जो कैप्टन अमेरिका और टारेस (डैनी रैमीरेज) की वजह से वापस मिल जाता है। रौस एडमैंटियम को दुनिया में ईमानदारी से बांटना चाहता है। इसके लिए वह कई देशों का समर्थन और उनसे गठबंधन चाहता है। व्हाइट हाउस में सभी देशों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया जाता है, जिसमें भारत भी शामिल होता है।
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कैप्टन अमेरिका को भी बुलाया जाता है। रौस कैप्टन अमेरिका से एवेंजर्स को फिर से इकठ्ठा करने के लिए मदद मांगता है, ताकि एडमैंटियम की सुरक्षा की जा सके। व्हाइट हाउस में रौस पर हमला होता है। वह हमला क्यों होता है, उसके पीछे गहरा कारण है, जिससे पर्दा उठाना यहां सही नहीं होगा।
मार्वल यूनिवर्स में हुई भारत की एंट्री
इस सीरीज की खास बात यह रही कि इस बार भारत को भी एमसीयू में शामिल किया गया है। भारत के प्रधानमंत्री को खास जगह दी गई है, जिसमें एक सीन में तो वह अमेरिका के राष्ट्रपति पर नाराजगी जताते हुए भी दिखाई देते हैं। निर्देशक जुलियस की यह पहली सुपरहीरो फिल्म हैं, ऐसे में ऐसी फिल्मों को बनाने में अनुभव की कमी दिखाई देती है। कई लेखकों ने मिलकर इसकी कहानी और स्क्रीनप्ले लिखा है।
उस चक्कर में कहानी अच्छी होने के बावजूद, बिखरा हुआ स्क्रीनप्ले मजा किरकिरा कर देता है। हालांकि फिल्म के एरियल एक्शन (हवा में किए हुए एक्शन) जबरदस्त हैं, खासकर लड़ाकु विमानों के साथ कैप्टन अमेरिका का टकरना और उन्हें ध्वस्त कर देना।
स्टीव राजर्स की बीच-बीच में आएगी याद
पहले की तीन फिल्मों में कैप्टन अमेरिका रहे स्टीव राजर्स (क्रिश इनान्स) की कमी खलती है। हालांकि बीच-बीच में स्टीव और उनकी बहादुरी के किस्से सुनाकर उस कमी को पूरा करने का प्रयास किया जाता है। सैम को बार-बार स्टीव के मुकाबले कमतर होने का आत्मसंदेह होता है, लेकिन कहानी उसके पीछे के कारणों को नहीं ढूंढती है।
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रौस का लाल हल्क में परिवर्तित होना और फिर उसका कैप्टन अमेरिका के साथ उसकी जबरदस्त लड़ाई फिल्म में ताजगी लाती है। कई फिल्मों और टीवी धारावाहिकों को अपने कैमरे में कैद करने वाले सिनेमैटोग्राफर क्रेमर मार्गेन्थो का काम शानदार है, खासकर एरियल एक्शन सीन में।
एंथनी मैकी ने बाकी सुपरहीरो से बिल्कुल अलग
अभिनय की बात करें, तो एंथनी मैकी सुपरहीरो की नई परिभाषा लिखते हैं। वह बाकी सुपरहीरो से अलग नजर आते हैं। एक्शन में तो तेजतर्रार हैं। कैप्टन अमेरिका के सहायक के तौर पर डैनी रैमीरेज हंसी के पल ले आते हैं। द इनक्रेडिबल हल्क (2008) से टिम ब्लेक नेलसन की वापसी इस सीरीज में हुई है, नेगेटिव रोल में वह धीमी कहानी में गति लाते हैं। रौस और लाल हल्क की भूमिका में हैरिसन फोर्ड को अपने अभिनय के कई रंग दिखाने का मौका मिला है।
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