Bad Boy Movie Review: नमोशी चक्रवर्ती की पहली फिल्म हुई रिलीज, पढ़िए कैसा है मिथुन के बेटे का अभिनय?
Bad Boy Movie Review नमोशी चक्रवर्ती ने बैड ब्वॉय से अपना करियर शुरू कर दिया है। यह फिल्म पैनडेमिक के कारण देर से रिलीज हुई है। फिल्म का निर्देशन राजकुमार संतोषी ने किया है। बैड ब्वॉय एक रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। कोरोना काल की वजह से कई फिल्मों की रिलीज अटक गई थी। उनमें राजकुमार संतोषी निर्देशित फिल्म बैड ब्वाय भी है। इसकी शूटिंग वर्ष 2019 में पूरी हो गई थी, लेकिन अब सिनेमाघरों में रिलीज हो पाई है।
इस फिल्म से अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती के बेटे नमोशी चक्रवर्ती और निर्माता साजिद कुरैशी की बेटी अमरीन को लांच किया गया है। यह हल्की फुल्की फार्मूला आधारित कॉमेडी फिल्म है।
आदर्शों और सिद्धांतों में यकीन रखने वाला शुभांकर बनर्जी (शाश्वत चटर्जी) क्वालिटी और विजिलेंस (इंडियन मेडिकल काउंसिल) में बतौर डिप्टी सेक्रेटरी कार्यरत है। वह शहर के किसी भी अस्पताल में सूंघ कर गड़बड़ पहचान लेता है। शुभांकर प्रोफेशन के साथ निजी जिदंगी में हाई क्वालिटी और स्टैंडर्ड में यकीन रखता है।
उसके यह सिद्धांत उसकी बेटी रितुपर्णा (अमरीन) और पत्नी भी फॉलो करते हैं। घटनाक्रम कुछ ऐसे मोड़ लेते हैं कि कबाड़ी (राजेश शर्मा) का निकम्मा बेटा रघु (नमोशी चक्रवर्ती) पहली नजर में पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहने वाली रितु को अपना दिल दे बैठता है। कालेज में रितु से बदसलूकी करने वाले लड़के को रघु सबक सिखाता है।
हिंदी फिल्मों के पुराने फार्मूले की तरह दोनों में दोस्ती होती है, जो प्यार में बदल जाती है। दोनों के रिश्ते की बात पता चलने पर शुभांकर शर्त रखता है कि वह एक महीने का उनका घर का खर्च उठाए, लेकिन यह उधारी का पैसा नहीं होना चाहिए। ताकि, यह साबित हो कि वह रितु को अच्छी जिंदगी दे सकता है। रघु शर्त को पूरा करने के लिए तमाम जतन करता है।
फिल्म में 'केजीएफ, पुष्पा फिल्म देखो' जैसे संवाद से इसे वर्तमान की कहानी बताने का प्रयास किया गया है, लेकिन यह पिछली सदी के नौवें दशक का अहसास देती है। मध्यांतर से पहले कहानी रघु और रितु के रिश्ते को स्थापित करती है। उसमें कई हल्के-फुल्के पल आते हैं जो हंसी के फव्वारे लाते हैं।
मध्यांतर के बाद मामा पोल्टू (जानी लीवर) की एंट्री लोटपोट करती है। नमोशी साथ उनके प्रसंग और दृश्य रोचक बने हैं। फिल्म का शीर्षक भले ही बैड ब्वाय यानी गंदा लड़का है, लेकिन यह लड़का कोई बिगड़ैल नहीं है। फिल्म का उद्देश्य हंसाना है, इसलिए शुरू से आखिर तक ऐसे दृश्यों की परिकल्पना की गई है, जो दर्शकों को गुदगुदा सकें।
अंदाज अपना अपना, अजीब प्रेम की गजब कहानी जैसी हिट रोमांटिक कॉमेडी फिल्में दे चुके राजकुमार संतोषी के पास सुघड़ भाषा और संवेदना है। उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में इस प्रेम कहानी को बनाया है। इसमें कोई द्विअर्थी संवाद नहीं है। इसमें रोमांस, मस्ती के साथ थोड़ा एक्शन का तड़का भी है। संजीव द्वारा लिखा स्क्रीनप्ले और डायलाग आपको बांधकर रखते हैं।
स्टार किड नमोशी की यह पहली फिल्म है। वह अपनी अदायगी से दर्शकों को निराश भी नहीं करते। वह हर अंदाज में प्यारे लगते हैं, क्योंकि उन्होंने पूरे मनोयोग और विश्वास से अपने किरदार को निभाया है। पिता की तरह डांस सीक्वेंस में उनकी अदाएं आकर्षक हैं। आगे उन्हें अच्छे मौके मिले तो वह बेहतरीन अभिनेता साबित हो सकते हैं। इस फिल्म में वह साबित करते हैं कि हास्य प्रधान फिल्मों में कमाल कर सकते हैं।
अमरीन के साथ उनकी केमिस्ट्री जमती है। अमरीन ने अपने किरदार को शिद्दत से जीया है। उनकी आंखें बेहद खूबसूरत हैं। वह कई जगह बेहद ग्लैमरस दिखी हैं। हालांकि, संवाद अदायगी और भावनात्मक दृश्यों पर उन्हें काफी मेहनत करनी होगी। यह फिल्म मुख्य रूप से नमोशी और अमरीन पर केंद्रित है, इसलिए बाकी किरदारों को अपेक्षित महत्व नहीं मिला है।
रितु के पिता के रूप में शाश्वत चटर्जी अपने कद्दावर व्यक्तित्व के कारण ध्यान खींचते हैं। अन्यथा रघु के दोस्तों, रितु की मां को ज्यादा महत्व नहीं मिला है। जानी लीवर अपने चिर-परिचित अंदाज में है, लेकिन वह हंसाने में कामयाब रहते हैं। रघु के पिता की भूमिका में राजेश शर्मा पर निगाहें टिकती हैं।
फिल्म जनाबे आली में मेहमान भूमिका में मिथुन चक्रवर्ती लुभा जाते हैं। हिमेश रेशमिया के संगीतबद्ध गाने फिल्म की थीम के मुताबिक हैं। बैड ब्वाय में राजकुमार संतोषी सहज तरीके से ढाई-तीन दशक पुरानी शैली और संरचना की फिल्म आज के दर्शकों के लिए पेश कर देते हैं।
कलाकार: नमोशी चक्रवर्ती, अमरीन, शाश्वत चटर्जी, जानी लीवर, राजेश शर्मा, दर्शन जरीवाला
निर्देशक: राजकुमार संतोषी
अवधि: दो घंटा तीन मिनट
स्टार: तीन