पर्दे पर 'शाह बानो' का किरदार निभाएंगी Yami Gautam, इमरान हाशमी के साथ दिखाएंगी ऐतिहासिक कहानी
Yami Gautam पर्दे पर एक और दमदार कहानी के साथ वापसी करने वाली हैं। इस बार अभिनेत्री दर्शकों के देश के एक ऐसे केस की झलक दिखाएंगी जिसके लिए एक महिला ने करीब 7 साल कानूनी लड़ाई लड़ी थी। एक्ट्रेस शाह बानो केस को सिल्वर स्क्रीन पर जिंदा करने वाली हैं। बताया जा रहा है कि फिल्म का पहला शेड्यूल भी पूरा हो गया है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। बॉलीवुड की टैलेंटेड एक्ट्रेस Yami Gautam और Emraan Hashmi एक साथ ऐतिहासिक कहानी में नजर आने वाले हैं। यह फिल्म साल 1985 में सुप्रीम कोर्ट में हुए ऐतिहासिक शाह बानो बनाम मोहम्मद अहमद खान केस पर आधारित है, जिसने देश में मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को लेकर एक नई बहस छेड़ दी थी। इस केस की 40वीं वर्षगांठ पर इस फिल्म की घोषणा की गई है, जिसमें यामी गौतम लीड रोल में नजर आएंगी।
शाह बानो के किरदार में यामी गौतम
इस फिल्म में यामी गौतम शाह बानो का किरदार निभा रही हैं—एक ऐसी महिला, जिसने अपने हक की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी। फिल्म की कहानी मुस्लिम महिलाओं के अधिकार, तलाक के बाद गुजारा भत्ता, और सामाजिक अन्याय के खिलाफ उठती एक आवाज को दर्शाएगी। यामी इस रोल में एक दमदार महिला के रूप में दिखेंगी, जो पर्सनल लॉ और संविधान के टकराव के बीच खुद के लिए इंसाफ मांगती है।
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इमरान हाशमी निभाएंगे अहमद खान का रोल
खबरों के मुताबिक, यामी गौतम के पति के किरदार यानी मोहम्मद अहमद खान की भूमिका में इमरान हाशमी नजर आएंगे। इस केस में अहमद खान ने अपनी पत्नी को ट्रिपल तलाक देकर छोड़ दिया था और फिर गुजारा भत्ता देने से इनकार कर दिया था। रिपोर्ट्स के अनुसार फिल्म का पहला शूटिंग शेड्यूल पूरा हो चुका है और यह 1970 के दशक के बैकड्रॉप में सेट की गई है।
दोनों एक्टर्स का वर्कफ्रंट
यामी गौतम को हाल ही में फिल्म ‘आर्टिकल 370’ में देखा गया था, जिसमें उनकी परफॉर्मेंस को क्रिटिक्स और ऑडियंस दोनों ने सराहा। वहीं इमरान हाशमी इस समय अपनी फिल्म ‘ग्राउंड जीरो’ के प्रमोशन्स में व्यस्त हैं, जिसमें वो बीएसएफ ऑफिसर के रोल में नजर आएंगे। इसके अलावा वह सलमान खान की ‘टाइगर 3’ में भी नजर आ चुके हैं।
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शाह बानो केस के बारे में..
1978 में 62 वर्षीय शाह बानो को उनके पति ने ट्रिपल तलाक दे दिया था। इसके बाद उन्होंने भत्ता पाने के लिए कोर्ट का रुख किया। 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि धारा 125 सीआरपीसी सभी धर्मों पर समान रूप से लागू होती है। यह फैसला महिलाओं के अधिकारों की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ था।
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