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    Major Mukund Varadharajan की कहानी है फिल्‍म Amaran, इनके नाम से कांपते थे कश्‍मीर में आतंकी

    By Anu Singh Edited By: Anu Singh
    Updated: Mon, 09 Dec 2024 08:49 AM (IST)

    शिवकार्तिकेय की फिल्म अमरन को लोगों ने खूब प्यार दिया है। इसकी की कहानी ने थिएटर में बैठे हर व्यक्ति को इमोशनल कर दिया था। कमाई के लिहाज से भी फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर काफी अच्छी कमाई की है। राजकुमार पेरियासामी के निर्देशन में बनी मूवी में मेजर मुकुंद वरदराजन की कहानी को दिखाया गया है। आज हम आपको उन्हीं के बार में विस्तार से बताने वाले हैं।

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    कौन हैं मेजर मुकुंद वरदराजन जिन पर आधारित है फिल्म अमरन की कहानी. (Photo Credit- The Hindu)

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Amaran Movie Real life Hero: साउथ की फिल्मों में अक्सर ही कुछ खास और हटकर देखने को मिलता है। दिवाली के मौके पर सिनेमाघरों में रिलीज हुई अमरन तो आपको याद ही होगी। फिल्म को लोगों ने जबरदस्त प्यार दिया था। मेकर्स ने अमरन को ओटीटी पर भी स्ट्रीम कर दिया है। इसकी रिलीज से पहले और बाद दोनों के दौरान ही काफी बवाल देखने को मिला था। कई लोगों ने मूवी का विरोध भी किया था। कुछ लोगों का कहना था कि इसमें कश्मीर में हुई आतंकवादी घटनाओं को दिखाया गया है।

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    आज हम आपको मेजर मुकुंद वरदराजन की कहानी के बारे में बताने वाले हैं। शोपियां के एक गांव में छिपे आतंकवादियों की भारी गोलीबारी में 31 साल के वरदराजन की मौत हो गई थी। हालांकि, मरने से पहले उन्होंने तीन आतंकवादियों को मार गिराया था। राजकुमार पेरियासामी के निर्देशन में बनी इस फिल्म में शिवकार्तिकेयन, साई पल्लवी, भुवन अरोड़ा, राहुल बोस और सुरेश चक्रवर्ती जैसे कलाकारों ने काम किया है।

    कौन हैं मेजर मुकुंद वरदराजन?

    मुकुंद वरदराजन का जन्म 12 अप्रैल 1983 को तमिलनाडु के तांबरम में आर. वरदराजन और गीता के घर पर हुआ था। उनकी दो बहनें हैं, नित्या और स्वेता। उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से पत्रकारिता में डिप्लोमा किया था। मुकुंद एक आर्मी परिवार से थे जिनके दादा और दो चाचा सेना में कार्यरत रहे थे। यही से उनके मन में सेना में शामिल होने और अपने देश के लिए लड़ने की प्रेरणा आई। 18 मार्च 2006 को, शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के लिए अधिकारियों को प्रशिक्षित करने वाली संस्था ने उन्हें सबसे पुरानी भारतीय रेजिमेंटों में से एक, राजपूत रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट बनाया गया।

    Photo Credit- IMDb

    वह लेबनान में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन का हिस्सा थे और 18 अक्टूबर 2012 को उन्हें मेजर के पद दिया गया था। उसके बाद उन्हें आतंकवाद विरोधी बल राष्ट्रीय राइफल्स की 44वीं बटालियन में स्थानांतरित कर दिया गया और भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के दौरान उन्हें जम्मू-कश्मीर में तैनात किया गया। 25 अप्रैल 2014 को, अपने 31वें जन्मदिन के ठीक दो हफ्ते बाद, मुकुंद ने एक नागरिक घर में आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में खुफिया जानकारी मिलने के बाद दक्षिण कश्मीर में एक टीम का नेतृत्व किया था।

    वरदराजन ने आतंकवादियों को तो मार गिराया था लेकिन मुठभेड़ के दौरान उन्हें भी गोली लग गई थी। उन्हें तीन गोलियां लगी थीं। साल  2014 में मेजर ने सेना अस्पताल ले जाते दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था। वरदराजन को देश का सर्वोच्च शांति कालीन वीरता पुरस्कार, अशोक चक्र दिया गया, जबकि सिंह को भारत के तीसरे सर्वोच्च शांतिकाल वीरता पुरस्कार, शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।

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    कौन हैं मेजर की पत्नी इंदु रेबेका वर्गीस?

    वरदराजन की पर्सनल लाइफ की बात करें तो उन्होंने अपनी लॉन्ग टाइम गर्लफ्रेंड इंदु रेबेका वर्गीस से साल 2009 में शादी रचाई थी। दोनों को इस शादी से एक बच्चा भी था। मेजर की मौत के समय वो महज तीन साल का था। अपने पति के बलिदान के सामने सिंधु का साहस और हिम्मत आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई है। अपने पति को मिले अशोक चक्र को लेने के बाद उन्होंने कहा था, "आज देश को जो देखने की जरूरत है वह व्यक्ति है जो वह (पति मुकुंद वरदराजन) थे। यह मेरा दुख नहीं है।"

    क्या है फिल्म की कहानी?

    अमरन की कहानी की बात करें तो यह एक सेना अधिकारी मेजर मुकुंद वरदराजन की इमोशनल स्टोरी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने देश की रक्षा के लिए आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अंतिम सांस तक लड़ते हुए शहीद हो जाता है। फिल्म देशभक्ति, साहस और सैनिकों पर है। इसके अलावा सैनिकों के परिवार पर उनके जाने के बाद क्या है गुजरती है उसे भी मेकर्स ने काफी सहज तरीके से दिखाने की कोशिश की है।

    Photo Credit- Times of India

    इस फिल्म का म्यूजिक जीवी प्रकाश कुमार ने तैयार किया है। फिल्म का टोटल रन टाइम 2 घंटे 49 मिनट है। यह फिल्म शिव अरूर और राहुल सिंह की किताब "इंडियाज मोस्ट फियरलेस: ट्रू स्टोरिज ऑफ मॉडर्न मिलिट्री हीरोज" पर बेस्ड है। यह किताब मेजर मुकुंद की शौर्य और पराक्रम की गाथा सुनाती है।

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