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    फिल्मों में कैसे इस्तेमाल होती है 'क्रोमा की', हरे पर्दे पर शूटिंग का क्या है कनेक्शन?

    By Ashish RajendraEdited By: Ashish Rajendra
    Updated: Sat, 24 Feb 2024 07:06 PM (IST)

    एक फिल्म को बनाने को लेकर पर्दे के पीछे काफी मेहनत और तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। बदलते समय के साथ फिल्म इंडस्ट्री में टेक्नोलॉजी के फील्ड में कई बड़े बदलाव देखे गए हैं। उनमें से एक क्रोमा की (Chroma Key)। आखिर फिल्मों में ये क्रोमा की किस तरह से काम करती है और इससे एक मूवी की शूटिंग पर क्या-क्या प्रभाव पड़ता है आइए जानते हैं।

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    जानिए क्रोमा की किसे कहा जाता है (Photo Credit-Jagran)

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। एक जमाना था जब रामानंद सागर की रामायण में हनुमान जी को हवा उड़ने वाला दृश्य देखना बनावटी से लगता था। वहीं अगर आधुनिक युग में जब बॉलीवुड सुपरहीरो कृष हवा में उड़ता है तो ये सीन एक दम से रियल लगता है। लेकिन इसके पीछे की कहानी कुछ और होती है।

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    हरे पर्दे के सामने शूटिंग कर ये कृष रफ्तार पकड़ता है और फिर क्रोमा की (Chroma Key) मदद से उसे असली आसमान की पृष्ठभूमि पर उतार दिया जाता है। आखिर ये सब कैसे संभव होता है, फिल्म की शूटिंग में ये हरा पर्दा क्या होता है और क्यों क्रोमा की का इस्तेमाल किया जाता है। आइए इस लेख में हम आपको इसके बारे में हर छोटी डिटेल्स बताने जा रहे हैं।

    क्या होती है क्रोमा की

    गौर किया जाए क्रोमा की असली परिभाषा की तरफ तो ये एक तकनीक है, एडटिंग टूल में यूज कर सीन के पीछे के बैकग्राउंड में फेरबदल कर वास्तविकता के आधार पर तैयार किया जाता है। इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से हरे रंग या नीले रंग के पर्दे पर फिल्मों की शूटिंग की जाती है। जिन्हें एडिटिंग की भाषा में ग्रीन क्रोमा स्क्रीन या फिर ब्लू क्रोमा स्क्रीन कहा जाता है।

    बैकग्राउंड में रखकर इन पर्दों पर फिल्म के सीन्स की शूटिंग की जाती है और बाद में एडिटिंग डेस्क पर जाकर इस पर्दे की जगह बैक्रग्राउंड को बदल दिया है।

    इसका अंदाजा आप इन तस्वीरों के जरिए आसानी से लगा सकते हैं। हालांकि क्रोमा की के अलावा ऐसे सीन्स के लिए विजुएल इफेक्ट्स यानी वीएफएक्स से भी काफी सहयोग मिलता है।

    हर पर्दे को क्यों चुना जाता है

    इन सब से बाद एक सवाल जहन में आता है कि शूटिंग के वक्त हरे और नीले रंग का पर्दा ही क्यों उपयोग किया जाता है, उसके स्थान पर और कोई रंग क्यों नहीं होता। इसकीपीछे की एक बड़ी वजह है, दरअसल हमारे शरीर का कोई भी अंग हरे या फिर नीले कलर का नहीं होता है।

    ऐसे में जब बैकग्राउंड रीमूव करने के लिए क्रोमा की का इस्तेमाल किया जाता है तो उस परिस्थिति में ये काफी आसानी रहता है और शरीर का कोई भी किस्सा एडिटिंग में कटता नहीं है, जो बाद में ज्यों का त्यों सही सेट होता है। अन्य कलर के तुलना में ग्रीन और ब्लू रंग क्रोमा की में कारगर साबित होते हैं।

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    सिनेमा जगत में कब शुरू हुआ क्रोमा की का चलन

    हॉलीवुड फिल्मों में लंबे समय से क्रोमा की का ट्रेंड चला रहा है। बॉलीवुड फिल्मों में हॉलीवुड की देखा-देखी इस तकनीक का चलन शुरू हुआ है। लेकिन छोटे पर्दे के मशहूर शो अलिफ लैला के जरिए क्रोमा की को काफी अधिक बढ़ावा मिला। इस टीवी सीरियल में कई हैरान करने वाले सीन्स मौजूद थे, जिन्हें क्रोमा की मदद से ही तैयार किया था।

    क्रोमा पर शूट होने वाली पॉपुलर मूवीज

    आज के दौर में हर तीसरी फिल्म में क्रोमा स्क्रीन के जरिए तैयार की जाती है। लेकिन इसको सबसे अधिक वरीयता एक्शन सीक्वेंस, साइंस और एनिमेशन फिक्शन फिल्मों में क्रोमा की का इस्तेमाल काफी ज्यादा किया जाता है।

    उदाहरण के तौर पर आप फाइटर, बाहुबली, रा.वन, कृष 3, जवान, सालार और हॉलीवुड फिल्म अवतार, एवेंजर्स फ्रेंचाइजी का नाम आसानी से ले सकते हैं।

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