Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Movie Intervals: सिनेमाघरों में मूवी के बीच में क्यों होता है इंटरवल? यहां पढ़ें फुल डिटेल्स

    By Ashish RajendraEdited By: Ashish Rajendra
    Updated: Wed, 21 Feb 2024 07:21 PM (IST)

    सिनेमाघरों में फिल्में देखने का अलग ही मजा होता है। थिएटर में मूवी को देखने का चलन काफी पुराना है। लेकिन बड़े पर्दे पर अक्सर देखा जाता कि मूवी के दौरान बीच में इंटरवल (Intervals in Theater) होता है। बड़ा सवाल ये है कि आखिर ये क्यों होता है सिनेमा जगत के हिसाब से इसके क्या मायने हैं ये सारी डिटेल्स हम आपको इस लेख में देने जा रहे हैं।

    Hero Image
    इंटरवल का क्या है असली मतलब (Photo Credit-Jagran)

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। बड़े पर्दे पर फिल्में देखने के चलन सदियों पुराना है। फैंस को सिनेमाघरों में मूवी (Bollywood Movies) देखने से एक अलग अनोखे अनुभव की प्राप्ति होती है। हम सबने ने एक न एक बार तो थिएटर में फिल्मों का मजा लिया होगा। इस दौरान हमने ये भी नोटिस किया होगा है कि फिल्म के फर्स्ट हाफ के बाद बीच में इंटरवल या इंटरमिशन होता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लेकिन आपने कभी ये सोचा है कि इस इंटरवल को क्यों लिया जाता है। फिल्मी दुनिया के आधार पर सिनेमाघरों (Theater) में इंटरवल के क्या मायने, इससे जुड़ी सारी जानकारियां हम आपको इस लेख में देने जा रहे हैं।

    क्यों होता है फिल्मों के बीच में इंटरवल

    बड़े पर्दे पर मूवी देखने के दौरान बीच में इंटरवल को लेकर कई सारी धारणाएं हैं, जिनमें एक ये भी है कि इस खाली समय को ऑडियंस सिर्फ रिफ्रेशमेंट के तौर पर मानते हैं। लेकिन असली मायनों में इंटरमिशन का सही मतलब तकनीकी के आधार पर होता है।

    गुजरे जमाने में जब फिल्में बड़ी हुआ करती थीं, तो बीच में इंटरवल इसलिए दिया जाता था ताकि थिएटर में मूवी के फर्स्ट हाफ के बाद सेकंड हाफ की रील को बदला जाए। राज कपूर की संगम और मेरा नाम जोकर जैसी फिल्मों की समयावधि काफी लंबी थी,

    जिसके लिए 60-70 के दशक में इन फिल्मों को लेकर सिनेमाघरों में दो-दो बार इंटरवल हुआ था। हालांकि आधुनिक युग में अब टेक्नॉलजी का स्थिर काफी हद तक बढ़ गया। साथ ही अब इतनी बड़ी फिल्में भी नहीं बनती हैं। सीधे शब्दों में इंटरवल का उपयोग तकनीकी के लिहाज से होता है।

    इंटरवल के कई और मायने

    तकनीकी के अलावा इंटरवल फिल्म की कहानी और व्यवसाय के आधार पर भी कारगार साबित होता है। जब आप कोई फिल्म देखने सिनेमाघरों में जाते हैं तो इंटरमिशन के बाद उस मूवी को लेकर आपकी जिज्ञासा काफी बढ़ जाती है कि सेकंड हाफ में आप फिल्म की कहानी क्या मोड़ लेने वाली है। मूवी के स्क्रीनप्ले के तीन मापदंड के हिसाब से इंटरवल के जरिए दर्शकों में फिल्म को लेकर उत्सुकता का स्थिर बढ़ जाता है।

    इसके अलावा आज के समय में बड़े-बड़े मल्टीप्लेक्स के मालिक इंटरवल को बिजनेस के नजरिए से देखते हैं, क्योंकि मूवी के बीच आधे घंटे के ब्रेक के दौरान ऑडियंस बाहर निकलकर खाने-पीने की चीजों को खरीदते हैं और आनंद लेते हैं। इससे उन मल्टीप्लेक्स के स्वामियों को आर्थिक तौर पर मोटा मुनाफा कमाने को मिलता है।

    ये भी पढ़ें- Movie Reboot vs Remake: क्या होती हैं रीबूट फिल्में, रीमेक मूवी से कैसे होती हैं अलग, जानिए फुल डिटेल्स?

    हॉलीवुड फिल्मों में नहीं होता इंटरवल

    हिंदी सिनेमा के विपरीत हॉलीवुड में फिल्मों के लेकर एक अलग तरह की प्रथा चलती है। जहां बॉलीवुड में इंटरमिशन आम बात है, वहीं दूसरी तरफ इंग्लिश फिल्मी जगत में सिनेमाघरों में कोई इंटरवल देखने को नहीं मिलता है।

    इसका मुख्य कारण ये भी है कि हॉलीवुड फिल्में बॉलीवुड मूवीज की तुलना में अधिक लंबी नहीं होती हैं तो उस आधार पर भी इंटरमिशन की जरूरत नहीं पड़ती है। बताया जाता है कि हॉलीवुड फिल्मों को लेकर थिएटर्स में खाने-पीने की चीजें मूवी के शुरू होने से पहले अंदर लेकर जाने का चलन होता है।

    इस बॉलीवुड फिल्म में नहीं था कोई इंटरवल

    अगर हम आपसे कहें हॉलीवुड की तर्ज पर एक बॉलीवुड फिल्म भी ऐसी थी, जिसके बीच में बड़े पर्दे पर कोई इंटरवल नहीं लिया गया था। ये जानकर आपको हैरानी होगी, लेकिन ऐसा हुआ था साल 1969 में, जब राजेश खन्ना स्टारर फिल्म इत्तेफाक को रिलीज किया गया।

    यश चोपड़ा के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म की समयावधि करीब 1 घंटा 44 मिनट थी और इसके लिए थिएटर में कोई भी इंटरमिशन देखने को नहीं मिला था। 

    ये भी पढ़ें- Bollywood 1st Sequel Movie: डॉन या धूम नहीं! ये थी बॉलीवुड की पहली सीक्वल फिल्म, जानें कब शुरू हुआ ट्रेंड?