बुढ़ापे में अकेले रह गया मधुबाला का ये सुपरस्टार हीरो, बच्चों ने अकेला छोड़ा, सर ढकने के लिए नहीं थी छत!
आज हम जिन महान शख्सियत की बात कर रहे हैं उनका नाम है महान अभिनेता प्रदीप कुमार (Pradeep Kumar)। अभिनेता प्रदीप कुमार ने 50 और 60 के दशक में कई फिल्मों में काम किया। मीना कुमारी और मधुबाला जैसी अभिनेत्रियों के साथ उनकी जोड़ी हिट रही। लेकिन एक वक्त ऐसा आया कि उन्हें अपने जीवन में खूब संघर्ष झेलना पड़ा। आज अभिनेता प्रदीप कुमार की पुण्यतिथि (Pradeep Kumar Death Anniversary) है और इस मौके पर हम आपको उनके जीवन से जुड़े कुछ अनकहे किस्से बताने जा रहे हैं।
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आज महान अभिनेता प्रदीप कुमार की पुण्यतिथि
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली. हिंदी सिनेमा के इतिहास में कई ऐसे सदाबहार अभिनेता रहे हैं, जिन्होंने पर्दे पर हर किसी का दिल जीता। लेकिन एक वक्त आया है उन्हें जीवन में वो संघर्ष करना पड़ा, जिसके बारे में शायद किसी ने ना सोचा हो। एक ऐसे ही महान कलाकार हुए जिन्होंने बॉलीवुड की कई बड़ी फिल्मों में काम किया, जिनको पर्दे पर खूब पसंद किया, लेकिन निजी जीवन में संघर्षों की बेड़ियों से बंध गए और ये वक्त तब था जब उन्हें सहारे की जरूरत थी। उनकी वृद्धावस्था इतनी खराब थी कि उन्हें सिर्फ परेशानियों का ही सामना करना पड़ा। आज हम जिन महान शख्सियत की बात कर रहे हैं उनका नाम है प्रदीप कुमार और आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर हम आपको उनके जीवन से जुड़े कुछ अनकहे किस्से बताने जा रहे हैं।
17 साल की उम्र में ही बन गए थे एक्टर
प्रदीप कुमार का जन्म 19 जनवरी 1925 को कोलकाता में हुआ था। प्रदीप कुमार को बचपन से ही अभिनय का शौक था। उनका ज्यादा झुकाव इसी तरफ था। वह बचपन में नाटक और मंचों पर अभिनय किया करते थे। इसके बाद 17 साल की उम्र में ही उन्होंने ये फैसला लिया कि उन्हें एक्टर बनना है। इसके बाद उन्होंने अपने फिल्मी सफर की शुरूआत एक बंगाली फिल्म से की। बंगाली फिल्म निर्देशक देवकी बोस ने उन्हें अपनी फिल्म अलकनंदा में मौका दिया। ये फिल्म साल 1947 में आई थी, जिसमें प्रदीप कुमार लीड रोल में नजर आए थे। हालांकि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट नहीं हुई थी लेकिन प्रदीप कुमार के अभिनय और उनकी कला दर्शकों द्वारा पसंद की गई। इस फिल्म के बाद कई बंगाली फिल्में मिली, जिनमें उन्होंने काम किया।
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मधुबाला-मीना कुमारी के साथ की कई फिल्में
बंगाली फिल्मों में काम करने के बाद प्रदीप कुमार ने हिंदी फिल्मों का रुख किया। साल 1952 में वो हिंदी फिल्म आनंद मठ में नजर आए। इसके बाद उन्होंने 1953 में फिल्म 'अनारकली में काम किया। इस फिल्म में वो बीना राय के साथ और इसके बाद साल 1954 में वो फिल्म नागिन में दिखे, जिसमें उनके साथ वैजयंतीमाला मुख्य भूमिका में दिखीं। इसके बाद तो मानो प्रदीप कुमार हिंदी सिनेमा बड़े अभिनेताओं में शुमार हो गए। 1950 और 60 के दशक में प्रदीप कुमार की गिनती बड़े अभिनेताओं में होने लगी। ये वो दौर था जब भारत भूषण और अशोक कुमार जैसे नेताओं की बराबरी प्रदीप कुमार से होने लगी, क्योंकि उनके ही जितने बड़े स्टार बन गए। इसके बाद प्रदीप कुमार ने मधुबाला और मीना कुमारी जैसी बड़ी अभिनेत्रियों के साथ भी कई शानदार फिल्में दीं, जिसमें से ज्यादातर सफल ही रहीं। मधुबाला के साथ तो उन्होंने आठ फिल्मों में काम किया, जिनमें 'शिरीन फरदाद', 'यहूदी की लड़की', और 'राज हठ' समेत कई शामिल हैं। मीना कुमार के साथ वो 'चित्रलेखा', 'बहु-बेगम', और 'भीगी रात' समेत सात फिल्मों में दिखे। मधुबाला के साथ उनकी कैमिस्ट्री को रोमांटिक फिल्मों की परंपरा में स्वर्णिम अध्याय कहा जाता है। वहीं मीना कुमारी के साथ उनकी जोड़ी भावनात्मक और संजीदा फिल्मों की पहचान बनी। इसके बाद 70 का वो दौर आया, जब प्रदीप कुमार के बाद कई हीरोज आ चुके थे। अमिताभ बच्चन से लेकर राजेश खन्ना जैसे अभिनेता करियर में आगे बढ़ रहे थे। इस दौर में प्रदीप कुमार राजा-महाराजाओं के किरदारों में ज्यादा दिखने लगे।

जीवन के अंतिम पड़ाव में अकेले रह गए प्रदीप कुमार
प्रदीप कुमार ने पर्दे पर जितनी संजीदगी दिखाई, निजी जीवन में उन्होंने उतना ही संघर्ष किया। उनकी शादी मशहूर अभिनेत्री बीना रॉय से हुई थी। ऑनस्क्रीन और ऑफस्क्रीन दोनों ही जगहों पर दोनों की जोड़ी को दर्शकों ने खूब सराहा था। कहा जाता है कि, उनके बच्चों ने उन्हें लकवे की हालत में अकेला छोड़ दिया था। बच्चों के द्वारा छोड़े जाने के गम में प्रदीप कुमार अक्सर खामोश रहते थे। उनके बच्चे उनसे दूर हो गए थे। कहा तो ये भी जाता है कि, लकवे की हालत से जूझ रहे प्रदीप कुमार की जिंदगी में एक ऐसा समय भी आया जब बीमारी की हालत में उनके पास रहने का कोई ठिकाना नहीं था। उस वक्त कोलकाता के एक बड़े कारोबारी ने उन्हें अपने रामायण रोड स्थित जनक बिल्डिंग में रहने के लिए ठिकाना दिया। पत्नी के निधन के बाद से ही वो अकेले पड़ गए थे। 27 अक्टूबर 2001 को कोलकाता में उनका निधन हो गया था। आज प्रदीप कुमार द्वारा निभाए गए किरदार अब भी लोगों के दिलों में जिंदा है।

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