'वो कहते हैं मैं उखाड़ देता...'Sunny Deol ने अपने फेमस सीन पर की बात, नेपोटिज्म को लेकर क्या बोल गए एक्टर?
बॉलीवुड एक्टर सनी देओल (Sunny Deol) इन दिनों अपनी अपकमिंग फिल्म जाट (Jaat) को लेकर चर्चा में हैं। फिल्म 10 अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। सनी देओल से फिल्म जाट और रामायण को लेकर बात की हमारी संवाददाता ने। इस पर एक्टर ने बहुत ही मजेदार जवाब दिए। वहीं अपने बेटों की लॉन्चिंग पर क्या बोले एक्टर आइए जानते हैं।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। करीब दो साल के अंतराल के बाद सनी देओल ‘जाट’ में धुआंधार एक्शन करते दिखेंगे। इसके अलावा वह नितेश तिवारी की ‘रामायण’ में हनुमान की भूमिका भी निभाते नजर आएंगे। सनी ने अपनी एक्शन फिल्म और रामायण से जुड़े मुद्दों पर बात की। जानिए बातचीत के कुछ अंश...
‘गदर’ में आपके पात्र ने हैंडपंप उखाड़ा था। ‘गदर 2’ में खंभा। अब यहां पर पंखा ही उखाड़ दिया...
(हंसते हुए) वो तो निर्देशक और लेखक कराते हैं वो जो कहते हैं उखाड़ देता हूं। यह सब चर्चा का विषय बनते हैं। जब आप पात्र निभाते हैं तो किस प्रकार से उसे वास्तविक बना सकते हैं। यह किरदार की परिस्थिति होती है कि इंसान में जो ताकत आनी चाहिए, निर्देशक उसे जस्टिफाइ करें।
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आपका संवाद है कि ढाई किलो हाथ की ताकत नार्थ देख चुका, अब साउथ देखगा। क्या हिंदी फिल्मों की दक्षिण भारत में वो स्वीकृति है, जो यहां पर है?
हिंदी सिनेमा में हम हमेशा बहुत खुले रहे हैं। कोई भी फिल्म आती है, डब हो जाती है, उस पर किसी प्रकार की कोई पाबंदी नहीं है। हर भाषा की फिल्में यहां पर डब होकर आ जाती हैं। बाकी हमारे विषय पैन इंडिया होने चाहिए, जो सबको पसंद आएं। उनके विषय ऐसे होते हैं जिससे दर्शक जुड़ाव महसूस करते हैं क्योंकि हम सब भारतीय ही तो हैं।
सिनेमा साफ्ट पावर है
हमें पता है कि हम जो फिल्मों में देखते हैं वो लार्जर दैन लाइफ है। उसे कोई हकीकत नहीं मानता, लेकिन सिनेमा साफ्ट पावर है। लोग फिल्मों के पीछे पड़ जाते हैं क्योंकि टिकट खरीदकर देखने आते हैं। हमें नहीं पता होता कि हम जो कर रहे हैं, वो लोगों पर क्या असर करेगा। बाकी किसी को इंजेक्शन तो दिया नहीं जाता कि तुमने यह देखा तो ऐसे ही बन जाओ।
आपके दोनों बेटे भी सिनेमा में आ चुके हैं। क्या उनके भविष्य को लेकर डर लगता है? अब स्टारकिड सवालों के घेरे में रहते हैं...
नेपोटिज्म एक ऐसा शब्द निकल गया है, जो चलता रहेगा। हम रोक नहीं सकते। हर आदमी को मजा आता है, इंसान ऐसी बातें करने का बहाना ढूंढ ही लेता है। इंसान अपनी काबिलियत से आगे बढ़ता है। माता- पिता हमेशा बच्चों के बारे में ही सोंचेंगे। इन शब्दों को निचोड़कर हम अजीब सा कर देते हैं, लेकिन यही जिंदगी है। बाकी हर किसी के अपने विचार हैं।
आप आमिर खान के प्रोडक्शन की फिल्म ‘लाहौर 1947’ में काम कर रहे हैं। आमिर बतौर निर्माता कैसे लगे?
आमिर अपने काम को लेकर बहुत जुनूनी हैं। वह कई फिल्में बना रहे हैं, जिसमें उनका यकीन है। इस फिल्म को हम काफी समय से बनाना चाह रहे थे।
आप ‘रामायण’ कर रहे हैं। पहले ए लिस्टर कलाकार माइथोलाजिकल फिल्में नहीं करते थे...
ऐसा कुछ नहीं है कि ए लिस्टर कलाकार नहीं करते थे। किसी ने कोशिश नहीं की। अगर सोचा होता तो जरूर बन जाती। मैं इन चीजों को नहीं मानता कि पहले नहीं था और अब क्या है। यह विषय हमारे दिल के करीब है, उम्मीद है कि दर्शकों को हमारी मेहनत पसंद आए।
आपके लिए अपनी फिल्मों को धर्मेंद्र को दिखाना कितना जरूरी रहा है?
देखिए बात यह नहीं है कि दिखानी जरूरी है। मैं तो पापा को दिखाऊं, लेकिन उन्हें पसंद नहीं आए तो मुझे डर लगता है। (ठहाका मारते हैं) इसके पहले जब मुझे पसंद नहीं आती, तो निर्माता मुझसे डरता है कि इसे फिल्म नहीं अच्छी लग रही।
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