4 मिनट 26 सेकंड का वो सुपरहिट गाना जिसके पीछे है खास कहानी, पत्नी के गीले बाल देखकर लेखक को आया था ख्याल
एक गाना लिखने के लिए लेखक को काफी कल्पना करनी पड़ती है। ऐसे में जरूरी नहीं है कि हर समय उसके आसपास वैसा ही माहौल हो। हम बात कर रहे हैं गीतकार राजेंद्र की और उनके लिखे गाने न झटको जुल्फ से पानी ये मोती टूट जाएंगे। इसके पीछे की कहानी बहुत दिलचस्प है।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। हर फिल्म और उसके गाने के पीछे एक कहानी होती है। हर एक लिरिसिस्ट का सॉन्ग लिखने का तरीका एक दूसरे से अलग होता है। कभी-कभी एक लाइन आती है और उसपर आप पूरा का पूरा गाना लिख देते हैं तो कई बार आपको उसी के लिए महीनेभर का टाइम लग जाता है। आज आपको ऐसे ही एक गाने के बारे में बताने वाले है जिसके लिए लेखक का जरा सी भी तकलीफ नहीं सहनी पड़ी।
गीत लिखने में लगता था आधा दिन
हम बात कर रहे हैं साल 1964 में आई फिल्म शहनाई की जिसे लिखा था राजेंद्र कृष्णन ने। गाने के बोल थे न झटकों जुल्फ से पानी ये मोती टूट जाएंगे। राजेंद्र कृष्ण बिजली की गति से गीत लिखते थे। कहा जाता है कि उन्हें फिल्म निर्माता लगभग एक महीने पहले ही साइन कर लेते थे क्योंकि वह अपने बेडरूम में बैठकर सिर्फ आधे दिन में एक गाना लिखते थे। संगीत निर्देशक उन्हें गाने की धुन सुनाते थे, जिसके बाद उन्हें 30 दिनों में गीत लिखने को कहा जाता था। राजेंद्र 29 मौज-मस्ती में बिताते थे और आखिरी दिन के बचे हुए आधे दिन में गाना तैयार कर देते थे।
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क्या थी गाने की थीम?
लेकिन वो साल 1964 था जब निर्देशक-निर्माता एसडी नारंग फिल्म शहनाई बना रहे थे, संगीतकार रवि ने फिल्म की धुन तैयार करने के बाद उसे लिखने का काम राजेंद्र कृष्ण को सौंप दिया। लेकिन इस बार उन्हें यादगार गीत लिखने में दिक्कत हुई। गाने को लिखने के लिए विश्वजीत और राजश्री के बीच के रोमांटिक पल याद करने थे। लेकिन राजेंद्र वो सीन सोच ही नहीं पा रहे थे।
कैसे आया ख्याल?
इतनी देर में उनकी पत्नी नहाकर आई और अपने गीले बालों को संवारने लगीं। इस बीच पानी की कुछ बूंदे उनके पेपर पर भी गिर पड़ीं। यहीं से उन्हें वो सुंदर ख्याल आया और उन्होंने ना झटको जुल्फ से पानी ये मोती टूट जाएंगे लिख दिया। फिल्म की रिलीज के बाद गाना जबरदस्त हिट हुआ। इसे आज भी गुनगुनाने पर वहीं रोमांटिक पल जैसे आंखों के सामने घूम जाता है।
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