इस शख्स की वजह से सुपरस्टार बने Shah Rukh Khan, सुबह चार बजे फिल्म के लिए खटखटाया था दरवाजा
कुछ रिश्ते बस होते हैं, न ही उनकी कोई परिभाषा होती है, न ही कोई नाम। ऐसा ही रिश्ता रहा है अभिनेता शाह रुख खान और अभिनेता व निर्माता विवेक वासवानी का। विवेक शाह रुख को उस समय से जानते हैं, जब वह फिल्मों में भी नहीं आए थे। वह शाह रुख को अपना दोस्त नहीं कहते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें फिल्मों में लाने और एक बेहतर करियर की रणनीति बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
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इस शख्स की वजह से सुपरस्टार बने शाह रुख खान
प्रियंका सिंह, मुंबई। विवेक बताते हैं कि शाह रुख जब दिल्ली से मुंबई आए थे, तो उनके पास रहने के लिए जगह नहीं थी। मेरे माता-पिता ने उन्हें अपने घर में रहने दिया था। हमारे बीच में जय-वीरू जैसा दोस्ती वाला रिश्ता नहीं, बल्कि सिनेमा का रिश्ता था। शाह रुख फिल्में नहीं करना चाहते थे। गौरी तब दिल्ली में रहा करती थीं, दोनों की शादी नहीं हुई थी। गौरी ने उन्हें कहा था कि तुम टीवी कर सकते हो, लेकिन फिल्में नहीं। इसके पीछे का कारण था कि फिल्मों में अफेयर होने के चांस होते हैं। उन्होंने गौरी की बात मान ली थी।
सुबह 4 बजे विवेक के घर पहुंचे थे शाह रुख
शाह रुख की मां जब बीमार थीं, तब मैं उन्हें देखने दिल्ली गया था। उनके निधन के बाद एक दिन अचानक सुबह चार बजे शाह रुख मुंबई मेरे घर पर आ गए और कहा फिल्म करना चाहता हूं। तुम्हें मेरे लिए फिल्म बनानी होगी। मैंने कहा सुबह के चार बज रहे हैं, घर के भीतर आओ, चाय पीते हैं। उन्होंने कहा पहले वादा करो, नहीं तो घर में नहीं आऊंगा। खैर, मुझे हां करनी पड़ी। उनका बैग भीतर रखा और घर के बगल में होटल ताज प्रेसिडेंट में जाकर काफी आर्डर की। तय किया कि फिल्म बनाएंगे, राजू बन गया जेंटलमैन फिल्म की पैदाइश वहीं से हुई थी। हालांकि यह उनके करियर कि पहली फिल्म नहीं थी। इसका कारण यह था कि मुझे शाह रुख को फिल्म नहीं, करियर देना था।
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फिल्म देनी होती, तो राजू बन गया जेंटलमैन बनाकर मैं निकल जाता। लेकिन अगर वह फिल्म नहीं चलती, तो वह कहां जाते। मैंने उन्हें कहा कि राजू बन गया जेंटलमैन फिल्म तभी बनाएंगे, जब तुम्हारी चार फिल्में बिक चुकी होंगी। तब राजू भी बिक जाएगी। आपको सेलेबल (जो बिक सके) होना होगा। मुझे उनके लिए पूरी योजना बनानी थी। वह फिल्में खोजनी थी, जो बिक जाएं। मैं और शाह रुख, शशि कपूर जी की अजूबा फिल्म के प्रीमियर में गए थे। वह मेरे अच्छे दोस्त थे। वहां राकेश रोशन से मिले, मैंने उनसे कहा कि शाह रुख को आपसे मिलाने के लिए लेकर आऊंगा।
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राकेश रोशन की फिल्म में मिला मौका
हम गए, शाह रुख से बात हुई और किंग अंकल साइन हो गई। मैं खुश था, क्योंकि फिल्म में राकेश (निर्देशक) और जैकी श्राफ जैसे नाम जुड़े थे। यह उनकी फिल्म थी, ऐसे में अगर फिल्म फ्लॉप होती, तो वह शाह रुख की नहीं, बल्कि उनकी फिल्म होती। हिट होती तो सबका फायदा होता। हालांकि उस समय राहुल राय, अविनाश वधावन, सुमित सहगल, अरमान कोहली यह सारे कलाकार शाह रुख की हंसी उड़ाते थे कि तुम सपोर्टिंग रोल कर रहे हो, विवेक ने तुम्हें बेवकूफ बना दिया है। हम तो सोलो हीरो वाली फिल्में कर रहे हैं। शाह रुख घर पर आकर मुझसे लड़ते थे। मैंने उन्हें समझाया कि उनकी फिल्मों के पास डिस्ट्रीब्यूटर्स नहीं हैं। जबकि तुम्हारी सारी फिल्में बिक चुकी हैं।
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सोलो हीरो बनना चाहते थे शाहरुख
वह सोलो हीरो बनना चाहते हैं, तुम सेलेबल हीरो बन चुके हो। बाकी सोलो फिल्म राजू बन गया जेंटलमैन तो तुम्हें दे ही रहा हूं। किंग अंकल के बाद चमत्कार और फिर दिल आशना है साइन की, जिसमें जितेंद्र, मिथुन चक्रवर्ती थे, इन कलाकारों की वजह से फिल्म पहले ही बिक चुकी थी। दीवाना फिल्म सबसे बाद में आई। ऋषि कपूर का हिस्सा शूट हो चुका था। मैंने शाह रुख को 11 दिन दिए, वह फिल्म पूरी हो गई। शाह रुख ने फिर राजू वाली फिल्म के बारे में पूछा। मैंने कहा दीवाना के गाने अच्छे हैं, ऋषि कपूर आपके पसंदीदा एक्टर हैं, जिन्हें आप मिस्टर कपूर कहते हैं। इंतजार करिए। दीवाना हिट हो गई, उसी दिन मैंने अपनी फिल्म राजू बन गया जेंटलमैंन की चार टेरेटरी (चार जगहों के डिस्ट्रीब्यूटर्स ने फिल्म खरीद ली) बेच दी थी।
सुपरहिट हुई राजू बन गया जेंटलमैन
किंग अंकल और चमत्कार ठीकठाक चली, दिल आशना है फ्लाप हुई, लेकिन राजू बन गया जेंटलमैन सुपरहिट हो गई। रणनीति उन्हें रोल देना नहीं था, उन्हें स्टार बनाना था। स्टार वही होता है, जिसकी फिल्में बिकती हैं। यही कारण है कि शाह रुख को आखिर सुपरस्टार कहा जाता है। उनकी फ्लॉप फिल्मों से भी डिस्ट्रीब्यूटर्स ने पैसे नहीं गंवाए हैं। शाह रुख कहते हैं कि अगर आप पैसे गंवाओगे, तो मैं वह पैसे भरूंगा। राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, दिलीप कुमार, राज कपूर, शम्मी कपूर इसलिए सुपरस्टार थे, क्योंकि उन्होंने जिम्मेदारी ली कि उनकी फिल्में मुनाफा कमाएंगी।
आगे शाह रुख के साथ अपने रिश्ते पर विवेक कहते हैं कि जब मुझे कैंसर हुआ, तो उन्होंने फोन किया था। मैंने कहा था ठीक हूं, मैं तो लगातार काम कर रहा हूं। मुझे पता है कि अगर जरुरत होगी, तो मन्नत जाकर कह सकता हूं। हालांकि आजमाने की जरुरत नहीं पड़ी है। मैंने जो किया वह इसलिए नहीं किया कि एक दिन वह सुपरस्टार बनेंगे और मैं उनकी पार्टी में जाऊंगा। मैं भी थोड़ा सख्त किस्म का हूं, मुझसे रिश्ता जल्दी बन नहीं पाता है। हो सकता है कि वह साठवें जन्मदिन पर कोई पार्टी करें। मैं स्पष्ट हूं कि जब तक शाह रुख खुद फोन करके नहीं बुलाएंगे, मैं नहीं जाऊंगा।

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