जब Satish Kaushik को आया सुसाइड का ख्याल, श्रीदेवी ने दिया था मुश्किल दिनों में जीने का हौसला
हिन्दी सिनेमा के बेहतरीन कॉमेडियन और एक्टर सतीश कौशिक आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी यादें आज भी फैन्स और फिल्मी सितारों के दिलों में ज़िंदा हैं। उनसे जुड़े कई किस्से आज भी चर्चा में रहते हैं। ऐसा ही एक चौंकाने वाला वाकया है जब करियर में एक झटका लगने के बाद सतीश इतने टूट गए थे कि उन्हें आत्महत्या जैसे ख्याल आने लगे थे।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। सतीश कौशिक (Satish Kaushik) का नाम आते ही चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। उनका जिंदादिल अंदाज़, दमदार कॉमिक टाइमिंग और सादगी से भरा अभिनय – ये सब उन्हें बाकी कलाकारों से अलग बनाते हैं। लेकिन हर मुस्कुराते चेहरे के पीछे कोई ना कोई दर्द छुपा होता है। सतीश कौशिक की ज़िंदगी में भी एक ऐसा दौर आया था, जब उन्होंने जीने की उम्मीद ही खो दी थी।
बड़े बजट की फिल्म से मिली नाकामी
साल 1993 में सतीश ने बतौर डायरेक्टर फिल्म ‘रूप की रानी चोरों का राजा’ से डेब्यू किया था। इस फिल्म के निर्माता थे बोनी कपूर, और लीड रोल में थे अनिल कपूर व श्रीदेवी। उस समय यह फिल्म इंडस्ट्री की सबसे महंगी फिल्मों में गिनी जा रही थी, करीब 9 करोड़ के बजट में तैयार हुई थी। उम्मीदें आसमान पर थीं, लेकिन जब फिल्म रिलीज हुई तो बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप हो गई।
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इस नाकामी ने सबसे ज्यादा असर सतीश कौशिक पर डाला। उन्होंने खुद डायरेक्शन की नाकामी की पूरी जिम्मेदारी ली और एक इंटरव्यू में खुलकर बताया कि कैसे इस फेलियर ने उन्हें अंदर तक तोड़ दिया था। सतीश इतने हताश हो गए थे कि उन्हें खुदकुशी तक के ख्याल आने लगे थे। उन्होंने कहा था कि एक बड़े सपने के टूटने का दर्द उन्हें अंदर से खा गया था। खासतौर पर वो सीन, जिसमें चलती ट्रेन से हीरा चोरी होता है – उसे शूट करने में ही 5 करोड़ खर्च हुए थे।
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जब किरदार का नाम रखा कैलेंडर
सतीश कौशिक ने सिर्फ निर्देशन ही नहीं, अपने अभिनय से भी सबका दिल जीता था। उनका ‘कैलेंडर’ वाला किरदार आज भी लोगों के जहन में ताजा है। ‘कैलेंडर खाना दो’ – ये डायलॉग आज भी मीम्स और सोशल मीडिया का हिस्सा है। मजेदार बात ये है कि इस किरदार का नाम ‘कैलेंडर’ खुद सतीश ने रखा था। बचपन में उनके पिता से मिलने एक शख्स आता था, जो हर बात में 'कैलेंडर' शब्द का इस्तेमाल करता था। यहीं से उन्हें ये नाम रखने का आइडिया आया।
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अभिनेता के निधन से बॉलीवुड को लगा था सदमा
सतीश कौशिक का जीवन बहुत से उतार-चढ़ाव से भरा था। साल 2023 में 9 मार्च को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके जाने से इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई। और परिवार के लिए तो यह ज़ख्म आज भी भरा नहीं है। इससे पहले भी वह एक व्यक्तिगत त्रासदी झेल चुके थे – दो साल की उम्र में अपने बेटे को खो देने का गम सतीश कभी नहीं भूल पाए। हरफनमौला कलाकार, सच्चे इंसान और बेहतरीन दोस्त – सतीश कौशिक की कहानी सिर्फ मनोरंजन नहीं, प्रेरणा भी है।
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