हनी ईरानी को Kiss करने पर Salman Khan को मिलते थे पैसे, बोले- हमने इस तरह खूब कमाया
सलमान खान बहुत जल्द फिल्म सिकंदर लेकर आ रहे हैं। ईद के मौके पर उनकी फिल्म सिनेमाघरों में दस्तक देगी। वहीं इस मौके पर हमने बात की भाईजान से और जाना उनकी अपकमिंग फिल्म और अन्य प्रोजेक्ट्स के बारे में। इस दौरान एक्टर ने अपनी नई ब्रांडेड घड़ी के बारे में भी बात की जो उन्हें उनकी बहन ने गिफ्ट की है।

स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। लगभग डेढ़ साल बाद ईद के मौके पर अपनी फिल्में लेकर आ रहे हैं सलमान खान इस बार फैंस के लिए एक एक्शन फिल्म लेकर आए हैं। सलमान इस 30 मार्च को ए. आर. मुरुगोदास निर्देशित फिल्म ‘सिकंदर’ में नजर आएंगे। उनसे स्मिता श्रीवास्तव ने बातचीत की, जानिए भाईजान ने हमसे क्या कहा...
नाना जी नहीं करते थे पिताजी से बात
सलमान खान की फिल्में पारिवारिक होती हैं। असल जिंदगी में भी सलमान काफी पारिवारिक हैं। अपने इस जज्बे को लेकर वह कहते हैं, ‘यह प्यार मुहब्बत से ही आता है। परवरिश से आता है। मॉम और डैड की शादी हुई थी तो दोनों अलग धर्म से आते थे। मेरे नाना को इस बात से समस्या थी कि पिता फिल्म इंडस्ट्री से हैं। शादी के पांच साल बाद नाना मेरे पिता को बेहतर तरीके से समझ पाए। उन्होंने मेरे पिता को बहुत प्यार दिया और कहा कि मेरे जिंदगी की सबसे बड़ी गलती यह हुई है कि मैंने पांच साल तक सलीम से बात नहीं की। पता नहीं मेरे पिता ने नाना के ऊपर क्या जादू चलाया।’
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अपनी घड़ी दिखाते हुए सलमान कहते हैं, ‘यह मेरा परिवार है और मुझे तो ईद का तोहफा पहले ही मिल चुका है। मां और बहन ने राम मंदिर घड़ी तोहफे में दी है।’
ऐसे शुरू हुआ दान देना
पैसों के मामले में सलमान आज भी स्वयं को परिवार पर आश्रित बताते हैं। बचपन का रोचक किस्सा सुनाते हुए सलमान कहते हैं, ‘बचपन में जो घर आता था पैसे देकर जाता था। जैसे हनी (पटकथा लेखिका हनी ईरानी) आंटी को किस कर दो, तो 10 रुपये मिलते थे। हमने 100-100 रुपये की किस की है। (ठहाका मारते हैं)। मेरा वैसा नहीं है कि पैसे तिजोरी में रखो। यह नहीं कह सकता कि आज भी पैसों की अहमियत समझ पाता हूं या नहीं। (अपनी कुर्सी का टेक लेते हुए) अभी-अभी मैंने चेक साइन करना शुरू किया है। जब स्कूल में थे तो दान एकत्र करने के लिए हमें फार्म मिला करते थे तो मैं उसकी फोटोकापी करा लेता था।
राजेंद्र (कुमार) साहब या दत्त साहब (सुनील दत्त) या कभी कोई और निर्माता आ जाते थे तो उनके सामने हम जाते थे। हम सलीम साहब के बेटे हैं तो कभी 50 रुपये का नोट मिल जाता था तो कभी 100 रुपये का। वो हम लेते थे जेराक्स कापी पर। थोड़ी सी कमाई हो जाती थी। वहां से 300-400 रुपये हर तिमाही में बन जाते थे। उसके बाद जब महसूस हुआ कि यह अच्छी बात नहीं, तब वहां से पैसे देना शुरू हुआ।’
हमने संघर्ष नहीं देखा
हिंदी में बनीं फिल्में दक्षिण भारतीय सिनेमा में भी रीमेक हुई हैं। इनमें सलीम जावेद की फिल्में भी शामिल हैं। इस बाबत सलमान कहते हैं,‘वहां पर मेरा सम्मान इसलिए भी है क्योंकि मैं सलीम साहब का बेटा हूं। उन्होंने बहुत सारी फिल्में की थीं, जिससे वे प्रेरित हुए। जैसे विजेंद्र प्रसाद जी (बाहुबली के लेखक) कहते हैं जब-जब मैं कुछ लिखता हूं तो सबसे पहले आपके पिता की फिल्मों को दोबारा देखता हूं। जब हम आए तो हमको कई प्रोडक्शन आफिस ने (हाथ से अंगुली दिखाते हुए) कहा कि चलो बाहर निकलो। आप इन चीजों को कैसे लेंगे? आपके अंदर काफी गुस्सा होगा। तब डैड ने कहा कि अगर स्क्रिप्ट अच्छी है तो करो मगर किसी के लिए द्वेष मत रखो।
धरम जी (धर्मेंद्र), मनोज साहब (मनोज कुमार), मेरे पिता,देव आनंद साहब ने करियर के शुरुआत में काफी संघर्ष किया है। हमारे पास ऐसी कहानी नहीं थी। हमारे पास डैड की फिएट, मर्सिडीज थी तो हम यह तो नहीं बोल सकते कि हम बुरे दौर से गुजरे। जब डैड काम नहीं कर रहे थे तब कितना बुरा दौर रहा होगा। हमारी खुद की स्टोरी यह थी कि जिन्होंने हमें रिजेक्ट किया तो हम एक दिन उनको खुद की प्रतिभा दिखाएं।’
बहुत आगे हैं वहां के फिल्ममेकर
हाल ही में सनी देओल ने कहा था कि हमें दक्षिण भारतीय फिल्ममेकर्स से सीखने की जरूरत है। सलमान भी इससे सहमति जताते हैं। वह पहले भी कई दक्षिण भारतीय फिल्ममेकर्स के साथ काम कर चुके हैं। सलमान कहते हैं,‘अपनी पीढ़ी के कलाकारों में मैं पहला था,जिसने चार-पांच दक्षिण भारतीय निर्देशकों के साथ काम किया। तकनीकी तौर पर वो काफी एडवांस होते हैं। वो फिल्मों से फिल्म नहीं बनाते हैं। वो खुद अपना नया-नया कांसेप्ट लेकर आते हैं। ऐसा भी नहीं है कि वहां हर फिल्म बहुत अच्छी बनती है। जो यहां पर चलती हैं, वही याद रहती हैं। वहां पर भी हर सप्ताह दो से तीन फिल्में आती है, लेकिन हर फिल्म सफल नहीं होती। यह मामला सब जगह है।’
खूब मिले बोनस- सलमान
इन दिनों असफल फिल्मों को भी निर्माता हिट बताने में नहीं हिचकते हैं। इस पर सलमान झट से कहते हैं, ‘इसमें मेरा नाम नहीं आएगा। मैं तो यहां तक बोलता हूं कि अगर आपके पास पैसे हैं तो आप जाकर फिल्म देख लीजिए। ईद पर मेरी, पृथ्वीराज सुकुमारन की ‘एल : एंपुरान’ और उसके बाद सनी देओल की ‘जाट’ आ रही है। मैं तो चाहूंगा जो जहां काम कर रहे हैं, उनके अधिकारी इस महीने बोनस दे दें ताकि सिनेमा प्रशंसक यह तीनों फिल्में देख सकें।’
टिकट के पैसे नहीं बढ़ाने चाहिए
सिनेमा के टिकट महंगे नहीं होने चाहिए इससे सलमान भी सहमति जताते हैं। वह कहते हैं, ‘फिल्म ‘जय हो’ के समय हमने 650 रुपये टिकटों के दाम कम करके 200 रुपये दिए थे। हमने 138 करोड़ रुपये का बिजनेस किया, लेकिन हर किसी ने कहा कि फिल्म असफल रही, जबकि हमने दाम कम किया। अब शुक्रवार,शनिवार और रविवार को वो लोग सिनेमा जाते हैं, जिनके पास पैसे हैं और सिनेमा देखना चाहते हैं।’
‘सिकंदर’ के बाद सलमान दो फिल्मों पर काम करने की बात स्वीकारते हैं। इनमें एक फिल्म संजय दत्त के साथ होगी, जिसमें वह अलग स्तर का एक्शन करते नजर आएंगे!
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