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    Rajesh Khanna: अपनी अदाओं से दिल चुराने वाले अभिनेता, मुकेश ने स्वर बनकर खड़ा किया अलग मुकाम; ऐसे थे हमारे 'काका'

    काका के नाम से मशहूर राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) को भारत का पहला सुपरस्टार माना जाता था। अपनी एक्टिंग स्टारडम और बेबाक बातों के लिए मशहूर राजेश खन्ना ने भारतीय सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। दिवंगत अभिनेता ने अपने लंबे और सफल करियर में कई उतार-चढ़ाव भी देखे लेकिन प्रशंसकों के दिलों पर उनकी बादशाहत कभी खत्म नहीं हुई।

    By Agency Edited By: Surabhi Shukla Updated: Sun, 13 Jul 2025 08:00 AM (IST)
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    राजेश खन्ना की पुण्यतिथि पर अनजानी बातें (फोटो-इंस्टाग्राम)

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे सफल अभिनेताओं में से एक माना जाता है राजेश खन्ना को। हिंदी सिनेमा के इस पहले सुपरस्टार को उनकी पुण्यतिथि (18 जुलाई ) पर याद कर रहे हैं डा. राजीव श्रीवास्तव...

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    गीतकार अनजान ने फिल्म ‘डान’ में जो बहुचर्चित गीत ‘खइके पान बनारसवाला’ लिखा था, उसके लगभग एक दशक पूर्व ही फिल्म ‘बंधन’ के लिए उन्होंने भोजपुरी में बनारसी ठसक के साथ एक गीत लिखा था, ‘बिना बदरा के बिजुरिया कइसे चमके।’ तब के नए-नए नायक बने राजेश खन्ना की फिल्मों में से एक ‘बंधन’ में कल्याणजी-आनंदजी के संगीत में गायक मुकेश के स्वर में राजेश इस गीत पर नृत्य करते हुए अभिनय के जिस सोपान पर ठुमके लगाते दिखे, उससे उनके भावी दृश्य-परिदृश्य का एक संकेत तो मिल ही गया था!

    राजेश खन्ना थे कई लोगों के सपनों के राजकुमार

    फिल्म ‘आराधना’ से राजेश खन्ना के साथ-साथ अभिनय से पूर्णकालिक गायन में रम जाने वाले किशोर कुमार ‘मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू’ की मस्ती में क्रमशः अभिनय और गायकी के प्रथम ‘सुपरस्टार’ बन गए। इस एक गीत ने राजेश को युवा स्वप्नों का राजकुमार तो बनाया ही, साथ में गायक किशोर कुमार के स्वर से उठे उन्माद ने तब मोहम्मद रफी तक को पार्श्व में ऐसा धकेला कि पुनः वो अपनी पूर्व स्थिति को संजो नहीं पाए। राजेश खन्ना अपने गीतों के माध्यम से फिल्मों में अभिनय का जो पाठ पढ़ा रहे थे उसमें उनकी मुख-मुद्रा और नयनों की अठखेलियों के साथ ही अधरों पर बिखरी मुस्कान की दीवानी संपूर्ण युवा पीढ़ी हो चुकी थी।

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    ‘ये जो मोहब्बत है ये उनका है काम’ में नाम राजेश का ही सर चढ़ कर बोल रहा था। राजेश खन्ना हिन्दी सिनेमा के प्रथम ऐसे नायक थे जो गीतों को गाते हुए वार्तालाप और संवाद संप्रेषण की अपनी विशेष शैली में गीतों में ढले कथ्य को दर्शक-श्रोता तक इस कलात्मक रूप में प्रस्तुत करते थे कि लोग अभिभूत हो जाते थे।

    युवाओं के साथ बच्चों के भी प्रिय थे राजेश खन्ना

    युवा पीढ़ी के साथ ही बच्चों में भी राजेश खन्ना भीतर तक पैठ कर गए थे। फिल्म ‘हाथी मेरे साथी’ की अपार सफलता इसका प्रमाण है। ‘चल चल चल मेरे हाथी ओ मेरे साथी’ गीत तो बड़ों के साथ ही बच्चों का शीर्ष गीत बन चुका था। फिल्म ‘अपना देश’ का गीत ‘रोना, कभी नहीं रोना, चाहे टूट जाए कोई खिलौना’ तो आज भी बच्चों को सांत्वना देता है। इसी फिल्म का वो उत्सव गान ‘सुन चंपा सुन तारा, कोई जीता कोई हारा’ का स्मरण तो आपको होगा ही, जिसमें नायिका मुमताज सारे करतब दिखाती हैं पर केंद्र में सदा राजेश खन्ना ही बने रहते हैं। उत्सव के उमंग और उल्लास में डूबा फिल्म ‘आपकी कसम’ का सहगान ‘जय जय शिव शंकर, कांटा लगे न कंकर कि प्याला तेरे नाम का पिया’ में तो राजेश ने उत्सव को एक नूतन परिभाषा से ही गढ़ दिया था।

    भंग की तरंग में नृत्य तो मुमताज कर रही थीं पर राजेश उनके प्रतिउत्तर में अपनी अदाओं से ही जी को चुरा लेते हैं। अपने अभिनय और अनमोल गीतों की पूंजी के संग राजेश खन्ना का सुरीला संसार हिंदी सिनेमा के इतिहास के एक कालखंड का रचयिता भी है और इसके दर्पण में आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रणेता भी, जिसके जगमग प्रकाश में ढेरों युवा नित यौवन के प्रेम गीत गाते रहेंगे और स्वयं से पूछते रहेंगे, ‘आसमां पे चांदनी का एक दरिया बह रहा था, हां तो मैं क्या कह रहा था।’

    राजेश के मुकेश

    आम तौर पर राजेश खन्ना और किशोर कुमार को एक-दूजे का पूरक माना जाता है पर व्यक्तिगत रूप से राजेश के हृदय में बसने वाले उनके प्रिय गायक मुकेश रहे हैं। मेरे संग वार्तालाप में राजेश ने जब यह सत्य मुझसे साझा किया था तो एक पल को आपकी तरह मैं भी ठिठक गया था। उन्होंने मुझे बताया था कि किशोर उनके लिए बाजार के समीकरण की मांग पर आवश्यक तत्व बन चुके थे जबकि मुकेश उनकी रुचि के कोमल भाव को उजागर करने में अनिवार्य रत्न थे। फिल्म ‘कटी पतंग’ में सभी गीत राजेश के लिए किशोर कुमार ने गाए हैं पर एक विशेष गीत ‘जिस गली में तेरा घर न हो बालमा’ को स्वर दिया था मुकेश ने, जिसके पार्श्व में राजेश खन्ना की ही चाह थी और संगीतकार राहुल देव बर्मन ने उसे पूरा भी किया।

    इसके बाद की फिल्म ‘आनंद’ में किशोर कुमार अनुपस्थित रहे जबकि मुकेश ने राजेश खन्ना का पूर्ण स्वर बनकर इस फिल्म को कालजयी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ‘कहीं दूर जब दिन ढल जाए’ और ‘मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने’ का अमरत्व आज भी सर्वोपरि है। इन गीतों की रिकार्डिंग में राजेश खन्ना मुकेश के संग स्वयं भी उपस्थित रहते थे, जो उनकी अपने प्रिय गायक के प्रति आदर व आस्था का प्रतीक है।

    (लेखक सिने इतिहासवेत्ता हैं)

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