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    Rani Mukerji की मां को बिल्कुल पसंद नहीं आया उनका पहला स्क्रीन टेस्ट, प्रोड्यूसर से कहा - 'इसे निकाल दो...'

    Updated: Fri, 03 Oct 2025 02:44 PM (IST)

    एक्ट्रेस रानी मुखर्जी ने हाल ही में एएनआई को इंटरव्यू दिया जहां उन्होंने अपनी लाइफ से जुड़े कई अनसुने किस्से शेयर किए। इस दौरान उन्होंने बताया कि उनकी मां कृष्णा मुखर्जी उन्हें अपनी पहली ही फिल्म से निकलवाना चाहती थीं। उन्हें डर था कि इससे फिल्म बर्बाद हो जाएगी और उसके पैसे डूब जाएंगे।

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    रानी मुखर्जी की मां उन्हें फिल्मों से निकलवाना चाहती थीं (फोटो-इंस्टाग्राम)

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। बॉलीवुड एक्ट्रेस रानी मुखर्जी ने साल 1996 में आई फिल्म राजा की आएगी बारात से बॉलीवुड डेब्यू किया था। सलीम अख्तर इस फिल्म के निर्माता थे और मूवी को ऑडियंस से काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला था। हालांकि रानी की मां कृष्णा मुखर्जी नहीं चाहती थीं कि रानी इस मूवी में काम करें। फिल्म को अशोक गायकवाड़ ने डायरेक्ट किया था।

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    मां ने फिल्म से निकालने की बात कही

    उन्होंने प्रोड्यूसर से जाकर मना कर दिया कि वो रानी को अपनी मूवी में न लें। एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में रानी ने इस बात का खुलासा किया। रानी ने बताया कि उनकी मां कृष्णा ने फिल्म के निर्माता सलीम अख्तर से अनुरोध किया कि वे उन्हें फिल्म में न लें, क्योंकि इससे उनकी फिल्म बर्बाद हो जाएगी और उन्हें नुकसान होगा।

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    मां को बिल्कुल पसंद नहीं आया स्क्रीन टेस्ट

    रानी ने बताया कि उनकी मां शुरू में उनके अभिनय के पेशे को लेकर बहुत खुली थीं। एक्ट्रेस ने कहा, "मेरी मां इसके लिए बहुत ओपन थी। उनके लिए यह ऐसा था जैसे तुम करो और देखो कि क्या होता है। हालांकि, मेरे पहले स्क्रीन टेस्ट के बाद, उन्हें मैं इतनी बुरी लगी कि उन्होंने निर्माता से कहा,'मुझे लगता है कि मेरी बेटी को लेकर तुम अपनी फिल्म बर्बाद कर दोगे। तुम्हें नुकसान होगा। बेहतर होगा कि तुम उसे न लो।'क्योंकि निर्माता, सलीम अंकल (राजा की आएगी बारात के निर्माता) मुझे साइन करने के लिए बहुत उत्सुक थे लेकिन मेरी मां इतनी समझदार थीं कि वे समझ गईं कि मैं अच्छा काम नहीं कर रही हूं। इसलिए उन्होंने कहा,'मुझे नहीं लगता कि तुम्हें उसे लेना चाहिए।'

    पिता को नहीं पसंद था पेशा

    हालांकि रानी के पिता राम मुखर्जी का इस बारे में अलग ही रिएक्शन दिया। उन्होंने आगे कहा,"वह बिल्कुल भी उत्सुक नहीं थे क्योंकि उस समय फिल्मी परिवारों के बच्चों, खासकर लड़कियों का अभिनय करना आम बात नहीं थी। उस समय ज्यादातर पुरुष ही इस पेशे को अपनाते थे। आज की तरह नहीं, जब सभी बच्चे अपने माता-पिता के नक्शेकदम पर चलने के लिए इतने प्रेरित होते हैं। उस समय स्थिति थोड़ी अलग थी। मुझे नहीं लगता कि उस समय फिल्म उद्योग, कुल मिलाकर, करियर के तौर पर अपनाने के लिए एक बहुत ही व्यावहारिक विकल्प लगता था। जैसे, जब मैं बड़ी हो रही थी, तब भी मुझे नहीं लगता कि स्कूल में यह कहना कि मैं एक फिल्मी परिवार से हूं, गर्व की बात थी।"

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