'लोग हर चीज पर भावुक...'Kamal Hassan के कन्नड़ भाषा विवाद पर पहली बार बोले Rana Daggubati, कहा- माफी की जरूरत नहीं
अभिनेता राणा दग्गुबाती नेटफ्लिक्स शो राणा नायडू के नए सीज़न में फिक्सर की भूमिका निभाने के लिए लौट रहे हैं। इस बीच एक्टर ने कई मामलों पर बात की। इस दौरान वो कमल हासन के कन्नड़ विवाद पर भी बोलते नजर आए। राणा ने कहा कि कमल को माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है लोग बहुत जल्दी भावुक हो जाते हैं।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। अभिनेता कमल हासन ने कन्नड़ भाषा को लेकर एक टिप्पणी की थी जिसपर विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। दरअसल कमल हासन की फिल्म ठग लाइफ गुरुवार को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। इस फिल्म को लेकर निर्माता और विशेष तौर पर कमल हासन काफी उत्साहित हैं। इस दौरान कमल हासन ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि कन्नड़ असल में तमिल से निकली भाषा है।
कमल हासन ने किया माफी मांगने से इनकार
कमल हासन के इस बयान का कर्नाटक में जबरदस्त विरोध हुआ। कर्नाटक फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स ने चेतावनी दे दी कि अगर कमल हासन ने माफी नहीं मांगी, तो उनकी फिल्म को कर्नाटक में रिलीज नहीं होने दिया जाएगा। इस पर जवाब देते हुए कमल हासन ने कर्नाटक उच्च न्यायालय से कहा कि कन्नड़ भाषा की उत्पत्ति के बारे में उनकी हालिया टिप्पणियों के लिए उन्हें माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि बढ़ते विवाद के कारण वे फिलहाल अपनी आगामी फिल्म ठग लाइफ को राज्य में रिलीज नहीं करेंगे।
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राणा दग्गुबाती ने एक्टर को दिखाया सपोर्ट
अब राणा दग्गुबाती कमल हासन वाले मामले पर बोलने वाले पहले एक्टर हैं। इंडिया टुडे से बातचीत में उनसे जब इस बारे में पूछा गया तो राणा दग्गुबाती ने कहा, "सोशल मीडिया राय बनाने की जगह बन गया है। पहले, आपके पास ऐसा नहीं था। किसी भी चीज पर बहुत जल्दी लोग भावुक हो जाते हैं और राजनीतिक होने लग जाती है।"
एक्टर किसी की वकालत नहीं करता
जब उनसे पूछा गया कि एक अभिनेता इन समस्याओं से कैसे निपट सकता है, तो राणा दग्गुबाती ने कहा, "अगर मीडिया, समाचार और लोग समझदार हो जाएं कि अभिनेता समाज के जीने के तरीके की वकालत करने वाले नहीं हैं तो यह एक बेहतर जगह होगी। मुझे लगता है कि आपको समाज में एक रास्ता दिखाने के लिए विद्वानों, राजनेताओं और विद्वान पुरुषों और महिलाओं की ओर देखना चाहिए।"
राणा दग्गुबाती ने आगे कहा,"आप कभी भी किसी कवि को एक ही मंच पर नहीं ला सकते। न ही उन भाषाओं को बोलने वाले लोग ऐसा करते हैं। अगर मराठी में कोई कवि है जिसने कुछ बेहतरीन कविताएं लिखी हैं, तो हम उन्हें नहीं लाएंगे और उन्हें फिल्मी सितारों की तरह सम्मानित नहीं करेंगे। अगर ये लेंस अधिक महत्वपूर्ण और वर्तमान चीजों की ओर मुड़ता है, तो देश एक बेहतर जगह बन जाएगा।"
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