Move to Jagran APP

Rajesh Khanna: 'मैं मरने से पहले मरना नहीं चाहता...', राजेश खन्ना ने जब बोले ये संवाद, रो पड़े थे फैंस

Rajesh Khanna Birth Anniversary राजेश खन्ना हिंदी सिनेमा के सबसे लोकप्रिय कलाकारों में रहे। उन्हें बॉलीवुड का पहला सुपरस्टार कहा जाता है। इसके पीछे उनकी हिट फिल्मों की लम्बी कतार है। राजेश खन्ना की अदाकारी और संवाद अदाएगी का खास अंदाज उन्हें अपने समकालीन अभिनेताओं से अलग रखता है। काका के नाम से मशहूर राजेश ने अपने करियर में कई सफल फिल्में दीं।

By Jagran News Edited By: Manoj Vashisth Published: Wed, 27 Dec 2023 05:30 PM (IST)Updated: Fri, 29 Dec 2023 11:33 AM (IST)
राजेश खन्ना की क्लासिक फिल्मों के हिट संवाद। फोटो- स्क्रीनशॉट/यू-ट्यूब

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। राजेश खन्ना को भारतीय सिनेमा का पहला सुपरस्टार माना जाता है। उनके जैसा स्टारडम शायद ही किसी को नसीब हुआ हो। अपनी खास तरह की अदाकारी और डायलॉग डिलीवरी के लिए मशहूर काका ने ज्यादातर ऐसी फिल्मों में काम किया, जिनमें जिंदगी और रिश्तों की बात की गई हो।

loksabha election banner

एक्शन फिल्मों के दौर में उन्होंने रोमांटिक ड्रामा फिल्मों के जरिए कामयाबी की इबारत लिखी। राजेश खन्ना का जन्म 29 दिसंबर, 1942 को हुआ था। 1969 से 1971 के बीच राजेश खन्ना ने 15 सोलो लीड रोल वाली फिल्मों में काम किया और सभी हिट रहीं। यह ऐसा रिकॉर्ड है, जिसे कोई नहीं तोड़ सका है।

टैलेंट हंट प्रतियोगिता को जीतने के बाद राजेश खन्ना ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1966 में आखिरी खत से की थी, जो 1967 के ऑस्कर पुरस्कारों में भारत की आधिकारिक एंट्री बनी।

इसके बाद राजेश खन्ना ने कुछ और फिल्मों में काम किया, लेकिन उनका सही समय 1969 से शुरू हुआ। उस साल उनकी कई फिल्में आईं, जिनमें से अधिकतर सफल रहीं। राजेश खन्ना की फिल्मों का मुख्य आकर्षण संगीत और संवाद हुआ करते थे। वो जिस अंदाज में कहते थे, उससे उन लाइनों का मतलब और गहरा हो जाता था। 29 दिसम्बर को राजेश खन्ना की जयंती है। इस मौके पर उनकी क्लासिक फिल्में और उनके लोकप्रिय संवाद।

View this post on Instagram

A post shared by Twinkle Khanna (@twinklerkhanna)

आराधना (1969)

शक्ति सामंत निर्देशित आराधना वो फिल्म है, जिसके साथ राजेश खन्ना के सुपरस्टारडम का सफर शुरू हुआ था। खास बात यह है कि इस फिल्म में राजेश खन्ना ने बाप-बेटे की दोहरी भूमिकाएं निभाई थीं। शर्मिला टैगोर फीमेल लीड रोल में थीं। यह फिल्म सुपरहिट रही थी।

एक छोटा सा जख्म बहुत गहरा बन सकता है, और एक छोटी सी मुलाकात जीवन भर का साथ बन सकती है।

यह भी पढ़ें: OTT Movies And Web Series- 2023 के आखिरी हफ्ते में ओटीटी पर फिल्मों का मेला, 12th Fail समेत आ रहीं ये मूवीज

सफर (1970)

असित सेन निर्देशित सफर क्लासिक फिल्म मानी जाती है। इस फिल्म में राजेश खन्ना ने कैंसर मरीज को रोल निभाया था। फिल्म में शर्मिला टैगोर ने फीमेल लोड रोल निभाया था, जबकि फिरोज खान सहयोगी भूमिका में थे। कल्याणजी-आनंदजी ने संगीत दिया था और आज भी फिल्म के गाने पसंद किये जाते हैं।

मैं मरने से पहले मरना नहीं चाहता।

आनंद (1971)

ऋषिकेश मुखर्जी निर्देशित इस फिल्म में राजेश खन्ना ने कैंसर के जिंदादिल मरीज की भूमिका निभाई थी, जो जिंदगी खुलकर जीने में यकीन रखता है। अमिताभ बच्चन डॉक्टर और आनंद के दोस्त के किरदार में थे। यह फिल्म राजेश खन्ना के अभिनय और संवादों के लिए जानी जाती है।

बाबूमोशाय... जिंदगी और मौत ऊपरवाले के हाथ है जहांपनाह। उसे ना तो आप बदल सकते हैं, ना मैं। हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां हैं, जिनकी डोर ऊपरवाले की उंगलियों में बंधी है। कब, कौन, कैसे उठेगा, यह कोई नहीं बता सकता है। हा हा हा...!

कटी पतंग (1971)

शक्ति सामंत के निर्देशन में बनी इस फिल्म में आशा पारेख ने राजेश खन्ना के साथ मुख्य भूमिका निभाई थी और यह उन नौ फिल्मों में से दूसरी थी, जिनमें राजेश खन्ना को शक्ति दा ने निर्देशित किया था। फिल्म का संगीत आरडी बर्मन ने दिया था। फिल्म के गाने आज भी लोकप्रिय हैं। 

अपनेपन के लिए किसी को अपना बनाना जरूरी नहीं, जिससे भी अपनापन मिल जाए, वही अपना है।

View this post on Instagram

A post shared by Twinkle Khanna (@twinklerkhanna)

बावर्ची (1972)

ऋषिकेश मुखर्जी की इस कल्ट क्लासिक कॉमेडी-ड्रामा में एक बिखरे हुए परिवार की कहानी दिखाई गई थी, जिसके सदस्य एक-दूसरे से लड़ते रहते हैं। राजेश खन्ना बावर्ची के किरदार में थे, जो सभी को सही रास्ते पर लाता है। फिल्म में जया बच्चन, असरानी और एके हंगल ने प्रमुख किरदार निभाये थे।

It's simple to be happy but difficult to be simple.

यह भी पढ़ें: जब Twinkle Khanna ने बेटे आरव के साथ लिया था यूनिवर्सिटी में एडमिशन, जानें क्या है वो किस्सा

अमर प्रेम (1972)

शक्ति सामंत निर्देशित फिल्म में राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर मुख्य भूमिकाओं में थे। शर्मिला ने प्रॉस्टिट्यूट का किरदार निभाया था, जबकि राजेश खन्ना बिजनेसमैन के किरदार में थे, जिसकी जिंदगी में खालीपन है। विनोद मेहरा ने सहयोगी भूमिका निभाई थी। 

मैंने तुमसे कितनी बार कहा है पुष्पा, मुझसे ये आंसू नहीं देखे जाते। आइ हेट टियर्स। 

नमक हराम (1973)

ऋषिकेश मुखर्जी निर्देशित नमक हराम में राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन की जोड़ी एक बार फिर लौटी। अमिताभ ने मिल मालिक के बेटे और राजेश ने दोस्त का किरदार निभाया था, जो मजदूरों के लिए अपने ही दोस्त से बगावत कर देता है। अमिताभ के लिए फिल्म टर्निंग प्वाइंट साबित हुई थी।

मैंने तेरा नमक खाया है, इसलिए तेरी नजरों में नमक हराम जरूर हूं, लेकिन जिसने यह नमक बनाया है, उसकी नजरों में नमक हराम नहीं हूं, विक्की।

राजेश खन्ना का जन्म 29 दिसम्बर, 1942 को अमृतसर में हुआ था। उनका असली नाम जतिन खन्ना था। राजेश खन्ना का लालन-पालन मुंबई में हुआ था। पिता के रिश्तेदारों ने उन्हें गोद ले लिया था। राजेश खन्ना फिल्मों से पहले थिएटर करते थे। उनके बारे में मशहूर था कि स्पोर्ट्स कार में वो प्रोड्यूसर्स के ऑफिस काम मांगने जाते थे। जीतेंद्र उनके स्कूल के दोस्त थे। राजेश खन्ना का निधन 18 जुलाई 2012 को हो गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.