नसीरुद्दीन शाह को फालतू लगते हैं सारे अवॉर्ड्स, बोले- फिल्मफेयर को बनाया है वॉशरूम के दरवाजे का हैंडल
Naseeruddin Shah On Awards एक नए इंटरव्यू में नसीरुद्दीन शाह ने स्वीकार किया कि वह अपने फिल्मफेयर अवॉर्ड्स का इस्तेमाल अपने फार्म हाउस के वॉशरूम में दरवाजे के हैंडल की तरह करते हैं। साथ ही बताया कि ये सब अवॉर्ड्स फालतू हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। नसीरुद्दीन शाह इंडस्ट्री के सबसे दिग्गज अभिनेताओं में से एक हैं। अपनी शानदार एक्टिंग के लिए उन्होंने अब जाने कितने ही अवॉर्ड अपने नाम किए हैं। हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने खुलासा किया कि वो इन पुरस्कारों को गंभीरता से नहीं लेते हैं और कहा कि वह अपने फिल्मफेयर पुरस्कारों का इस्तेमाल अपने वॉशरूम के दरवाजे के हैंडल के रूप में करते हैं।
अवॉर्ड्स को लेकर ये बोले नसीरुद्दीन शाह
नसीरुद्दीन शाह ने पार, स्पर्श और इकबाल में अपने अभिनय के लिए तीन नेशनल अवॉर्ड जीते हैं। उन्होंने आक्रोश, चक्र और मासूम में अपने प्रदर्शन के लिए तीन फिल्मफेयर पुरस्कार भी जीते। एक नए इंटरव्यू में अभिनेता ने खुलासा किया कि कैसे वह इन पुरस्कारों को गंभीरता से नहीं लेते हैं और उन्हें लगता है कि वे ये सब इंडस्ट्री में लॉबिंग का परिणाम हैं।
अवॉर्ड्स पर नहीं है विश्वास
आजतक के साथ एक नए इंटरव्यू में अभिनेता से पुरस्कारों पर उनके विचारों के बारे में पूछा गया, कि क्या ये सच है कि वह अपने घर में दरवाजे के हैंडल के रूप में अवॉर्ड्स का इस्तेमाल करते हैं। अभिनेता ने हंसते हुए कहा, "कोई भी अभिनेता जिसने अभिनय में अपने जीवन लगा दिया हो, वो अच्छा ही एक्टर होगा। आपने किसी एक एक्टर को चुन लिया और कह दिया कि ये इस साल का बेस्ट एक्टर है। तो क्या ये निष्पक्ष है?
फिल्मफेयर ट्रॉफी को बनाया वॉशरूम के दरवाजे का हैंडल
मुझे उन पुरस्कारों पर गर्व नहीं है। मुझे मिले पिछले दो पुरस्कारों को मैं लेने भी नहीं गया था। इसलिए, जब मैंने एक फार्म हाउस बनाया तो मैंने इन पुरस्कारों को वहां रखने का फैसला किया। जो भी वॉशरूम जाएगा, उसे दो-दो पुरस्कार मिलेंगे क्योंकि वहां के हैंडल फिल्मफेयर पुरस्कारों के बने हैं।"
योग्यता पर नहीं मिलते ये अवॉर्ड्स
नसीरुद्दीन शाह ने यह भी दावा किया कि पुरस्कार और कुछ नहीं बल्कि लॉबिंग के परिणाम हैं और कहा, "मेरे लिए इन ट्रॉफी की कोई वैल्यू नहीं है। जब मुझे शुरुआती मिले तो मैं खुश था। लेकिन फिर, मेरे चारों ओर ट्राफियां जमा होने लगीं। देर-सवेर मैं समझ गया कि ये पुरस्कार लॉबिंग का परिणाम हैं। किसी को ये पुरस्कार उनकी योग्यता के कारण नहीं मिल रहे हैं। इसलिए मैंने उन्हें पीछे छोड़ना शुरू कर दिया।"
पद्म पुरस्कारों का किया सम्मान
"उसके बाद जब मुझे पद्मश्री और पद्मभूषण मिला तो मुझे अपने दिवंगत पिता की याद आ गई जो हमेशा मेरी नौकरी को लेकर चिंतित रहते थे और कहते थे कि 'यह फालतू का काम करोगे तो मूर्ख बन जाओगे'। इसलिए, जब मैं पुरस्कार लेने के लिए राष्ट्रपति भवन गया तो मैंने ऊपर देखा और अपने पिताजी से पूछा कि क्या वह यह सब देख रहे हैं... वह थे... और मुझे यकीन है कि वह खुश थे... मैं उन पुरस्कारों को पाकर खुश था। लेकिन मैं इन प्रतिस्पर्धी पुरस्कारों को बर्दाश्त नहीं कर सकता।"