Moushumi Chatterjee को रातोंरात जया बच्चन ने किया था रिप्लेस, हीरो को थप्पड़ मारने पर बोलीं- 'वे इसी लायक'
शादी के बाद फिल्मी करियर शुरू करने वालीं मौसमी चटर्जी (Moushumi Chatterjee) ने अपनी अदाकारी के लिए हमेशा दर्शकों का दिल जीता है। मगर ऑफ-स्क्रीन मौसमी अपनी बेबाकी के लिए मशहूर रहीं जिसकी वजह से उनके हाथ से कई फिल्में भी गईं। हाल ही में अभिनेत्री ने कोशिश मूवी में रिप्लेस होने और हीरो को थप्पड़ मारने पर रिएक्शन दिया है।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। हिंदी सिनेमा की दिग्गज हसीनाओं में शुमार मौसमी चटर्जी अपने साफ-सुथरे किरदार के लिए जानी गईं। बड़े पर्दे पर न उन्होंने कोई बोल्ड और ना ही हीरो के साथ कोई इंटीमेट सेन किए। यहां तक कि अगर कोई अभिनेता सेट पर उनके साथ मिसबिहेव कर देता था तो वह उन्हें थप्पड़ मारने या फटकार लगाने में जरा भी नहीं कतराती थीं।
अपने बेबाक और बेधड़क अंदाज के लिए जानी जाने वालीं मौसमी चटर्जी को कई बार इसका भुगतान भी करना पड़ा। एक्टर्स को थप्पड़ मारने के चलते उनके हाथ से कई फिल्में भी गईं। एक बार उन्हें रातोंरात गुलजार की फिल्म कोशिश से भी बाहर कर दिया गया था। अब उन्होंने इस बारे में खुलकर बात की है।
जया बच्चन से रिप्लेस हुई थीं मौसमी चटर्जी
इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में रोटी कपड़ा और मकान एक्ट्रेस मौसमी चटर्जी ने गुलजार की फिल्म कोशिश से रिप्लेस किए जाने पर कहा, "ऐसा इसलिए क्योंकि मैं अपनी गरिमा के साथ कभी समझौता नहीं करूंगी, चाहे कुछ भी हो जाए। यह सब अतीत की बात है। गुलजार और मैंने कई सालों बाद अंगूर फिल्म में काम किया था। संयोग की बात है कि कोशिश में और अंगूर में भी हरिभाई (संजीव कुमार) मेरे हीरो थे। मैंने कई भूमिकाएं खो दीं क्योंकि मैं किसी के अहंकार को बढ़ावा नहीं देती थी।" कोशिश में मौसमी को जया बच्चन (Jaya Bachchan) ने रिप्लेस किया था।
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एक्टर्स को थप्पड़ मारने का नहीं कोई अफसोस
कच्चे धागे एक्ट्रेस ने कई अभिनेताओं को थप्पड़ मारा है। वह कभी भी सेट पर किसी अभिनेता के मिसबिहेव को बर्दाश्त नहीं करती थीं। इस बारे में सवाल करने पर अदाकारा ने कहा, "वे इसी लायक थे। वे लैंगिक भेदभाव करते थे, लेकिन मैं इसके लिए उन्हें दोषी नहीं मानती।"
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मौसमी ने आगे कहा, "आपको सिक्के के दोनों पहलू देखने होंगे। हीरो हीरोइनों के साथ फ्लर्ट करते थे और वे उम्मीद करते थे कि हीरोइनें भी वैसे ही बिहेव करें। उन्हें बस यही पता था। उन्हें कोई और तरीका नहीं पता था। मर्दों को उनकी मां, पत्नी और बहनों के लाड़-प्यार के साथ पाला जाता है।"
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