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    खुद की फिल्म की टिकट खरीद...Karan Johar ने नकली बॉक्स ऑफिस कलेक्शन की खोली पोल, फिल्ममेकर्स पर साधा निशाना

    Updated: Sun, 05 Oct 2025 07:24 PM (IST)

    Karan Johar बॉलीवुड फिल्ममेकर करण जौहर ने कॉर्पोरेट बुकिंग के चलन पर बात करते हुए फिल्ममेकर्स पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कुछ फिल्म निर्माता बॉक्स ऑफिस पर कमाई बढ़ाने के लिए खुद ही अपनी फिल्मों के टिकट खरीदते हैं। करण जौहर ने कहा कि इससे फिल्म की वास्तविक कमाई पर कोई खास असर नहीं पड़ता है।

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    करण जौहर ने खोली नकली बॉक्स ऑफिस कलेक्शन की पोल

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। बॉलीवुड फिल्म निर्माता करण जौहर ने कॉर्पोरेट बुकिंग के चलन पर बात करते हुए बड़ा खुलासा किया है। जहां फिल्ममेकर्स बॉक्स ऑफिस पर कमाई बढ़ाने के लिए अपनी फिल्मों के टिकट खुद खरीदते हैं। उन्होंने यह स्वीकार करते हुए कि लोग अपनी खूब पैसा खर्च कर सकते हैं, कहा कि इस तरह के कदमों का दर्शकों या फिल्म पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है।

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    करण ने फिल्ममेकर्स पर साधा निशाना

    करण जौहर ने इस विवादास्पद चलन पर बात की। उन्होंने कहा, 'हर कोई वही करता है जो उसे करना होता है। अगर मैं खुद को 1 करोड़ रुपये देने का फैसला करता हूं, और फिर जश्न मनाता हूं, रात में पार्टी करता हूं कि मैंने 1 करोड़ रुपये कमाए हैं। क्या मैं मूर्ख हूं या बुद्धिमान? मैं यह फैसला आप पर छोड़ता हूं। कोमल नाहटा के गेम चेंजर्स पॉडकास्ट पर बातचीत के दौरान करण ने फिल्ममेकर्स पर निशाना साधते हुए कहा कि वे खुद अपनी फिल्मों की टिकट्स खरीदकर बॉक्स ऑफिस कलेक्शन ज्यादा दिखाते हैं।

    फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया

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    सेल्फ बुकिंग का इंडस्ट्री पर क्या पड़ता है असर

    उन्होंने आगे कहा, 'अगर आप ये अपने लिए कर रहे हैं और खुश हैं, तो जरूर करें। आप अपने ऊपर खर्च कर रहे हैं, तो कोई आपको आपके ही पैसे खर्च करने के लिए क्यों जज करे? आप खुश हैं और इसे सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं'। जब उनसे पूछा गया कि क्या इस तरह का चलन इंड्स्ट्री की इमेज को नुकसान पहुंचाती हैं, तो जौहर ने बेबाकी से कहा, 'इंडस्ट्री खुद को बदनाम कर रही है। कॉर्पोरेट बुकिंग के ये सारे आंकड़े इंडस्ट्री के लोग ही बेच रहे हैं। दर्शकों को क्या फर्क पड़ता है? दर्शक तो बस यह देखते हैं कि फिल्म अच्छी है या बुरी'। उन्होंने बताया कि इसे सेल्फ बुकिंग कहते हैं।

    कॉर्पोरेट बुकिंग लंबे समय से हिंदी सिनेमा में एक विवाद का विषय रहा है। आलोचकों का तर्क है कि यह बॉक्स ऑफिस रिपोर्टिंग की विश्वसनीयता को कमजोर करती है और फिल्म की रियल कमर्शियल कमाई को गलत तरीके से पेश करती है। हालांकि यह अस्थायी रूप से बढ़ावा दे सकता है, लेकिन इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि इसका फिल्म की स्थायी अपील या दर्शकों की धारणा पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है।

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